हज़रत अली अकबर ने बाबा से जंग के मैदान में जाने की इजाज़त चाही। इमाम हुसैन ने फ़ौरन इजाज़त दे दी। उस जवान को आपने हसरत और नाउम्मीदी से देखा कि मैदाने जंग में जा रहा है और अब वापस न लौटेगा। आप नज़रें झुका कर आंसू बहाने लगे।