हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम (उन पर हमारी जानें क़ुर्बान) की नज़रे करम की बरकत से इस साल का मोहर्रम अक़ीदत के जोश से भरा रहा। वह काम जो अल्लाह के लिए किया जाता है, जिसका मक़सद पाक होता है, अल्लाह उसमें मदद करता है।
फ़्लोटीला 86 के स्टाफ़ के हर सदस्य का दिल की गहराई से शुक्रिया अदा करता हूं जिसने बड़ा मिशन पूरा किया और धरती का चक्कर लगाया। इसी तरह आपके परिवारों का भी शुक्रगुज़ार हूं। जो काम आपने किया वो बड़ा गौरव है। यह कारनामा मुल्क की नौसेना के इतिहास में पहले कभी नहीं अंजाम पाया।
इमाम ख़ामेनेई
6 अगस्त 2023
मातमी अंजुमनें, मोहब्बते अहलेबैत के मरकज़ कि इर्द-गिर्द जमा हो जाने वाली इकाई का नाम है। अंजुमनों की बुनियाद हमारे इमामों के ज़माने में रखी गई।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की रहनुमा रिसर्च
बड़ी हस्तियों के सही रास्ते से हटने की शुरुआत
हक़ के समर्थक ख़वास की लड़खड़ाहट का दौर पैग़म्बर के इंतेक़ाल के लगभग सात आठ साल बाद शुरू होता है। वही महान सहाबी जिनके नाम मशहूर हैं, तल्हा, ज़ुबैर, साद इब्ने अबी वक़्क़ास वग़ैरा, इस्लामी दुनिया के सबसे बड़े पूंजीपति बन गए। उनमें से एक की मौत के बाद उसके छोड़े हुए सोने को उसके वारिसों में बांटने के लिए पहले उसे एक बड़ी सोने की ईंट में बदला गया और फिर कुल्हाड़ी से तोड़ कर टुकड़ों में बांटा गया।
दुश्मन, हुसैन इबने अली के जिस्म को घेरे हुए हैं और उनमें से हर कोई वार कर रहा है। जब हज़रत ज़ैनब क़त्लगाह पहुंचीं और उस पाक जिस्म को करबला की ज़मीन पर गिरा हुआ पाया तो अपने हाथों को इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जिस्म के नीचे रखा और उनकी आवाज़ बुलंद हुयी ऐ अल्लाह! पैग़म्बरे इस्लाम के परिजनों की इस क़ुरबानी को क़ुबूल कर।
एक ग्यारह साल का बच्चा था, यह बच्चा जब समझ गया कि उसका चचा जंग के मैदान में ज़मीन पर गिरा हुआ है वह बड़ी तेज़ी से इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के क़रीब पहुंचा। इब्ने ज़्याद के एक वहशी व बेरहम सिपाही ने तलवार खींच रखी थी कि वह इमाम हुसैन के घायल जिस्म पर वार करे, उसने अपने छोटे छोटे हाथों को बेअख़्तियार तलवार के सामने कर दिया लेकिन उस दरिंदे ने इसके बावजूद अपनी तलवार नहीं रोकी और वार कर दिया, बच्चे के हाथ कट गए।
तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मंगलवार को सातवीं मोहर्रम की रात में मजलिस आयोजित हुयी। मजलिसों का यह सिलसिला सोमवार की रात को शुरू हुआ और आज दूसरी मजलिस आयोजित हुयी जिसमें इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शरीक हुए।
हज़रत अली अकबर ने बाबा से जंग के मैदान में जाने की इजाज़त चाही। इमाम हुसैन ने फ़ौरन इजाज़त दे दी। उस जवान को आपने हसरत और नाउम्मीदी से देखा कि मैदाने जंग में जा रहा है और अब वापस न लौटेगा। आप नज़रें झुका कर आंसू बहाने लगे।
इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में मोहर्रम सन 1445 हिजरी क़मरी की पहली मजलिस सोमवार की रात आयोजित हुई, जिसमें इस्लामी इन्क़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने शिरकत की।
अचानक हमने देखा कि इमाम हुसैन के ख़ैमों की तरफ़ से एक बच्चा बाहर आया, उसका चेहरा चांद के टुकड़े की तरह दमक रहा था। वह आया और जंग करने लगा। इब्ने फ़ुज़ैल अज़दी ने उसके सिर पर वार किया और उसके दो टुकड़े कर दिए। बच्चा मुंह के बल ज़मीन पर गिर पड़ा। उसकी आवाज़ बुलंद हुयी: ऐ चचा जान!
मैं आप नौजवानों को सिफ़ारिश करना चाहूंगा कि अंजुमनों की क़द्र कीजिए। मैं हमेशा नौजवानों से कहता हूं कि अपनी नौजवानी की क़द्र कीजिए। लेकिन 'हैअतों' (हुसैनी अंजुमनों) की भी क़द्र कीजिए। यह ख़ज़ाने हैं। हुसैनी अंजुमन याद मनाने और बयान करने के अर्थ में है। यह याद भी मनाती है और बयान भी करती है। अंजुमन इस तरह की होनी चाहिए। याद भी मनाए और (तथ्यों को) बयान करने का केन्द्र भी हो।
इमाम ख़ामेनेई
17 सितम्बर 2022