मेरे प्यारे जवानो और बच्चो! आप सब अपने मुल्क में किरदार अदा कर सकते हैं। एक दिन किरदार हुसैन फ़हमीदे का (टैंक के नीचे लेट जाने का किरदार था) और एक दिन और तरह के किरदार हैं। धार्मिक मामलों, सांस्कृतिक मामलों, राजनैतिक व अख़लाक़ी मामलों और इसी तरह भविष्य की योजना बनाने, उम्मीद बढ़ाने, सार्थक सोच और आस पास के माहौल में ख़ुशी लाने और इबादत के मसले हैं। इस्लामी शरीयत पर अमल भी जद्दोजेहद का मैदान हो सकता है। निश्चित तौर पर इन मैदानों में जान देने की शर्त नहीं है लेकिन हिम्मत, साहस, इरादा और फ़ैसला ज़रूरी है। आप सब लोग स्कूलों, कालेजों और यूनिवर्सिटियों के अलावा दफ़्तरों में अपना किरदार अदा कर सकते हैं। दुनिया के मुख़्तलिफ़ मुल्कों के नौजवानों पर ज़ायोनियों, साम्राज्यवादी ताक़तों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने काम किया है कि शायद नौजवान नस्ल को ख़राब कर दें। उम्मीद और हौसला उनसे छीन लें और भविष्य को उनकी निगाहों में मायूसी में डूबा हुआ दिखाएं, अलबत्ता हमारे मुल्क के आप सब बच्चों और जवानों के लिए उन्होंने एक से एक सपने देखे और एक से एक साज़िशें रचीं हैं लेकिन अल्लाह की कृपा से वो कुछ नहीं कर सके और निश्चित तौर पर दुश्मन की नाकामी आपकी जागरुकता और होशियारी का नतीजा है।

इमाम ख़ामेनेई

30/10/1998