03/01/2022
मैं हमेशा दिल से और ज़बान से उनकी तारीफ़ करता था लेकिन उन्होंने जो हालात पैदा कर दिए और मुल्क बल्कि पूरे इलाक़े के लिए जिस तरह की स्थिति उत्पन्न की उसे देखकर अब मैं उनको नमन करता हूं। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
02/01/2022
मैं अपने अज़ीज़ शहीद सुलैमानी को कभी भूल नहीं पाउंगा। इमाम ख़ामेनेई 16 दिसम्बर 2020 
02/01/2022
सरदार क़ासिम सुलैमानी, इस अज़ीज़ के ख़ून की बरकत से प्रतिरोधक मोर्चा दो साल पहले की तुलना में आज ज़्यादा सक्रिय और ज़्यादा आशावर्धक हो चुका है। इमाम ख़ामेनेई 1 जनवरी 2022
02/01/2022
शहीद क़ासिम सुलैमानी की ज़िंदगी पर एक नज़र, उनके बचपन से लेकर उनकी शहादत तक, मार्शल आर्ट सीखने से लेकर सीरिया को दाइश से मुक्त कराने तक!
02/01/2022
सरदार सुलैमानी के जुलूस-ए-जनाज़ा में करोड़ों ईरानी आवाम की शिरकत से साबित हुआ कि शहीद सुलैमानी वास्तविक राष्ट्रीय शख़्सियत थे और हैं। इमाम ख़ामेनेई 1 जनवरी 2022
02/01/2022
  सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के दफ़्तर से एक एलान जारी हुआ है कि तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत के ख़ास दिनों 'अय्यामे फ़ातेमिया' की मजलिसों का प्रोग्राम आयोजित होगा लेकिन इसमें लोग सर्वजनिक रूप से शामिल नहीं हो सकेंगे। मजलिसों में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई मौजूद रहेंगे और प्रोग्रामों को टीवी चैनलों से प्रसारित किया जाएगा।
02/01/2022
उनके ‎एक शहीद दोस्त के नवासे का ऑप्रेशन होने वाला था, शहीद ‎अस्पताल पहुंच गए और जब तक ऑप्रेशन पूरा नहीं हो ‎गया, वे वहीं मौजूद रहे। उस बच्चे की मां ने कहा कि जनाब ‎ऑप्रेशन पूरा हो गया, अब आप चले जाइये, जाकर अपने ‎काम निपटाइये। उन्होंने कहाः नहीं, तुम्हारे पिता यानी इस ‎बच्चे के नाना मेरी जगह जा कर शहीद हुए हैं, अब मैं उनकी ‎जगह यहां खड़ा रहूंगा। वे तब तक वहां खड़े रहे जब तक ‎बच्चा होश में नहीं आया। जब उन्हें पूरा इत्मेनान हो गया ‎तब वे वहां से गए।
01/01/2022
उनके चले जाने के बाद भी अल्लाह की मदद से उनका काम और उनका रास्ता जारी रहेगा, रुकेगा नहीं। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
मैं अपने अज़ीज़ शहीद सुलैमानी को कभी भूल नहीं पाउंगा। इमाम ख़ामेनेई 16 दिसम्बर 2020
01/01/2022
अमरीकी हुकूमत के आतंकी हमले में जनरल ‎क़ासिम सुलैमानी की शहादत की दूसरी बरसी ‎के मौक़े पर शहीद सुलैमानी के परिवार से ‎मुलाक़ात
01/01/2022
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। आयतुल्लाह ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
01/01/2022
शहीद सुलैमानी डिफ़ेंस के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
01/01/2022
शहीद क़ासिम सुलैमानी की बरसी पर उनके घरवालों और उनकी बरसी के प्रोग्राम करने वाली कमेटी के सदस्यों ने शनिवार को तेहरान में सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की।
01/01/2022
इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 1 जनवरी 2022 की सुबह शहीद क़ासिम सुलैमानी की बर्सी के प्रोग्रामों का आयोजन करने वाली कमेटी और शहीद के परिवार के लोगों से मुलाक़ात में सच्चाई और ख़ुलूस को सुलैमानी विचारधारा का निचोड़, प्रतीक और शिनाख़्त बताया और इलाक़े के युवाओं की नज़र में शहीद सुलैमानी के एक आइडियल की हैसियत अख़तियार कर लेने का हवाला देते हुए कहा कि प्रिय क़ासिम सुलैमानी ईरान की सबसे बड़ी राष्ट्रप्रेमी और इस्लामी जगत की सबसे बड़ी उम्मत प्रेमी हस्ती थे और हैं।(1)
31/12/2021
आम लोगों ने शहीद सुलैमानी की क़द्रदानी की, यह उनके ख़ुलूस का नतीजा है। इस अज़ीम इंसान के अंदर एक ख़ास निष्ठा थी। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
31/12/2021
अमरीकियों ने उसे शहीद कर दिया जो दहशतगर्मी के ख़िलाफ़ जंग में सबसे ताक़तवर और विश्व विख्यात कमांडर था। इमाम ख़ामेनेई 17 जनवरी 2020
31/12/2021
उन्होंने अपनी ज़िंदगी अल्लाह की राह में जेहाद करते हुए गुज़ार दी, शहादत बरसों से जारी उनके अथक संघर्ष का इनाम थी। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
30/12/2021
शहीद सुलैमानी इस्लाम और इमाम ख़ुमैनी की पाठशाला में पलने वाले महान इंसानों का बेहतरीन नमूना थे। इमाम ख़ामेनेई 3 जनवरी 2020
31/12/2021
शहीद सुलैमानी डिफ़ेन्स के मैदान को गहराई से समझने वाले जांबाज़ कमांडर थे लेकिन इसके साथ ही धार्मिक नियमों के पूरी तरह पाबंद थे। इमाम ख़ामेनेई 8 जनवरी 2020
26/12/2021
शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी की शहादत के बाद इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने एक बड़ा अहम संंदेश जारी किया था, जिसे हम शहीद की बरसी के उपलक्ष्य में पेश कर रहे हैं।
25/12/2021
हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व और पैग़म्बरी के बारे में इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के कुछ चुनिंदा जुमले इस महान पैग़म्बर के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में पेश किए जा रहे हैं।
24/12/2021
अल्लाह के महान पैग़म्बर हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस पर मैं दुनिया के सभी मोमिनों, सभी ईसाइयों व मुसलमानों को मुबारकबाद पेश करता हूं। निश्चित रूप से मुसलमानों की नज़र में हज़रत ईसा मसीह अलैहिस्सलाम की जो क़द्र व क़ीमत है, वह ईसाइयों की नज़र में उनकी क़द्र व क़ीमत से कम नहीं है। इस महान पैग़म्बर ने लोगों के बीच अपनी मौजूदगी का पूरा समय, संघर्ष के साथ गुज़ारा ताकि ज़ुल्म, सितम और भ्रष्टाचार और उन लोगों के मुक़ाबले में खड़े हो जाएं जिन्होंने धन और ताक़त के बल पर राष्ट्रों को ज़ंजीर में जकड़ रखा था और उन्हें घसीट कर लोक-परलोक के नरक में ले जा रहे थे। इस महान पैग़म्बर ने अपने बचपन से ही - अल्लाह ने उन्हें बचपन में ही नबी बना दिया था - जो तकलीफ़ें सहीं, वे सब इसी राह में थे। उम्मीद है कि हज़रत ईसा मसीह के मानने वाले और वे सारे लोग जो इस महान हस्ती को, उनकी शख़्सियत के अनुरूप महानता, रूहानियत व उच्च दर्जे के लायक़ समझते हैं, इस राह में उनका अनुसरण करेंगे। इमाम ख़ामेनेई 27 दिसम्बर 2000
23/12/2021
वह इल्म जो हम चाहते हैं उसके साथ रूह की पाकीज़गी भी ज़रूरी है। इसलिए कि ‎अगर पाकीज़गी न होगी तो इल्म भटक जाएगा। इल्म एक ज़रिया है, ‎एक हथियार है। यह हथियार अगर किसी बुरे स्वभाव, बुरी सोच वाले ‎दुष्ट और क़ातिल व्यक्ति के हाथ लग जाए तो वह केवल त्रास्दी खड़ी ‎करेगा। इमाम ख़ामेनेई ‎6 अक्तूबर 2010
