बिस्मिल्लाह-अर्रहमान-अर्रहीम

प्यारी बच्चियो! सबसे पहले तो यह कि आपका नग़मा बहुत अच्छा था, उसके शेर भी अच्छे थे, उसकी धुन भी अच्छी थी और आप लोगों ने उसे बहुत अच्छे अंदाज़ में पढ़ा भी। मैं आपको इबादत के जश्न की मुबारकबाद पेश करता हूं, अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के जन्म दिवस पर भी अपनी प्यारी बच्चियों को मुबारकबाद देता हूं। अल्लाह आप सबको कामयाब करे! मेरी अज़ीज़ बच्चियो! प्यारी कलियो! आपने आज रात अपनी वाजिब नमाज़ इस इमामबाड़े में जमाअत से अदा की। अल्लाह क़ुबूल करे इंशाअल्लाह।

इबादत के वाजिब होने का जश्न, जिम्मेदार बनने का जश्न

प्यारी बच्चियो! शरीअत की नज़र से इबादत के वाजिब होने का जश्न, एक हक़ीक़ी जश्न है, वाक़ई जश्न है, वाक़ई ईद है। क्यों? इसलिए कि जिस लम्हे आप पर शरीअत की नज़र से इबादतें वाजिब होती हैं, उसी वक़्त से आप अल्लाह से बात करती हैं और वह आपसे बात करता है, यानी आप में यह सलाहियत पैदा हो गयी है कि अल्लाह आपसे बात करे, आपको शरई हुक्म दे और आप उसे अंजाम दें, यह इंसानी दुनिया का एक क़ीमती रुतबा है कि इंसान को अल्लाह संबोधित करे, पूरी कायनात का चलाने वाला, इंसान से बात करे। इबादत के जश्न का मतलब यह है कि अब आप बच्ची नहीं रह गई हैं, बड़ी हो गयी हैं, ज़िम्मेदारी क़ुबूल करने के लायक़ हो गई हैं और अपने घर में, अपने स्कूल में, दोस्तों के साथ खेल के मैदान में आप असर डाल सकती हैं। आप दूसरों को भी सीधे रास्ते की तरफ़ हिदायत कर सकती हैं, रहनुमाई कर सकती हैं, यह वह ज़िम्मेदारी है जो हम सबके कांधों पर है। आप जैसी लड़की में, जिस पर अभी अभी शरीअत की तरफ़ से इबादतें वाजिब हुयी हैं और एक बड़ी औरत या बूढ़े मर्द में, अल्लाह की नज़र में इबादत के वाजिब होने के लेहाज़ से कोई फ़र्क़ नहीं है।

नमाज़ में अल्लाह की ओर ध्यान और शरीअत के हुक्म पर अमल अल्लाह से दोस्ती का रास्ता

आप बच्चियों को, अपनी प्यारी बच्चियों को मैं जो नसीहत करना चाहता हूं, वह यह है कि अल्लाह से दोस्ती कीजिए। कोशिश कीजिए कि नौजवानी के आग़ाज़ से ही मेहरबान अल्लाह की दोस्त बन जाइए। अल्लाह से दोस्ती कैसे हो? अल्लाह से दोस्ती का एक रास्ता तो यही है जो आप नमाज़ में उससे बात करती हैं, इस बात पर ध्यान रखिए कि आप अल्लाह से बात कर रही हैं, नमाज़ के इन लफ़्ज़ों के मानी सीखिए, सूरए अलहम्द, दूसरे सूरे और जो कुछ रुकू और सजदों में आप पढ़ती हैं, उसका ट्रांसलेशन अपने बड़ों से और अपने टीचरों से सीखिए। जब आप नमाज़ पढ़ती हैं तो इस तरह नमाज़ पढ़िए कि आप अल्लाह से बातें कर रही हैं, इस तरह अल्लाह से दोस्ती हो जाती है, उससे दोस्ती की राहों में से एक यह है। अल्लाह से दोस्ती का एक रास्ता यह भी है कि इस बात का ख़्याल रखिए कि जिन चीज़ों से अल्लाह ने रोका है, उन्हें मत कीजिए, जिन चीज़ों को करने के लिए अल्लाह ने कहा है, उन्हें अंजाम दीजिए। अल्लाह से दोस्ती का रास्ता यह है, आज आपके दिल रौशन हैं, नूरानी हैं, पाकीज़ा हैं, आप आज ही से अल्लाह की दोस्त बन सकती हैं।

 

मौजूदा दौर में अलग अलग मैदानों में महान महिलाओं की कामयाबी तक पहुंचने की राह

अभी आपने अपने नग़मे में, आपने बड़ी ख़ूबसूरती से उसे दोहराया, आपने कहा कि यह ईरान है। आपका मुल्क, आपके प्रिय ईरान में अतीत में महान महिलाएं गुज़री हैं और मैं आपको बताऊं कि आज हमारी नुमायां महिलाएं, अतीत से कहीं ज़्यादा हैं। हमारे सभी साइंटिफ़िक, जेहादी, बड़ी ज़िम्मेदारियों वाले कामों और प्राशनिक विभागों में अहम और नुमायां महिलाएं मौजूद हैं, यह हमारे लिए फ़ख़्र की बात है। मुल्क की नुमायां महिलाएं फ़ख़्र किए जाने के क़ाबिल हैं -हर मुल्क में नुमायां महिलाएं होनी चाहिएं- और हमारे मुल्क में ऐसी महिलाएं ज़्यादा हैं। आप कोशिश कीजिए कि इन महिलाओं की पंक्ति में आ जाएं। कैसे? पढ़ाई कीजिए, अपने सबक़ अच्छी तरह पढिए, होमवर्क अच्छी तरह कीजिए, काम कीजिए, ग़ौर व फ़िक्र कीजिए, किताब पढ़िए ताकि इंशाअल्लाह आगे चल कर महान महिलाओं की पंक्ति में शामिल हो जाइये।

मेरी दुआ है कि अल्लाह आप सबको कामयाब करे। आप उस महा संघर्ष में किरदार अदा कर सकती हैं जिसे ईरानी क़ौम ने इंक़ेलाब के दौरान, ज़ुल्म, दुर्भाग्यपूर्ण हालात, भेदभाव के ख़िलाफ़ शुरू किया है, जैसा कि इससे पहले भी बहुत सी औरतों ने किरदार अदा किया है और नुमायां कारनामे अंजाम दिए हैं और आज उनके कामों के बारे में किताबें लिखी गयी हैं, छपवायी गयी हैं और मुल्क में इंक़ेलाब के उन बरसों के दौरान नुमायां महिलाओं की कोशिशों और संघर्ष के बारे में लोग पढ़ रहे हैं। इंशाअल्लाह आप भी उनकी पंक्ति में शामिल हो जाएं।

इससे पहले कि अब हम अपनी इशा की नमाज़ शुरू करें आप लोग बुलंद आवाज़ से पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अहलेबैत पर दुरूद भेजिए।