“इस्लामी गणराज्य” उस वक़्त हक़ीक़त में इस्लामी गणराज्य है, जब वह इमाम ख़ुमैनी के मज़बूत व ठोस उसूलों को, जो उनकी पाक ज़िन्दगी में प्रचलित थे, अपना नारा बनाए और पूरी संजीदगी के साथ उस पर आगे बढ़ने की कोशिश करे। जहाँ कहीं भी हमने इन नारों के साथ क़दम बढ़ाया तरक़्क़ी व कामयाबी ने हमारे क़दम चूमे हैं। कामयाबी हमारा हिस्सा रही है, इज़्ज़त हमारे हाथ आयी है और इस दुनिया के फ़ायदे भी हमें मिले हैं लेकिन जब भी और जहाँ भी हम इन उसूलों से पीछे हटे, सुस्ती से काम लिया, मैदान दुश्मन के लिए ख़ाली छोड़ा है, कमज़ोरी का शिकार हुए हैं, तो हमें पीछे पलटना पड़ा है और हम इज़्ज़त से वंचित हुए हैं, दुश्मन ज़्यादा दुस्साहसी हो गया है और उसने अपने हाथ दराज़ किए हैं और भौतिक नज़र से भी हमने नुक़सान उठाया है। इस्लामी सिस्टम को सही मानी में इस्लामी होना चाहिए और दिन ब दिन इस्लामी उसूलों से ज़्यादा से ज़्यादा क़रीब होते जाना चाहिए। यह वह चीज़ है जिससे गुत्थी सुलझती है और मुश्किलें हल होती हैं। यही चीज़ समाज को इज़्ज़त व ताक़त दिलाती है।

इमाम ख़ामेनेई

11/09/2009