मुफ़ज़्ज़ल बिन अम्र ने इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत की है कि इमाम ने ईमान के पूरा होने के लिए चार ख़ूबियों का ज़िक्र फ़रमाया हैः (1) सबसे पहले अपना अख़लाक़ अच्छा कीजिए। घर में बीवी, बच्चों, माँ, बाप से, दोस्तों से, साथ में काम करने वालों से, समाज में आम लोगों से अच्छे अख़लाक़ का प्रदर्शन कीजिए। इसके मुक़ाबले में बदअख़लाक़ी है। यह बदअख़लाक़ी उन कामों को जो आप ईमान के साथ, अपने भले कर्मों के साथ अंजाम देते हैं, ख़राब कर देती है। अच्छा अख़लाक़ बहुत बड़ी नेकी है। (2) दूसरे यह कि उसके अंदर दानशीलता हो, कंजूस लोगों में न हो। (3) तीसरे यह कि ज़्यादा बातें न करे (अलबत्ता) जहाँ बोलना ज़रूरी हो, स्थिति का तक़ाज़ा हो, वहाँ ख़ामोशी, रज़ामंदी की दलील है, वहाँ चुप रहना जायज़ नहीं है। कुछ जगहों पर चुप रहने का गुनाह बोलने से ज़्यादा है। मोमिन की चौथी (4) ख़ूबी यह है कि अपना इज़ाफ़ी माल जो उसकी ज़रूरत से ज़्यादा हो, निकाल देता है यानी इज़ाफ़ी माल, जितना भी उसकी ज़रूरत से ज़्यादा है, उसे अपने पास नहीं रखता बल्कि दूसरों को दे देता है।

इमाम ख़ामेनेई

10/03/2019