हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) के शहादत दिवस पर, सोमवार 24 नवम्बर 2025 की रात को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में, इस्लामी इंक़ेलाब के नेता और हज़ारों की तादाद में श्रद्धालुओं की शिरकत से मजलिस का आयोजन हुआ। यह लगातार चौथी रात मजलिस का आयोजन था।
हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन जनाब मसऊद आली ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने सामाजिक स्तर पर अच्छाई को फैलाने और बुराई को रोकने के रोल और समाज में उसके प्रभाव और उससे आगे सत्य के मोर्चे पर उसके प्रभाव की व्याख्या में कहा, "हज़रत ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा ने अपने व्यवहार और बयान से सत्य के मोर्चे की सबसे बड़ी नेकी यानी अमीरुल मोमेनीन अली अलैहिस्सलाम की रक्षा की और सबसे बड़ी बुराई को रोककर यानी सत्य के मोर्चे से विचलन को रोककर हक़ीक़त में वे सत्य के मोर्चे की रक्षक बन गयीं।"
जनाब महमूद करीमी ने हज़रत ज़हरा की शान का नौहा और मर्सिया पढ़ा।