आज हमारा दुश्मन, यानी ज़ायोनी सरकार दुनिया की सबसे ज़्यादा घृणित सरकार है। दुनिया की क़ौमें भी ज़ायोनी सरकार से बेज़ार हैं, उससे नफ़रत करती हैं। सरकारें भी ज़ायोनी सरकार की निंदा करती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24 अगस्त 2025
हम जंग में मज़बूती से उतरे। इसकी दलील यह है कि ज़ायोनी सरकार अमरीकी सरकार का सहारा लेने पर मजबूर हो गयी। अगर उसकी कमर टूट न गयी होती, अगर वह गिर न गयी होती, अगर असहाय न हो गयी होती, अगर अपनी रक्षा करने में सक्षम होती तो इस तरह अमरीका से मदद न मांगती।
इमाम ख़ामेनेई
16 जूलाई 2025
हम जंग में मज़बूती से उतरे, इसका सुबूत यह है कि जंग में हमारे सामने वाला पक्ष ज़ायोनी सरकार अमरीकी सरकार का सहारा लेने पर मजबूर हो गयी। अगर उसकी कमर टूट न गयी होती, अगर वह गिर न गयी होती, अगर असहाय न हो गयी होती, अगर अपनी रक्षा करने में सक्षम होती तो इस तरह अमरीका से मदद न मांगती।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 16 जूलाई 2025 को न्यायपालिका के प्रमुख और अधिकारियों से मुलाक़ात में इस विभाग की अहमियत और ज़िम्मेदारियों के बारे में बात की। उन्होंने ज़ायोनी सरकार के अग्रेशन और उसके बाद ईरान की ऐतिहासिक जवाबी कार्यवाही के पहलुओं पर रौशनी डाली।
इस्लामी गणराज्य ईरान के ख़िलाफ़ ज़ायोनी सरकार के हमले के जवाब में ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने गावयाम टेक्नॉलोजी पार्क को बड़ी सटीकता से मीज़ाइलों का निशाना बनाया। ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ ने 20 जून को इस सेंटर पर ज़बरदस्त हमला किया और ज़ायोनी सरकार की वॉर मशीन पर भारी वार किया।
इतने शोर शराबे और इतने लंबे चौड़े दावों के बावजूद,
ज़ायोनी सरकार इस्लामी गणराज्य के भीषण वार से
क़रीब क़रीब ढह गयी और उसे कुचल कर रख दिया गया।
इमाम ख़ामेनेई
26 जून 2025
अगर अमरीका की मदद न होती तो क्या ज़ायोनी सरकार में इतनी ताक़त थी, हिम्मत थी कि मुसलमान मर्दों, औरतों और बच्चों के साथ उस छोटे से इलाक़े में ऐसा बर्बरतापूर्ण व्यवहार करे?
इस्लामी दुनिया के ओलमा, बुद्धिजीवी, नेता और पत्रकार बिरादरी अवाम में मांग पैदा करें कि उनकी सरकारें ज़ायोनी सरकार पर वार करने पर मजबूर हों। हम यह नहीं कहते कि जंग शुरू कर दें, वो जंग नहीं करेंगी और कुछ के लिए शायद मुमकिन भी न हो, लेकिन आर्थिक रिश्ते तो तोड़ ही सकती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
मैंने सुना कि कुछ इस्लामी देश ज़ायोनी सरकार को हथियार दे रहे हैं, कुछ हैं जो अलग अलग रूप में आर्थिक मदद कर रहे हैं। यह अवाम का काम है कि इसे रुकवाएं। अवाम दबाव डाल सकते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
अहम हस्तियों, ओलमा, बुद्धिजीवियों, नेताओं और पत्रकारों की ज़िम्मेदारी है कि अवामी सतह पर मुतालबा पैदा करें कि सरकारें ज़ालिम ज़ायोनी सरकार पर ज़ोरदार वार करें।
इमाम ख़ामेनेई
5 फ़रवरी 2024
बमबारी फ़ौरन रुकना चाहिए। मुसलमान क़ौमों में क्रोध है। बहुत ज़्यादा ग़ुस्से में हैं। बहुत सी सूचनाएं हैं जो हमें यह बताती हैं कि ज़ायोनी सरकार के भीतर जो नीति चल रही है, उसे अमरीकी तय कर रहे हैं। अमरीकी अपनी ज़िम्मेदारी पर ध्यान दें, वो जवाबदेह हैं।
अनेक जानकारियों से ज़ाहिर होता है कि ज़ायोनी सरकार की इन दिनों की नीतियां अमरीकी तैयार कर रहे हैं और जो कुछ हो रहा है अमरीकियों की नीतियों के मुताबिक़ हो रहा है। इस स्थिति के ज़िम्मेदार अमरीकी हैं।
इमाम ख़ामेनेई
17 अक्तूबर 2023
फ़िलिस्तीन के मामले में जो चीज़ पूरी दुनिया की नज़रों के सामने है वह क़ाबिज़ सरकार के हाथों नस्ली सफ़ाए का जुर्म है। यह पूरी दुनिया देख रही है। अब तक ग़ज़्ज़ा के कई हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं, इन्हीं कुछ दिनों में। आज की क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार पर निश्चित तौर पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए।
फ़िलिस्तीन के मसले में जो चीज़ सारी दुनिया की निगाहों के सामने है वह क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार के हाथों होने वाला नस्ली सफ़ाया है। यह सारी दुनिया देख रही है।
इमाम ख़ामेनेई
17 अक्तूबर 2023
मैं पूरे यक़ीन से कहता हूं कि इन कोशिशों का कोई फ़ायदा नहीं होगा, दुश्मन ज़ायोनी सरकार के पतन व अंत का प्रॉसेस शुरू हो चुका है जो रुकेगा नहीं।
इमाम ख़ामेनेई
सत्तर साल पहले की तुलना में आज ज़ायोनी सरकार के लिए हालात बदल चुके हैं और ज़ायोनी नेताओं की यह आशंका सही है कि यह शासन अपनी उम्र के 80 साल पूरे नहीं कर पाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
14 जून 2023