आज कुछ लोग अल्लाह के महानब पैग़म्बर हज़रत ईसा के अनुसरण का दावा करने के बावजूद फ़िरऔन और दुष्ट ताक़तों के स्थान पर बैठे हैं जिनसे हज़रत ईसा संघर्ष किया करते थे।
इमाम ख़ामेनेई
27 दिसम्बर 2000
पैग़म्बरे इस्लाम का, कायनात के इस चमकते सूरज का हर इंसान पर एहसान है। सही अर्थों में सारी इंसानियत इस अज़ीम हस्ती की क़र्ज़दार है। पैग़म्बरे इस्लाम ने इंसानियत के हर अहम दर्द व पीड़ा का इलाज मुहैया कर दिया।
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2023
पैग़म्बरे इस्लाम का वजूद कहकशां जैसा है। इसमें महानता के हज़ारों बिन्दु पाए जाते हैं। पैग़म्बरे इस्लाम जैसी बेमिसाल शख़्सियत की ज़िन्दगी, इस्लामी इतिहास के हर दौर के लिए नमूना व पाठ है, हमेशा के लिए आइडियल है।
कुछ अहले इरफ़ान व सुलूक यह मानते हैं कि रबीउल औवल का महीना हयात व ज़िंदगी की बहार है। क्योंकि इस महीने में पैग़म्बरे इस्लाम इसी तरह उनके फ़रज़ंद हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की विलादत हुई। पैग़म्बर की विलादत उन बरकतों का आरंभ बिंदु है जो अल्लाह ने इंसानियत के लिए रखी हैं।
इमाम ख़ामेनेई
29 जनवरी 2013
पैग़म्बर की नज़र में इंसान की नजात का तरीक़ा यह नहीं था कि आप एक एक व्यक्ति की इस्लाह करें। नहीं, पहले दिन से पैग़म्बरे इस्लाम का तरीक़ा यह रहा कि इस तरह का समाज बनाया जाए जिसमें लोग मुत्तहिद रहें और उसमें इस्लामी मूल्यों के मुताबिक़ परवान चढ़ें और इस्लाम के मद्देनज़र बुलंदी तक पहुंचें।
इमाम ख़ामेनेई
1 नवम्बर 1986
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) के शहादत दिवस की मजलिस गुरुवार की रात तेहरान की इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में हुई। मजलिस में इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शामिल हुई। जबकि कोविड प्रोटोकोल की वजह से श्रद्धालुओं की आम शिरकत नहीं हुई।
हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व और पैग़म्बरी के बारे में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के कुछ चुनिंदा जुमले इस महान पैग़म्बर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में पेश किए जा रहे हैं।
इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम और इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के उपलक्ष्य में अदालतों व सशस्त्र बलों की न्यायिक संस्था से और इसी तरह विभागीय कार्यवाहियों के तहत सज़ा पाने वाले 3,458 क़ैदियों की सज़ाएं माफ़ या कम करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।
पैग़म्बरे इस्लाम का उठना बैठना ग़ुलामों के साथ रहता था। उनके साथ खाना खाते थे। बहुत मामूली कपड़े पहनते थे। जो खाना मौजूद होता वही खाते, किसी भी खाने को नापसंद नहीं करते थे। पूरे मानव इतिहास में यह विशेषताएं बेजोड़ हैं।
इमाम ख़ामेनई
Sept 27, 1991
अल्लाह ने पैग़म्बरे इस्लाम को ‘रहमतुल लिलआलमीन’ का लक़ब दिया। इंसानों के किसी एक गिरोह के लिए नहीं, किसी एक समूह के लिए नहीं बल्कि सारी कायनात के लिए रहमत हैं। वह सब के लिए रहमत हैं। पैग़म्बर जो पैग़ाम अल्लाह की तरफ़ से लेकर आए उसे आपने सारी इंसानियत को प्रदान किया।
इमाम ख़ामेनई
Dec 17, 2016
पैग़म्बरों को उन समाजों में भेजा गया जहां अज्ञानता का अंधेरा था। पैग़म्बरों का मक़सद था अज्ञानता की व्यवस्था को ख़त्म करके तौहीद (एकेश्वरवाद) पर आधारित बराबरी की व्यवस्था स्थापित करना, ग़रीबी और घमंड को मिटाना। वह मानवीय प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए आए।
इमाम ख़ामेनई
Dec 31, 1976
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई, पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के निधन और उनके बड़े नवासे इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत की बरसी की मजलिस में शामिल हुए। अज़ादारी का यह प्रोग्राम मंगलवार 5 अक्तूबर को तेहरान में इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित हुआ।