हम शहीद सुलैमानी की शहादत हरगिज़ भूलेंगे नहीं। इसे वो याद रखें! इस सिलसिले में हमने एक बात कही है और उस पर क़ायम हैं। मुनासिब वक़्त पर, मुनासिब जगह इंशाअल्लाह उस पर अमल किया जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
2 नवम्बर 2022
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेईः “किसी ने कहा था कि ‘शहीद सुलैमानी’ दुश्मनों के लिए ‘जनरल सुलैमानी’ से ज़्यादा ख़तरनाक हैं। उसने बिल्कुल सही समझा। अमरीका की हालत आप देखिए! अफ़ग़ानिस्तान से फ़रार होता है, इराक़ से बाहर निकलने का दिखावा करने पर मजबूर है। यमन और लेबनान को देखिए। शाम में भी धराशायी हो चुका है।”
1 जनवरी 2022
शहीद क़ासिम सुलैमानी की दूसरी बरसी पर वेबसाइट Khamenei.ir ने आईआरजीसी के चीफ़ कमांडर जनरल हुसैन सलामी से बातचीत में शहीद सुलैमानी की ज़िंदगी और उनकी शहादत के असर की समीक्षा की है।
जिन लोगों ने सुलैमानी को शहीद किया, ट्रम्प और उनके जैसे लोग, वह इतिहास में दफ़्न हो जाएंगे, लेकिन सुलैमानी अमर हैं। उनके दुश्मन विलुप्त हो जाएंगे, अलबत्ता इंशाअल्लाह दुनिया में ख़मियाज़ा भुगतने के बाद।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। इस मौक़े पर सुप्रीम लीडर की स्पीच टीवी व रेडियो चैनलों से लाइव टेलीकास्ट हुयी।
19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन की आज सालगिरह है।
ख़ुद हमारे इस ज़माने में भी हमारे इन्हीं शहीद, शहीद सुलैमानी की शहादत सच में एक तारीख़ी और अजीब घटना बन गई।
तेहरान में शव यात्रा, किरमान में शव यात्रा, तबरेज़ में शव यात्रा और अनेक शहरों में शव यात्रा। मशहद में शवयात्रा, इराक़ में वह वैभूवपूर्ण शव यात्रा और अगर यह प्रोग्राम होता कि इस शहीद के पवित्र शव को सीरिया व लेबनान ले जाया जाए तो वहां भी यही होता, अगर पाकिस्तान ले जाते तो वहां भी यही घटना घटती।
इमाम ख़ामेनेई
9 जनवरी 2022
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने क़ुम वासियों के ऐतिहासिक आंदोलन की सालगिरह पर क़ुम के अवाम की सभा को विडियो लिंक के ज़रिए संबोधित किया। 19 देय 1356 बराबर 9 जनवरी 1978 क़ुम के अवाम के ऐतिहासिक आंदोलन का दिन है।
सुप्रीम लीडर ने 9 जनवरी 2022 के अपने भाषण में ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं की याद को बाक़ी रखना ज़रूरी बताया जिसमें आने वाली नस्लों के लिए गहरे संदेश छिपे हुए हैं। उन्होंने अपने भाषण में बड़े महत्वपूर्ण राष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर प्रकाश डाला।
जब भी जंग में हमें कठिन हालात का सामना होता था, तब हमारा सहारा सिर्फ हज़रत ज़हरा होती थीं। हम बीबी ज़हरा से मदद मांगते थे। मैंने उनकी ताक़त, उनकी मामता जंग के मैदान में देखी!
ईरान वासियों को गर्व करना चाहिए कि उनके बीच एक इंसान एक दूरदराज़ के गांव से उठता है, संघर्ष करता है आत्म निर्माण करता है और पूरे इस्लामी जगत का चैंपियन और जगमगाता चेहरा बन जाता है।
इमाम ख़ामेनेई
16 दिसम्बर 2020
इस्लामी दुनिया में उनके नाम और ज़िक्र का बढ़ता असर साबित करता है कि प्रिय सुलैमानी हक़ीक़त में इस्लामी दुनिया की सतह की हस्ती हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
मैं हमेशा दिल से और ज़बान से उनकी तारीफ़ करता था लेकिन उन्होंने जो हालात पैदा कर दिए और मुल्क बल्कि पूरे इलाक़े के लिए जिस तरह की स्थिति उत्पन्न की उसे देखकर अब मैं उनको नमन करता हूं।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
सरदार क़ासिम सुलैमानी, इस अज़ीज़ के ख़ून की बरकत से प्रतिरोधक मोर्चा दो साल पहले की तुलना में आज ज़्यादा सक्रिय और ज़्यादा आशावर्धक हो चुका है।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
सरदार सुलैमानी के जुलूस-ए-जनाज़ा में करोड़ों ईरानी आवाम की शिरकत से साबित हुआ कि शहीद सुलैमानी वास्तविक राष्ट्रीय शख़्सियत थे और हैं।
इमाम ख़ामेनेई
1 जनवरी 2022
उनके एक शहीद दोस्त के नवासे का ऑप्रेशन होने वाला था, शहीद अस्पताल पहुंच गए और जब तक ऑप्रेशन पूरा नहीं हो गया, वे वहीं मौजूद रहे। उस बच्चे की मां ने कहा कि जनाब ऑप्रेशन पूरा हो गया, अब आप चले जाइये, जाकर अपने काम निपटाइये। उन्होंने कहाः नहीं, तुम्हारे पिता यानी इस बच्चे के नाना मेरी जगह जा कर शहीद हुए हैं, अब मैं उनकी जगह यहां खड़ा रहूंगा। वे तब तक वहां खड़े रहे जब तक बच्चा होश में नहीं आया। जब उन्हें पूरा इत्मेनान हो गया तब वे वहां से गए।
शहीद सुलैमानी डिफ़ेंस के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 जनवरी 2022 की सुबह शहीद क़ासिम सुलैमानी की बर्सी के प्रोग्रामों का आयोजन करने वाली कमेटी और शहीद के परिवार के लोगों से मुलाक़ात में सच्चाई और ख़ुलूस को सुलैमानी विचारधारा का निचोड़, प्रतीक और शिनाख़्त बताया और इलाक़े के युवाओं की नज़र में शहीद सुलैमानी के एक आइडियल की हैसियत अख़तियार कर लेने का हवाला देते हुए कहा कि प्रिय क़ासिम सुलैमानी ईरान की सबसे बड़ी राष्ट्रप्रेमी और इस्लामी जगत की सबसे बड़ी उम्मत प्रेमी हस्ती थे और हैं।(1)
शहीद सुलैमानी डिफ़ेन्स के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे।
इमाम ख़ामेनेई
8 जनवरी 2020
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बाद इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने एक बड़ा अहम संंदेश जारी किया था, जिसे हम शहीद की बरसी के उपलक्ष्य में पेश कर रहे हैं।