22/12/2021
  इंटरनेट और सोशल मीडिया पर ना महरम से चैट करने का क्या हुक्म ‎है?‎
22/12/2021
  इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने यमन में ईरान के मुजाहिद और सराहनीय सेवाएं अंजाम देने वाले राजदूत हसन ईरलू की शहादत जैसी मौत पर एक संदेश जारी करके शहादत का दर्जा हासिल होने पर बधाई दी और संवेदना प्रकट की है।
21/12/2021
ईरानी महिलाएं, युद्ध के मोर्चों पर ईरानी सिपाहियों की मदद करती थीं। खाना तैयार करना, मेडिकल केयर, अलग अलग तरह की मदद और वर्दियां धोना, उनकी सेवाओं में शामिल था। जब यह ऐलान हुआ कि कुछ वर्दियां रासायनिक तत्वों से दूषित हो सकती हैं, तब सैनिक वर्दियों की कमी की वजह से और यह न मालूम होने की वजह से कि कौन सी वर्दियां दूषित हैं? इन औरतों ने स्वेच्छा से और बलिदान की भावना के साथ इन वर्दियों को धोना जारी रखा। बरसों बाद, उन कैमिकल तत्वों के प्रभाव सामने आए जिनके चलते उनमें से कई महिलाओं की शहादत हो गई।
21/12/2021
हज़रत ज़ैनब के कारनामे की तुलना इतिहास की अन्य बड़ी घटनाओं से नहीं हो सकती। उसकी तुलना ख़ुदा आशूर ‎की घटना से करना चाहिए। वाक़ई यह दोनों एक दूसरे के बराबर हैं। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎20 नवम्बर 2013
20/12/2021
संघर्ष और बड़े समाजी फ़ैसलों के मैदान में मौजूद रहने के पहलू से फ़ातेमा ज़हरा, सबसे ऊंचे स्थान पर हैं। यानी पैग़म्बर की वफ़ात के बाद, ख़िलाफ़त के मामले में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा अपने पूरे वुजूद के साथ, अपने बयान के साथ, अपने ज्ञान के साथ, अपनी कोशिशों के साथ, अपने पूरे अस्तित्व के साथ मैदान में आ गईं। इमाम ख़ामेनेई 8 दिसम्बर 1993
20/12/2021
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने कर्बला की दुखद घटना के बाद लगभग 34 साल उस समय के इस्लामी माहौल में जीवन बिताया और उनका यह जीवन हर तरह से पाठ है। काश जो लोग, इस जीवन की बेजोड़ विशेषताओं को जानते हैं, वे इसे लोगों के लिए, मुसलमानों बल्कि ग़ैर मुस्लिमों के लिए बयान करते ताकि मालूम होता कि कर्बला की घटना के बाद जो, (दुष्ट यज़ीद की तरफ़ से) सच्चे इस्लाम के शरीर पर एक गहरा वार थी, चौथे इमाम ने किस तरह प्रतिरोध करके धर्म को ख़त्म होने से बचाया है।
20/12/2021
इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिवस के अवसर पर हज़रत के बारे में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई के संबोधनों के कुछ चुनिंदा हिस्से पेश किए जा रहे हैं।
19/12/2021
फ़ातेमा ज़हरा जन्नत की औरतों की सरदार हैं। बहादुरी का सबक़, त्याग का पाठ, दुनिया से दिल न लगाने का पाठ, अल्लाह की पहचान की शिक्षा, दूसरों के मन में अल्लाह की पहचान को उतर देने का पाठ, इंसान को मुफ़क्किर बना देने का पाठ, ये सब हज़रत फ़ातेमा ज़हरा के सिखाए हुए पाठ हैं। इमाम ख़ामेनेई 18 फ़रवरी 2018
18/12/2021
हक़ीक़त में फ़ातेमा ज़हरा नूर की सुबह हैं जिनके नूरानी हलक़े से इमामत व विलायत और नुबूव्वत का सूरज जगमगाता है। वे एक ऊंचा आसमान हैं जिसकी गोद में विलायत के दमकते हुए सितारे पलते हैं। इमाम ख़ामेनेई 22 अक्तूबर 1997
