ईरानी क़ौम इस्लामी इंक़ेलाब की कामयाबी से आज तक इन लंबे बरसों के दौरान सीधे रास्ते पर चलती आ रही है और यह सीधा रास्ता इस्लाम के बुनियादी उसूलों और स्रोतों पर क़ायम रहने की राह है। ईरानी क़ौम संकीर्ण मानसिकता वाली क़ौम नहीं है, ज़माने के तक़ाज़ों को समझती है, इल्म की स्वामी व रिसर्च करने वाली है, अक़्ल व समझ रखती है। पाकीज़ा डिफ़ेन्स का (8 बरस का) दौर बहुत कठिन दौर था। यह एकजुट व संगठित क़ौम डिफ़ेन्स के मैदान में उतर पड़ी। फिर मुल्क के निर्माण, तरक़्क़ी, साइंस व रिसर्च और बड़े बड़े कामों की बुनियाद रखने के दौरान भी हमारे अवाम ने हर दौर में जो कुछ भी ज़रूरी था, उसे अंजाम दिया है। उस वक़्त भी जब मुल्क के भीतर विदेशी एजेंट, अवाम के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश में थे, अवाम ने एकता की आवाज़ उठाई और एकजुटता के नारे लगाए और एक दूसरे से आपसी लगाव को मुख़्तलिफ़ रूपों में ज़ाहिर किया। इसी चीज़ की वजह से हमारे दुश्मन ईरानी क़ौम और मुल्क के अधिकारियों पर दबाव डाल कर न कोई रास्ता बंद कर सके और न ही कोई ग़लत फ़ायदा उठा सके। धमकियां देते हैं, प्रोपैगंडे करते हैं लेकिन इस क़ौम के ख़िलाफ़ धमकियों और प्रोपैगंडों से कोई फ़ायदा नहीं उठा सके। क़ौम, अल्लाह का शुक्र है, अपने रास्ते पर आगे बढ़ रही है। यह कमाल और उन्नति का रास्ता है और तरक़्क़ी व ख़ुशहाली की राह है।

इमाम ख़ामेनेई

19/09/2008