हज के पैग़ाम का एक अस्ली स्तंभ मुसलमानों की एकता है। यानी सियासी व कल्चरल मैदान की अहम हस्तियां #पहले_विश्व_युद्ध के बाद पश्चिमी सरकारों के हाथों पश्चिमी एशिया के राजनैतिक और भौगोलिक विभाजन के कड़वे अनुभव को दोहराने की अनुमति न दें।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
हज, आज और कल के इंसान की अख़लाक़ी गिरावट के लिए साम्राज्यवाद और ज़ायोनीवाद की तरफ़ से रची गई सभी साज़िशों को नाकाम और बेअसर बना सकता है। आलमी सतह पर यह असर डालने के लिए ज़रूरी शर्त यह है कि मुसलमान पहले क़दम के तौर पर हज के हयात-बख़्श पैग़ाम को पहले ख़ुद सही तरीक़े से सुनें और उस पर अमल करने में कोई कसर न छोड़ें।
#हज के लिए #इब्राहीमी एलान और उनकी वैश्विक दावते-आम ने एक बार फिर इतिहास की गहराइयों से पूरी धरती को संबोधित किया है और आमादा और ज़िक्र में मसरूफ़ दिलों में शौक़ और हलचल पैदा कर दी है।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
#हज का सिस्टम इंसानी समाज की बुलंदी और सारे इंसानों की सेहत और सलामती में मददगार बन सकता है। हज सारी इंसानियत को आध्यात्मिक बुलंदी और रूहानी व अख़लाक़ी ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है और यह मौजूदा दौर के इंसान की अहम ज़रूरत है।
इमाम ख़ामेनेई
25 जून 2023
भेदभाव को ख़त्म करने की इस्लाम की ज़बान दरअस्ल अमल की ज़बान है, कहाँ? हज में। काले हैं, गोरे हैं, दुनिया के फ़ुलां क्षेत्र से आए हैं, फ़ुलां तहज़ीब के हैं, फ़ुलां तारीख़ के हैं, सब एक साथ बिना किसी भेदभाव के, एक साथ हैं, कोई भेदभाव नहीं है। ये हज के राज़ हैं, इन्हें मारेफ़त के साथ अंजाम देना चाहिए।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2023
इस्लाम नस्लों के बीच समानता का अमली तौर पर पैग़ाम देता है। हज में काले भी हैं, गोरे भी हैं। दुनिया के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों, दुनिया की मुख़्तलिफ़ तहज़ीबों और अलग अलग ऐतिहासिक बैक ग्राउंड के लोग सब एक दूसरे के साथ होते हैं। यह हज के अहम रहस्यों में से है।
इमाम ख़ामेनेई
17 मई 2023
अगर आप ने एक दिन देखा कि, अल्लाह वह दिन कभी न लाए, कोई हज पर जाने वाला नहीं है, तो आप पर वाजिब है कि हज के लिए जाएं, चाहे इससे पहले आप दस बार हज कर चुके हों। इस घर, इस असली व बुनियादी केन्द्र को कभी भी ख़ाली नहीं रहना चाहिए। "लोगों को सहारा देने वाली बुनियाद" यह इबारत बहुत अहम है।
क़ुरआन में हज के बारे में कई आयतें हैं। एक सूरए मायदा की आयत है जिसमें अल्लाह कहता है किः "ख़ुदा ने काबा को जो एहतेराम वाला घर है लोगों की मज़बूती और कामयाबी का मरकज़ बनाया है।" मायदा 97
ख़ुदा ने काबे को समाज की बक़ा और मज़बूती का ज़रिया बनाया है। यह बहुत अहम है। यानी अगर हज का वजूद न हो और हज अंजाम न पाए तो इस्लामी उम्मत और इस्लामी समाज बिखर जाएगा।
दूसरी सूरए हज की आयत हैः "और लोगों में हज का एलान कर दो कि लोग (आपकी आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए) आपके पास आएंगे। पैदल और हर दुबली सवारी पर कि वो सवारियां दूरदराज़ से आई हुई होंगी। ताकि वो अपने फ़ायदों के लिए हाज़िर हों।" सूरए हज 27 व 28
क़ौम, उम्मते इस्लामी, अवाम, दुनिया के कोने कोने से हज के लिए आएं ताकि अपनी आंखों से अपने फ़ायदों को देखें। फ़ायदों की आमाजगाह में ख़ुद मौजूद हों।
इमाम ख़ामनेई
17 मई 2023
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने हज संस्था के अधिकारियों, कर्मचारियों और कुछ हाजियों से मुलाक़ात में हज के बारे में सही नज़रिये और इस अहम फ़रीज़े के बारे में सही समझ पर बल दिया और कहा कि हज एक विश्वस्तरीय व सभ्यता से संबंधित विषय है जिसका मक़सद इस्लामी जगत का उत्थान, मुसलमानों के दिलों को एक दूसरे के क़रीब लाना और कुफ़्र, ज़ुल्म, साम्राज्यवाद, इंसानी और ग़ैर इंसानी बुतों के ख़िलाफ़ इस्लामी जगत की एकता है।
वह मक़सद इस्लामी उम्मत का इत्तेहाद है। किस के मुक़ाबले में? कुफ़्र के मुक़ाबले में, ज़ुल्म के मुक़ाबले में, इम्पेरियलिस्ट ताक़तों के मुक़ाबले में, इंसानी व ग़ैर इंसानी बुतों के मुक़ाबले में। उन तमाम चीज़ों के मुक़ाबले में जिन्हें ख़त्म करने के लिए इस्लाम आया।
हज के लिए रवानगी से पहले हज संस्था के अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और कुछ हाजियों ने रहबरे इंक़ेलाबे इस्लामी से मुलाक़ात की। 17 मई 2023 को होने वाली इस मुलाक़ात में इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने हज में छिपे गहरे अर्थों और तालीमात और फ़ायदों पर रौशनी डाली और ज़िम्मेदारियों के सिलसिले में कुछ निर्देश दिए।