जो लोग इमाम ख़ुमैनी से टकराए, उन्होंने अपने आपको ज़लील कर लिया। बदक़िस्मत हैं जिन्होंने ज़ायोनियों का दिल ख़ुश करने, अमरीका को ख़ुश करने और रूढ़िवादियों के पेट्रो डॉलर्ज़ से जेब भरने के लिए हक़ीक़त को छिपाया और हमारे रहनुमा इमाम ख़ुमैनी से टकरा गए। उन लोगों की क़िस्मत फूट गई जो इस रहमदिल बाप, उस्ताद और शिक्षक की आग़ोश में आ सकते थे और उनसे लाभ उठा सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी क़िस्मत को लात मार दी और उनके दुश्मनों के गले लग गए। यूरोप, अमरीका, लैटिन अमरीका, इराक़ और कुछ अन्य देशों में भटकने और दर-बदर फिरने वाले ये बेचारे, बदनसीब वाले लोग और इसी तरह मुल्क के अंदर मौजूद कुछ लोग, एक समुद्र के मुक़ाबले में बूंद की तरह थे लेकिन वो समझ नहीं पाते थे कि वो कितने तुच्छ हैं ... भविष्य उन लोगों का है जो इमाम ख़ुमैनी के नक़्शे क़दम पर चले।

इमाम ख़ामेनेई

14/7/1989