सोमवार की रात पहली शोक सभा का आयोजन हुआ जिसमें आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शिरकत की।

मजलिस की शुरुआत क़ुरआन की तिलावत से हुई। क़ारी श्री जाफ़र फ़र्दी ने क़ुरआन के सूरए इंसान की कुछ आयतों की तिलावत की।

क़ुरआन की तिलावत के बाद हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी ने तक़रीर की। उन्होंने अपनी तक़रीर में पैग़म्बरे इस्लाम के मिशन में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के बहुआयामी योगदान के बारे में बताया और उनके व्यक्तित्व के कुछ पहलुओं पर रोशनी डाली।

हुज्जतुल इस्लाम काज़िम सिद्दक़ी की लगभग 40 मिनट की तक़रीर के बाद अलहाज सईद हद्दादियान ने नौहा और मरसिया पेश किया और पैग़म्बरे इस्लाम के इलाही मिशन को आगे बढ़ाने में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा पर पड़ने वाली मुसीबतों और उन पर होने वाले अत्याचारों का उल्लेख किया।