नमाज़ को बढ़ावा देने और इस पाक सुन्नत के जारी रहने पर मैं अल्लाह का शुक्रगुज़ार हूं और रौशन फ़िक्र के मालिक व संघर्षशील आलिम, जनाब हुज्जतुल मुस्लेमीन क़ेराअती साहब का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने इस बर्कतों वाले क़दम की स्थापना की। नमाज़ को मुसलमान लोगों और समाज में रोज़मर्रा की ज़रूरतों की पंक्ति में नहीं रखा जा सकता। इस महान फ़रीज़े का, इन ज़रूरतों से कहीं ज़्यादा अहम किरदार है। इसे इंसान की दूसरी भौतिक ज़रूरतों के मुक़ाबले में इंसानी जिस्म के लिए आत्मा या हवा की तरह समझा जा सकता है। ये जो सभी इबादतों और अल्लाह के लिए की जाने वाली सेवाओं का क़ुबूल होना नमाज़ पर निर्भर किया गया है, ये जो पैग़म्बरे इस्लाम को नमाज़ और उसे क़ायम करने का हुक्म दिया गया है, ये जो भले लोगों की हुक्मरानी में पहला वाजिब नमाज़ को समझा गया है और ये जो क़ुरआन मजीद में किसी भी दूसरे वाजिब से ज़्यादा नमाज़ क़ायम करने पर ताकीद की गयी है, ये सब अल्लाह के इस फ़रीज़े के बेनज़ीर मक़ाम की दलील है।

नौजवान नस्ल और बच्चों के बीच नमाज़ को रायज करना, अल्लाह की इस नेमत को बढ़ावा देने और इसकी अदायगी को इसके योग्य मक़ाम तक पहुंचाने की कुंजी है। घर से लेकर स्कूल तक, कॉलेज यूनिवर्सिट़ी तक, स्पोर्ट्स के मैदानों तक, स्कूलों, कालेजों और यूनिवर्सिटियों के धर्मगुरूओं तक, मस्जिदों में स्वंयसेवी दल बसीज की अंजुमनों तक, बसीज की एक एक इकाई तक, निर्माण जेहाद के पूरे विभाग और इसी तरह के दूसरे गुटों तक बच्चों और जवानों के मामलों से संबंधित लोगों, विभागों और गुटों, सभी लोगों को चाहिए कि वे इस बात को समझें कि "नमाज़ क़ायम करो" में उनसे ख़ेताब किया गया है, वे नमाज़ सीखने, नमाज़ पढ़ने और इसका मर्तबा बुलंद रखने की राहों को नई नस्ल के लिए समतल करें। नमाज़ को, मस्जिद को, ध्यान को, नमाज़ के मानी पर तवज्जो को, नमाज़ से संबंधित मसलों की जानकारी हासिल करने की राह को आकर्षक बनाएं और सही मानी में नमाज़ क़ायम करें।

अल्लाह से सभी लोगों के लिए कामयाबी की दुआ करता हूं।

सैय्यद अली ख़ामेनेई

05/01/2024