11 फ़रवरी के ऐतिहासिक दिन के आगमन पर, जो सत्य के समर्थक अल्लाह के लश्कर के हाथों असत्य और शैतान के लश्कर की हार की सालगिरह है, अगर हम सब, लेखक, नरेटर, वक्ता अल्लाह की राह के शहीदों और घायलों के इस अमल की क़द्र व क़ीमत, क़ुरबानियों के असर और उनकी शहादतों और बलिदानों के बड़े पैमाने पर नतीजे को गिनना चाहें तो शायद ख़ुद को लाचार मानने पर मजबूर होना पड़ेगा, उसके आध्यात्मिक दर्जे और इंसानी व अलौकिक मसलों तक पहुंच तो बहुत दूर की बात है। यह आध्यात्मिक व भौतिक कामयाबी, इंक़ेलाब के इस्लामी व अवामी होने तथा इंक़ेलाब के इस्लामी होने की ओर अवाम के ध्यान और इस्लाम के अज़ीम आत्मिक बदलाव की ओर अवाम के ध्यान का नतीजा है जो अल्लाह ने इस क़ौम में करिश्माई तौर पर पैदा किया।

इमाम ख़ुमैनी

10/02/1983