18/12/2021
ख़ानदाने रसूल के अनमोल मोती फ़ातेमा ज़हरा, सिद्दीक़ए ताहेरा सलामुल्लाह अलैहा की शहादत। “75 दिन वाली रिवायत” के मुताबिक़ ये दिन हज़रत फ़ातेमा की शहादत के दिन हैं। इन दिनों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का दिल टूटा हुआ है, सीना ग़म और दर्द से भरा हुआ है। मगर उनके इरादे और हिम्मत व हौसले में कोई कमज़ोरी नहीं है। यह हमारे और आपके लिए सबक़ है। इमाम ख़ामेनई 24 फ़रवरी 2016
17/12/2021
रूहानी और इलाही दर्जों तक पहुंचने में औरत और मर्द में कोई फ़र्क़ नहीं है। अल्लाह, इतिहास में हज़रत फ़ातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा जैसी महिला की रचना करता है जो इस हदीस के मुताबिक़ कि “हम अल्लाह की रचनाओं पर उसकी हुज्जत हैं और फ़ातेमा हम पर अल्लाह की हुज्जत हैं” अल्लाह की हुज्जत हैं, वे अल्लाह की हुज्जत की भी हुज्जत हैं, इमामों की माँ हैं, क्या इससे बढ़ कर भी कोई शख़्सियत हो सकती है? इमाम ख़ामेनेई 1 मई 2013
16/12/2021
हज़रत ज़ैनब इस्लामी इतिहास नहीं बल्कि पूरी इंसानियत के इतिहास की अज़ीम हस्ती हैं। जिस अंदाज़ से आपने ‎अमल किया पुरुषों और महिलाओं में शायद ही कोई होगा जो इस मज़बूती से कठिन मैदान में क़दम रखे। इमाम ख़ामेनेई ‎1 जनवरी 2020‎
15/12/2021
हज़रत ज़ैनब की महानता का राज़ क्या है? यह नहीं कह सकते कि आप हज़रत अली की बेटी या इमाम हुसैन की ‎बहन हैं इसलिए आपकी यह महानता है। सारे इमामों की बेटियां, माएं और बहनें थीं लेकिन हज़रत ज़ैनब जैसा कौन ‎है? हज़रत ज़ैनब की महानता उनके फ़ैसले और महान इस्लामी व इंसानी अमल की वजह से है जिसे धार्मिक फ़र्ज़ ‎के आधार पर आपने अपनाया। ‎ इमाम ख़ामेनेई ‎ ‎13 नवम्बर 1991
16/12/2021
कोशिश कीजिए कि नमाज़ को 'अव्वल वक़्त' पर अदा करें, ध्यान से पढ़े। मेरे प्यारो! क़ुरआन में दिल लगाइए, उसमें दिलचस्पी पैदा कीजिए। क़ुरआन की तिलावत रोज़ाना कीजिए, चाहे चंद आयतें ही पढ़ लीजिए! इमाम ख़ामेनेई 13 दिसम्बर 2016
13/12/2021
हज़रत ज़ैनब के शुभ जन्म दिन और नर्स दिवस पर आयतुल्लाह ख़ामेनेई की स्पीचः हज़रत ज़ैनब ने पूरी दुनिया को औरत की ताक़त से आगाह किया, पहाड़ को हिला देने वाली मुसीबतों पर हज़रत ज़ैनब का सब्र, हज़रत ज़ैनब ने बयान और अभिव्यक्ति का जेहाद किया।
12/12/2021
इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने नर्स डे के उपलक्ष्य में नर्सेज़ और मेडिकल विभाग के शहीदों के घर वालों से मुलाक़ात में हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की शख़सियत के कुछ अहम पहलुओं पर रौशनी डाली है। इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने नर्स डे के उपलक्ष्य में नर्सेज़ और मेडिकल विभाग के शहीदों के घर वालों से मुलाक़ात में कहा है कि हज़रत ज़ैनबे कुबरा सलामुल्लाह अलैहा ने पूरी तारीख़ और पूरी दुनिया को, औरत की महान आत्मिक व बौद्धिक योग्यता दिखाने में सफलता हासिल की। हज़रत ज़ैनब ने दो बिंदु दिखाए। एक बिंदु यह कि औरत, सब्र और सहनशीलता का एक महासागर हो सकती है और दूसरे यह कि औरत बुद्धिमत्ता और युक्ति की एक ऊंची चोटी बन सकती है।