ईरान की संसद मजलिसे शूराए इस्लामी के बारहवें दौर और विशेषज्ञ असेंबली के छठे दौर का चुनाव
पत्रकारः मेरी गुज़ारिश है कि (चुनाव में भाग लेने के बारे में) असमंजस का शिकार या उन लोगों से जो वोट नहीं डालना चाहते, अपनी बात कहिए। शुक्रिया (1)
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
अल्लाह से विनती करते हैं, दुआ करते हैं कि वो आज के दिन को ईरानी क़ौम के लिए मुबारक दिन क़रार दे और हमारे प्रिय अवाम और चुनावों के मुख़्तलिफ़ मामलों के ओहदेदारों की कोशिशें इंशाअल्लाह अच्छे नतीजे तक पहुंचें और ये इलेक्शन ईरानी क़ौम के हक़ में रहे। मैं दो सिफ़ारिशें करुंगा और फिर सम्मानीच पत्रकारों के सवालों का जवाब दूंगा।
अपने प्रिय अवाम से मेरी पहली गुज़ारिश यह है कि क़ुरआन मजीद ने हमसे फ़रमाया हैः "तो तुम नेकियों में एक दूसरे से बढ़ने की कोशिश करो" (2) नेक कामों में एक दूसरे से आगे बढ़ने की कोशिश करो, मुक़ाबला करो, मैंने पिछले चुनावों में भी कहा था और आज भी ताकीद करता हूं कि जितनी जल्दी मुमकिन हो इस मौक़े से फ़ायदा उठाइये और पोलिंग की शुरूआत के वक़्त में ही, जितनी जल्दी मुमकिन हो, जाकर अपना वोट बैलेट बॉक्स में डाल दीजिए।
मेरी दूसरी सिफ़ारिश यह है कि जिस चुनावी हल्क़े में जितने उम्मीदवारों को वोट देना ज़रूरी है, उतनी ही तादाद में वोट दीजिए, इससे कम वोट न दीजिए। मिसाल के तौर पर अगर तेहरान के चुनावी क्षेत्र से हमारे लिए विशेषज्ञ असेंबली के 16 उम्मीदवारों को वोट देना ज़रूरी है तो 16 उम्मीदवारों को वोट दीजिए, इससे कम को नहीं, या अगर तेहरान में संसदीय चुनावों में 30 उम्मीदवारों को वोट देना ज़रूरी है तो 30 लोगों को वोट दीजिए, इससे कम लोगों को वोट न दीजिए। ये मेरी ताकीद के साथ गुज़ारिश है।
हमारी अज़ीज़ क़ौम को ये जान लेना चाहिए कि आज दुनिया के बहुत से लोगों की निगाहें, चाहे वो आम लोग हों, चाहे राजनेता हों या राष्ट्रीय व राजनैतिक लेहाज़ से अहम पोज़ीशर रखने वाले लोग हों, आप पर हैं। वो ये देखना चाहते हैं कि आप इस चुनाव में क्या करते हैं और आपके इस इलेक्शन का नतीजा क्या होता है। हमारे दोस्त और ईरानी क़ौम से प्यार करने वाले लोग भी और उसके दुश्मन भी यही कर रहे हैं और हर तरफ़ से हमारे मुल्क पर नज़रें लगी हुयी हैं। हमारी अज़ीज़ क़ौम के मसलों को देखा जा रहा है। इस पर ध्यान दीजिए। दोस्तो को ख़ुश और दुश्मनों का मायूस कर दीजिए।
जहाँ तक (चुनावों में शिरकत के बारे में) आपके सवाल की बात है कि असमंजस के शिकार लोगों से मैं क्या कहना चाहता हूं, तो मैं यही कहूंगा कि "दर कारे ख़ैर हाजते हीच इस्तेख़ारे नीस्त" (नेक काम में इस्तेख़ारे की कोई ज़रूरत नहीं है।)
और आप सब पर सलाम और अल्लाह की रहमत व बरकत हो