इंक़ेलाब की कामयाबी के बाद अमरीका से हमारे तअल्लुक़ात हमारी तरफ़ से ख़त्म नहीं किए गए। यानी ईरानी क़ौम ‎ने मज़बूत पोज़ीशन में पहुंच जाने के बाद भी अपनी अतीत की मज़लूमियत और अपने ऊपर हुए ज़ुल्म को ‎नज़रअंदाज़ किया और अमरीकी हुकूमत को माफ़ कर दिया लेकिन अमरीकी हुकूमत ने ईरानी क़ौम और इंक़ेलाब की ‎इस अज़मत और फ़राख़दिली को नज़रअंदाज़ किया। अमरीकियों ने पहले दिन से साज़िश करना और दुश्मनी ‎निकालना शुरू कर दिया। आज अमरीकी जब वाशिंग्टन सरकार और तेहरान सरकार के बीच दुश्मनी की तारीख़ ‎बयान करना चाहते हैं तो दूतावास के मसले से शुरू करते हैं। जबकि इस दुश्मनी की तारीख़ वहां से शुरू नहीं होती। ‎अमरीकियों के हमले, उनकी तरफ़ से पीठ में ख़ंजर घोपना, ग़द्दारी, बग़ावत करवाना, शहीद नूजे छावनी के विद्रोह ‎का मसला और इसी तरह के दूसरे मसले लगातार इस्लामी जुमहूरिया पर जंग थोपे जाने तक जारी रहे। इन सब को ‎नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। ईरानी क़ौम इन हरकतों और इस ज़ुल्म के मुक़ाबले में डटकर खड़ी हो गई।

‎इमाम ख़ामेनेई

‎‎16 जनवरी 1998