हुज्जतुल इस्लाम वलमुस्लेमीन जनाब रहीम शरफ़ी ने मजलिस पढ़ी। उन्होंने पवित्र क़ुरआन की आयतों के हवाले से इस्लामी समाज में दुश्मन की योजना और लक्ष्यों की व्याख्या करते हुए कहा, "फूट और मतभेद", "पैठ", "शक पैदा करना" और "आर्थिक पाबंदियां" वे चीज़ें हैं जिनके ज़रिए दुश्मनों ने इस्लामी समाज के रेज़िस्टेंस और दृढ़ता को तोड़ने की हमेशा कोशिश की है, इसलिए दुश्मन के लक्ष्यों की ओर से सावधान रहना चाहिए।

मजलिस में जनाब सईद हद्दादियान ने हज़रत ज़हरा की शान का नौहा और मर्सिया पढ़ा।