सवालः मैं बालिग़ हो चुका हूं और मेरी ख़ालाज़ाद और मामूज़ाद बहनें पर्दे का ‎ख़याल नहीं रखतीं। उनसे बात करता हूं तो उनके बाल नज़र आते हैं। ‎मैं क्या करूं? अगर बात करूं और उनकी तरफ़ न देखूं तो वे इसे तौहीन ‎समझती हैं और नाराज़ हो जाती हैं, मुझे क्या करना चाहिए? ‎

जवाबः ना महरम ख़ातून को देखना जायज़ नहीं है। सिर्फ़ चेहरा और कलाई ‎तक हाथ खुले रह सकते हैं। वह भी इस शर्त के साथ कि मेकअप न हो ‎और लज़्ज़त की नज़र से न देखा जाए। अगर अम्र बिलमारूफ़ और नहि ‎अनिल मुनकर की शर्तें मुहैया हैं तो अदब के दायरे में रहते हुए अम्र ‎बिलमारूफ़ और नहि अनिल मुनकर करना ज़रूरी है।‎