बहुत से लोग नमाज़ के लफ़्ज़ों के मानी को नहीं समझते या बहुत थोड़ा समझते हैं, वो भी अगर नमाज़ की हालत में और उसके लफ़्ज़ों को अदा करते हुए इस बात की ओर ध्यान रखें कि वो अल्लाह से बात कर रहे हैं तो इसका असर होगा। मतलब ये कि इंसान नमाज़ पढ़ते हुए मानसिक तौर पर हाज़िर रहे और अल्लाह के सामने अपनी हाज़िरी को महसूस करे तो असर होगा।
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
सारी तारीफ़ पूरी कायनात के मालिक के लिए और दुरूद व सलाम हो हज़रत मोहम्मद और उनकी पाक नस्ल ख़ास तौर पर पूरी कायनात के लिए अल्लाह की आख़िरी हुज्जत इमाम महदी पर जिन पर हमारी जाने क़ुरबान हों।
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के शुभ जन्म दिन की पूर्व संध्या पर स्कूली बच्चियों के जश्ने इबादत के प्रोग्राम में रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई शरीक हुए। 3 फ़रवरी 2023 को आयोजित होने वाले इस प्रोग्राम में रहबरे इंक़ेलाब ने अपने मुख़्तसर ख़ेताब में मासूम बच्चियों से बड़ी दिलचस्प और सबक़ आमोज़ गुफ़तुगू की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता की तक़रीर का हिंदी अनुवादः
हर शख़्स अपनी क्षमता भर नमाज़ से फ़ैज़ हासिल करता है। अलबत्ता इसमें नौजवान और बच्चे सबसे आगे हैं। तवज्जो और ख़ुलूस से पढ़ी जाने वाली नमाज़ से उन्हें सबसे ज़्यादा फ़ायदा हासिल होता है।
इमाम ख़ामेनेई
26/01/2023
दिल सिर्फ़ नमाज़, दुआओं और अल्लाह की याद से पाक होता है। अगर कोई यह समझता है कि इन चीज़ों के बिना ही वह अपने दिल को पाकीज़ा बना सकता है तो वह बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में है। आधी रातों को रोने से, ग़ौर के साथ क़ुरआन पढ़ने से , सहीफ़ए सज्जादिया की दुआएं पढ़ने से इन्सान का दिल पाकीज़ा बनता है। यह नहीं होता कि हम कहें कि जनाब जाइए अपना दिल साफ़ करके आइए फिर जो जी में आए कीजिए।