इस्राईल का मसला न सिर्फ़ अपने अवाम के लिए बल्कि पूरे इलाक़े की सुरक्षा के लिए एक ख़तरा है, चूंकि ज़ायोनियों के पास इस वक़्त भी परमाणु हथियारों का भंडार है और वो इसे बढ़ाते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी कई बार उनको चेतावनी दी है लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। अलबत्ता इसकी बड़ी वजह, अमरीका का सपोर्ट है, यानी क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के पापों का बड़ा भाग अमरीकी सरकार की गर्दन पर है। अमरीका जो ख़ुद को इतना अम्न पसंद ज़ाहिर करता है और कभी कभी अपनी ज़हरीली मुस्कुराहट हमारी शरीफ़ व मज़लूम क़ौम की ओर बिखेरता है, फ़िलिस्तीन के मामले में सबसे बड़ा मुजरिम है। उसके (अनगिनत) गुनाहों में एक गुनाह यह भी है। आज अमरीका के हाथ पूरी तरह फ़िलिस्तीनियों के ख़ून में डूबे हुए हैं। ये लोग इलाक़े के मुल्कों को डराते धमकाते हैं। आज इस्राईल का वजूद इस्लामी नज़र से, इंसानी नज़र से, आर्थिक नज़र से, शांति व सुरक्षा की नज़र से और राजनैतिक नज़र से इलाक़े के मुल्कों और क़ौमों के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है।

इमाम ख़ामेनेई

31/12/1999