अगर कोई सोचता है कि इस क़ौम को धमकियों से ज़रिए डराया जा सकता है तो वो सख़्त ग़लतफ़हमी का शिकार है। अगर कोई यह सोचता है कि इस मुल्क के अधिकारियों के स्टैंड को धमकियों के ज़रिए बदला जा सकता है तो वो सख़्त ग़लतफ़हमी का शिकार है। अगर किसी का स्टैंड बदलता है तो वह इस क़ौम और इस इंक़ेलाब का नहीं है। जिस शख़्स का इस इंक़ेलाब से संबंध है, इस इंक़ेलाब का पंसदीदा और अवाम का लोकप्रिय है, वो ईरानी अवाम की इच्छाओं और हितों के लिए, अवाम के इस इंक़ेलाब के लिए कि जिसकी राह में इतना ज़्यादा पाकीज़ा ख़ून ज़मीन पर बहा है और लोगों ने इस क़दर महान संघर्ष का प्रदर्शन किया है और दुश्मनों के मुक़ाबले में अवाम ने ऐसी दृढ़ता दिखाई है, सूई की नोक के बराबर भी दुश्मनों के दबाव में नहीं आएगा। आज हमारे इंक़ेलाब को, इस पाक सिस्टम और इंक़ेलाब को दिन ब दिन बढ़ती ताक़त, स्थिरता, दृढ़ता और दिन ब दिन अवाम की बढ़ती दृढ़ता के तौर पर जाना जाता है और दुश्मनों की नाकामी व कमज़ोरी में दिन ब दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है। जिस तरह अल्लाह के सारे पैग़म्बर हमेशा अपने दुश्मनों पर कामयाब हुए, यह इंक़ेलाब भी बिना किसी संदेह के अपने दुश्मनों पर कामयाब होगा।
इमाम ख़ामेनेई
31/01/1997