चुनाव अवाम के इरादे और निर्णय का प्रतीक है

संसद जितनी ताक़तवर होगी मुल्क में काम करने की संभावना उतनी ज़्यादा होगी।

दूसरे चरण के चुनाव की अहमियत पहले चरण से कम नहीं है।

वोट कास्ट करने के बाद नेशनल मीडिया से रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई की गुफ़तगूः 

रिपोर्टरः आली जनाब की सेवा में सलाम पेश करता हूं, हज़रत फ़ातेमा मासूमा सलामुल्लाह अलैहा के शुभ जन्म दिवस और (दानशीलता के शीर्षक के तहत दस दिन तक चलने वाले) अशरए करामत व सख़ावत के आग़ाज़ की मुबारकबाद पेश करता हूं। आपने संसद के पहले चरण के चुनाव में मतदान करते वक़्त महान ईरानी क़ौम से ख़ेताब करते हुए फ़रमाया थाः "नेक कामों में एक दूसरे से आगे निकलो" और यह भी कि नेक काम में "इस्तेख़ारे" की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन शायद दूसरे चरण के चुनाव कुछ अहले वतन की नज़र में ज़्यादा अहम नहीं हैं। तो आप दूसरे चरण के चुनाव के सिलसिले में प्रिय ईरानी क़ौम को क्या संदेश देना चाहेंगे?

आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेईः

बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम

सलाम करना चाहूंगा उन सभी लोगों को जो ये बातें सुन रहे हैं, यहां उपस्थित लोगों और आदरणीय एनाउंसर को भी। इंशाअल्लाह आप सब कामयाब हों।

चुनाव अपने आप में मुल्क के लिए और अवाम के लिए एक बहुत ही अहम व बुनियादी काम है। चुनाव, मैदान में अवाम की मौजूदगी की निशानी और अवाम के इरादे व निर्णय का चिन्ह है। इसलिए हर उस इंसान का क़ौमी फ़रीज़ा है कि चुनाव में शरीक जो चाहता है कि मुल्क तरक़्क़ी करे, काम करे और बड़े लक्ष्य तक पहुंचे। चुनाव के पहले और दूसरे चरण में कोई फ़र्क़ नहीं है। वही अहमियत जो पहले चरण की है, दूसरे चरण की भी है।

आपने पहले चरण में कुछ लोगों को चुनकर संसद में भेजा, लेकिन अभी सदन पूरा नहीं हुआ है, दूसरे चरण में इसे पूरा कीजिए। अगर हमने एक जगह शिरकत की, मिसाल के तौर पर तेहरान में और कुछ प्रतिनिधियों को चुना, कुछ रह गए हैं और हम ने शिरकत न की तो मानो हमने काम अधूरा छोड़ दिया। इसलिए दूसरे चरण की अहमियत पहले चरण से कम नहीं है। 

इंशाअल्लाह हमारे अज़ीज़ अवाम सब शरीक हों, वोट डालें और संसद को पूरा करें। वोटिंग जितनी ज़्यादा होगी संसद उतनी ज़्यादा ताक़तवर होगी। संसद जितनी ताक़तवर होगी मुल्क में काम की संभावना उतनी ज़्यादा होगी।

इंशाअल्लाह कामयाब रहें, और आप सब पर अल्लाह का सलाम और उसकी रहमत हो।

ख़वातीन व हज़रात ख़ुदा हाफ़िज़