हक़ीक़त में फ़ातेमा ज़हरा नूर की सुबह हैं जिनके नूरानी हलक़े से इमामत व विलायत और नुबूव्वत का सूरज जगमगाता है। वे एक ऊंचा आसमान हैं जिसकी गोद में विलायत के दमकते हुए सितारे पलते हैं। इमाम ख़ामेनेई 22 अक्तूबर 1997