एक जागरुक क़ौम जो तरक़्क़ी व उन्नति करने वाली है, उसे अपने रचनात्मक कामों के साथ, इल्म व साइंस के मैदान में तरक़्क़ी के साथ और सभी बड़े बड़े कामों के साथ जिन बातों की ओर से लापरवाही नहीं करनी चाहिए, उनमें से एक हर चरण में दुश्मन के मक़सद व लक्ष्य की पहचान है। यह जागरुक क़ौम की ख़ासियत है। एक ऐसी क़ौम के वजूद की कलपना नहीं की जा सकती जो महान लक्ष्य व मक़सद रखती हो, बड़े कारनामे करना चाहती हो, लेकिन उसका कोई दुश्मन न हो। आप जिस जगह भी हों, वहाँ अगर आप यह समझ गए कि आपका दुश्मन क्या सोच रहा है तो निश्चित तौर पर बड़ी हद तक दुश्मन के हमले को रोक देंगे और अपने आपको सुरक्षित कर लेंगे।

इमाम ख़ामेनेई

17/12/1999