यह मजलिस ईरान के मशहूर ख़तीब हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली ने पढ़ी। उन्होंने अपनी तक़रीर में कहा कि ज़िंदगी में आगे बढ़ने और अल्लाह से क़रीब होने का एकमात्र रास्ता, इमामत और मासूम इमाम से जुड़े रहने का रास्ता है। उन्होंने कहा कि इस राह को सुरक्षित रखने के लिए हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने जो काम किया वह बेजोड़ था। उन्होंने कहा कि हज़रत ज़हरा ने इस बड़े जेहाद के लिए सच्चाई को स्पष्ट करने और वास्तविकताओं को बयान करने का हथियार इस्तेमाल किया।

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की शहादत के उपलक्ष्य में होने वाली अज़ादारी की आख़री मजलिस में हुज्जतुल इस्लाम मसऊद आली के बाद ईरान के मशहूर नौहा ख़ान महदी रसूली ने नौहा और मसायब पढ़े।