इंसान की पैदाइश और इंसानियत की पूरी तारीख़ में एक हक़ीक़त पायी जाती है और वह यह है कि हक़ और बातिल (सत्य और असत्य) के बीच यह लड़ाई, एक दिन हक़ के पक्ष में और बातिल के ख़िलाफ़ ख़त्म होगी और उस दिन के बाद से इंसान की हक़ीक़ी दुनिया और इंसान की पसंदीदा ज़िन्दगी शुरू होगी जिसमें लड़ाई, जंग के मानी में नहीं है, बल्कि नेकियों, भलाईयों में एक दूसरे से आगे निकल जाने के मानी में है।

इमाम ख़ामेनेई

17 अगस्त 2008