फ़ारसी भाषा और साहित्य के कुछ शायरों और उस्तादों ने शनिवार 15 मार्च 2025 की रात इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
भारतीय शायर का कलाम सुनने के बाद इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की टिप्पणीः यह बात अहम है कि एक शख़्स जिसकी मातृ भाषा फ़ारसी न हो वह इतनी साफ़ सुथरी ज़बान में शेर कहे। फ़ारसी में बात करना एक कला है और फ़ारसी में शेर कहना दूसरी कला है।
इमाम हसन मुज्तबा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर फ़ारसी भाषा के कुछ शायरों, साहित्यकारों और उस्तादों ने शनिवार 15 मार्च 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इससे पहले मग़रिब और इशा की नमाज़ इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की इमामत में पढ़ी गयी।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 14 रमज़ानुल मुबारक मुताबिक़ 15 मार्च 2025 को इमाम हसन मुजतबा अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस पर फ़ारसी साहित्यकारों और शायरों से मुलाक़ात में तक़रीर करते हुए शेर और साहित्य संबंधित मुख्य बिंदुओं की समीक्षा की। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने शायरी का स्टैंडर्ड और ऊपर ले जाने पर बल दिया और कहा कि मौजूदा दौर में यह सलाहियत है की सादी, हाफ़िज़ और नेज़ामी जैसे शायर पैदा हो सकें। (1)
करीमे अहलेबैत हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों, साहित्यकारों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों ने सोमवार की रात तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
25/03/2024
शायरों से मुलाक़ात में शेर के सांस्कृतिक संदेश की अहमियत पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की ताकीद
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने करीमे अहलेबैत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर शायरों और फ़ारसी ज़बान के उस्तादों और साहित्यकारों से सोमवार की रात मुलाक़ात की।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि शबे जुमा थी। मेरी वालेदा मुसल्ले पर खड़ी हुईं और पूरी रात सुबह तक इबादत करती रहीं। वालेदा रात की शुरुआत से सुबह तक इबादत, दुआ और मुनाजातें करती रहीं। इमाम हसन फ़रमाते हैं कि मैंने सुना की वो मुसलसल मोमेनीन और मोमेनात के लिए दुआ करती रहीं, लोगों के लिए दुआ करती रहीं, इस्लामी दुनिया के मसलों के लिए दुआ करती रहीं। सुबह हुई तो मैंने कहा कि आपने एक दुआ भी अपने लिए नहीं मांगी। शुरू से आख़िर तक पूरी रात दुआएं कीं दूसरों के लिए?! उन्होंने जवाब दिया कि मेरे बेटे पहले पड़ोसी फिर ख़ुद। यह अज़ीम जज़्बा है।
इमाम ख़ामेनेई
16 दसिम्बर 1992