तेहरान की इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में दूसरी मजलिस मंगलवार की रात को आयोजित हुई जिसमें इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हिस्सा लिया। कोरोना वायरस की महामारी के तहत गाइडलाइनों के चलते मजलिस में आम श्रद्धालुओं को आमंत्रित नहीं किया गया था।

दूसरी रात की मजलिस विख्यात वक्ता हुज्जतुल इस्लाम नासिर रफ़ीई ने पढ़ी। लगभग 50 मिनट की तक़रीर में उन्होंने कहा कि औरत के बारे में पश्चिम के दृष्टिकोण के विपरीत इस्लाम औरत को इस्तेमाल के सामान की नज़र से नहीं देखता।

उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रशिक्षण, कल्चर और हेल्थ केयर जैसे मैदानों में सार्थक योगदान के सिलसिले में औरत की भूमिका का इस्लाम समर्थन करता है और इतिहास में मौजूद साक्ष्यों से साबित होता है कि इन मैदानों में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा और अन्य महिलाओं की भूमिका रही।

हुज्जतुल इस्लाम नासिर रफ़ीई का कहना था कि यह ज़रूरी है कि औरत की सामाजिक गतिविधियां शरीयत के दायरे में हों इस बात का भी ख़याल रखा जाना ज़रूरी है किन इसके कारण परिवार की बुनियाद को नुक़सान न पहुंचे।

इस मजलिस में जनाब मीसम मुतीई ने मरसिया और हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहसा के मसाएब पढ़े।