बसीजी हक़ नहीं जताता बल्कि अपने फ़रीज़े मद्देनज़र रखता है। अपने फ़रीज़े को अहमियत देता है और उस पर अमल करता है। बसीजी संगठन की क्षमताओं को अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल नहीं करता। बसीजी अमानतदार होता है।
इमाम ख़ामेनेई
29 नवम्बर 2023
इमाम ख़ुमैनी हमेशा अवाम को अपने आप से श्रेष्ठ समझते थे। वही नौजवान जो आते थे, आपका हाथ चूमते थे, आंसू बहाते थे इमाम ख़ुमैनी उन्हें ख़ुद से श्रेष्ठ समझते थे।
इमाम ख़ामेनेई
29 नवम्बर 2023
रेज़िस्टेंस को विजय मिली। नया नक़्शा जो धीरे-धीरे लागू हो रहा है, उसकी पहली ख़ासियत डि-अमेरिकनाइज़ेशन है। डि-अमेरिकनाइज़ेशन यानी इलाक़े पर अमरीकी वर्चस्व को ख़त्म कर देना।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 29 नवम्बर 2023 को बसीज फ़ोर्स के ओहदेदारों और जवानों से ख़ेताब में इस विशाल संगठन के महत्व, शानदार योगदान, विशेषताओं और उसकी व्यापकता के बारे में बात की। आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने ख़ेताब में तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन और ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों की समीक्षा की।
#बसीज (स्वयंसेवी फ़ोर्स) के गठन की मुनासेबत से बड़ी तादाद में बसीजियों ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस मौक़े पर रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनेई ने देश के हालात, पश्चिमी ताक़तों की पालीसियों और साज़िशों के बारे में बड़ी अहम तक़रीर की।
स्वयंसेवी बल 'बसीज' के हफ़्ते की मुनासेबत पर बड़ी तादाद में बसीजियों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से तेहरान में मुलाक़ात की। इस मौक़े पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बसीज के स्थान और महत्व को एक फ़ौजी संगठन से कहीं ऊपर बताया।
रज़ाकार फ़ोर्स 'बसीज' के हफ़्ते के मौक़े पर शनिवार 26 नवंबर को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की बेहद अहम तक़रीर होगी जिसका लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा।
ईरान की स्वयंसेवी फ़ोर्स, जिसे बसीज कहा जाता है, वह फ़ोर्स है जो देश की रक्षा से लेकर वैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अवाम की ख़िदमत तक हर मैदान में सक्रिय है। आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई 27 नवम्बर 2019 की अपनी एक तक़रीर में कहते हैं कि ‘बसीज’ के दो पहलू हैं। एक फ़ौजी मैदान में संघर्ष का पहलू है। दूसरा साफ़्ट वार के मैदान में जिद्दोजेहद का पहलू है। यह फ़ोर्स हर जगह मौजूद है और और इससे वह हस्तियां जुड़ी हैं जो नौजवानों के लिए आइडियल हैं।