भेदभाव को ख़त्म करने की इस्लाम की ज़बान दरअस्ल अमल की ज़बान है, कहाँ? हज में। काले हैं, गोरे हैं, दुनिया के फ़ुलां क्षेत्र से आए हैं, फ़ुलां तहज़ीब के हैं, फ़ुलां तारीख़ के हैं, सब एक साथ बिना किसी भेदभाव के, एक साथ हैं, कोई भेदभाव नहीं है। ये हज के राज़ हैं, इन्हें मारेफ़त के साथ अंजाम देना चाहिए।

इमाम ख़ामेनेई 

17 मई 2023

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