क़ुरआन में हज के बारे में कई आयतें हैं। एक सूरए मायदा की आयत है जिसमें अल्लाह कहता है किः "ख़ुदा ने काबा को जो एहतेराम वाला घर है लोगों की मज़बूती और कामयाबी का मरकज़ बनाया है।" मायदा 97
ख़ुदा ने काबे को समाज की बक़ा और मज़बूती का ज़रिया बनाया है। यह बहुत अहम है। यानी अगर हज का वजूद न हो और हज अंजाम न पाए तो इस्लामी उम्मत और इस्लामी समाज बिखर जाएगा।
दूसरी सूरए हज की आयत हैः "और लोगों में हज का एलान कर दो कि लोग (आपकी आवाज़ पर लब्बैक कहते हुए) आपके पास आएंगे। पैदल और हर दुबली सवारी पर कि वो सवारियां दूरदराज़ से आई हुई होंगी। ताकि वो अपने फ़ायदों के लिए हाज़िर हों।" सूरए हज 27 व 28
क़ौम, उम्मते इस्लामी, अवाम, दुनिया के कोने कोने से हज के लिए आएं ताकि अपनी आंखों से अपने फ़ायदों को देखें। फ़ायदों की आमाजगाह में ख़ुद मौजूद हों।
इमाम ख़ामनेई
17 मई 2023