ये ज़िंदा क़ौम, देश की ज़रूरतों के मुताबिक़ और उसकी ओर से उस ज़रूरत को महसूस करने और ये समझ  लेने के बाद कि ये देश की ज़रूरत है, पूरी निष्ठा और लगाव के साथ आगे बढ़ी है। इंसाफ़ की बात तो यही है कि ऐसा ही है और हमेशा यही स्थिति रही है और हमें उम्मीद है कि आगे भी ऐसा ही रहेगा। इसी वजह से हमारे दुश्मनों ने हमारी क़ौम और देश के ओहदेदारों पर दबाव डालने की जितनी भी कोशिश की, उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। वो धमकियां देते हैं, बड़ी बड़ी बातें करते हैं लेकिन इन धमकियों और इस प्रोपैगंडे से वो ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ कोई नतीजा नहीं हासिल कर सके। ख़ुदा का शुक्र कि हमारी क़ौम अपने रास्ते पर रवां दवां है। ये तरक़्क़ी और उत्थान का रास्ता है। हम ये दावा तो नहीं करते कि हम इस इंक़ेलाब के अज़ीम मक़ासिद को हासिल कर चुके हैं, जो दर हक़ीक़त सच्ची इस्लामी तालीमात हैं, नहीं! लेकिन इतना ज़रूर है कि हम उसी रास्ते पर चल रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।

इमाम ख़ामेनेई

19 सितम्बर 2008