रहमान अल्लाह की आम रहमत है जिसका दायरा संसार की सभी चीज़ों पर फैला हुआ है लेकिन कम मुद्दत के लिए यानी क़यामत से पहले तक, रहीम यानी अल्लाह की वो रहमत जो मोमिनों से मख़सूस है और किसी ख़ास वक़्त तक सीमित नहीं है बल्कि हमेशा है।
सवालः अगर किसी शहर में शव्वाल (ईद) का चाँद दिखाई न दे लेकिन रेडियो और टीवी पर चाँद के नज़र आने की ख़बर दी जाए तो क्या ये काफ़ी है या और छानबीन करना वाजिब है?
जवाबः अगर उस ख़बर से यक़ीन हासिल हो जाए या चाँद होने का इत्मेनान हो जाए या वलीए फ़क़ीह की ओर से चाँद होने का हुक्म जारी किया गया हो तो ये काफ़ी है और छानबीन की ज़रूरत नहीं है।
अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की पूरी ज़िंदगी सरापा ख़ालिस जेहाद है। बचपन में इस्लाम लाने से लेकर 63 साल की उम्र में शहादत तक ज़िंदगी का एक भी लम्हा ख़ालिस जेहाद से ख़ाली नहीं। इस्लाम के इतिहास में इतनी सेवाएं करने वाली कोई और हस्ती नहीं है। इमाम ख़ामेनेई 20 मई 1987
जब भूखा खाना खा लेता है तो जी भर जाता है और जब प्यासा पानी पी लेता है तो जी भर जाता है लेकिन अल्लाह के पैग़म्बर फ़रमाते हैं कि नमाज़ से मेरा जी कभी नहीं भरता।
हज़रत ख़दीजा शुरू से इस्लाम पर ईमान लाईं। उन्होंने अपनी सारी दौलत दावते इस्लाम और इस्लाम के प्रचार पर ख़र्च कर दी। अगर हज़रत ख़दीजा की मदद न होती तो शायद इस्लाम के सफ़र और इस्लाम के प्रचार में बड़ी रुकावट पेश आती। बाद में रसूले ख़ुदा और दूसरे मुसलमानों के साथ शेअब-ए-अबू तालिब में जाकर रहीं और वहीं उन्होंने आख़िरी सांस ली।
इमाम ख़ामेनेई
27 जून 1986
आप बहुत देखते हैं ऐसे जवानों को जो दुनिया से चले जाते हैं। तो इस सफ़र की मंज़िल निश्चित नहीं है कि आप जो आगे बढ़ रहे हैं, आप का कहाँ तक आगे बढ़ना और कहाँ गिरना तय है।
हम ख़याल रखें कि अपने काम में, अपनी बातों में, अपने वादों में सच्चे रहें, ये चीज़ अमल से समझ में आती है, ज़िंदगी में होने वाले बदलाव से समझ में आती है।
अमरीका, इस्लामी इंक़ेलाब को मानने के लिए क्यों तैयार नहीं है? इसलिए कि उसके हित ख़तरे में पड़ जाएंगे। इस वक़्त भी वो कह रहा है, खुलकर बिना किसी झिझक के कह रहा है कि ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी गणराज्य ने इलाक़े में हमारे हित को ख़तरे में डाल दिया है।
रमज़ानुल मुबारक के पहले दिन 12 मार्च 2024 को इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल के नाम से एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने क़ुरआन और तिलावत के विषय पर तक़रीर की। उन्होंने ग़ज़ा की जंग के बारे में भी कुछ बिंदु बयान किए।
रमजान का महीना अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने का महीना भी है और जेहाद का महीना भी। इस्लाम के आग़ाज़ में जंगे बद्र और फ़त्हे मक्का रमज़ान में थी। हालिया बरसों में क़ुद्स दिवस ईरानी क़ौम के संघर्ष का दिन रहा और इस साल बड़े पैमाने पर दूसरे राष्ट्रों ने भी इसमें साथ दिया।
इमाम ख़ामेनेई
22 अप्रैल 2023
ऐ परवरदिगार! मोहम्मद व आले मोहम्मद के सदक़े में हमें, जो मुल्क के किसी भी इलाक़े और क्षेत्र में हैं, तौफ़ीक़ दे कि तेरी मर्ज़ी व ख़ुशी के मुताबिक़ कर्म करें।
ऐ परवरदिगार! तुझे मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता इस मुबारक महीने के आख़िरी दिनों में पूरी ईरानी क़ौम पर मेहरबानी व रहमत नाज़िल कर। इस्लामी दुनिया को, शिया जगत को अपनी ख़ुसूसी मेहरबानी से नवाज़।
ऐ परवरदिगार! तुझे मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता, तू अपनी ख़ुशनूदी के असबाब हमें अता कर। इस मुबारक महीने में हमें अपनी रमहत और मग़फ़ेरत से महरूम न कर।
ऐ परवरदिगार! हम में से हर एक की, हमारी क्षमता भर, हमारी पोज़ीशन के मुताबिक़ और उस रोल के मुताबिक़ जो हम अदा कर सकते हैं, असत्य के मोर्चे के ख़िलाफ़, सत्य के मोर्चे की जीत में मदद कर।
ऐ परवरदिगार! मोहम्मद व आले मोहम्मद के सदक़े में, थोपी गयी जंग के शहीदों की पाक आत्माओं को और बलिदान देने वालों की यादों को हमारे मन और हमारे इतिहास में अमर कर दे।
ऐ परवरदिगार! इन दिनों और इन रातों की बरकत का वास्ता, अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम के पाक ख़ून की बरकत का वास्ता, हमारी क़ौम को दिन ब दिन सच्ची नजात व कामयाबी के क़रीब कर दे।
पालने वाले! हमारे भाइयों को, चाहे वे दुनिया में जहाँ भी हैं, कामयाब कर। ऐ परवरदिगार! इस्लाम के दुश्मनों को और मुसलमान क़ौमों के दुश्मनों को, वे दुनिया में जहाँ कहीं भी हैं, रूसवा और नाकाम कर।
वेस्ट को ईरानी महिलाओं से कोई हमदर्दी नहीं बल्कि दुश्मनी है। क्योंकि अगर महिलाओं की भागीदारी न होती तो इस्लामी इंक़ेलाब हरगिज़ कामयाब न होता। वाक़ई वेस्ट का औरतों के अधिकारों का दावा करना अच्छा नहीं लगता। आज भी पश्चिमी देशों में महिलाओं को बड़ी अहम मुश्किलों का सामना है।
इमाम ख़ामेनेई
5 अप्रैल 2023
ऐ परवरदिगार! तुझे हज़रत फ़ातेमा के हक़ का वास्ता हमें फ़ातेमी ज़िन्दा रख और फ़ातेमी हालत में मौत अता कर। ऐ परवरदिगार! तुझे मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता हमें फ़ातेमी महशूर कर।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम कि, जिन्हें करीमे अहलेबैत कहा जाता है, शुभ जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर फ़ारसी साहित्य की अहम हस्तियों और शायरों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से बुधवार की शाम मुलाक़ात की।
ऐ परवरदिगार! तुझे मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता! इस्लामी दुनिया को उसके हितों के बारे में जागरुक बना दे और मुसलमान अवाम, इस्लामी जगत, मुसलमान क़ौमों और मुसलमान शासकों की तरक़्क़ी और मसलेहत की राह की हिदायत कर।
ऐ अल्लाह! हम तेरे सबसे बड़े नाम के वास्ते से तुझसे मांगते हैं, या अल्लाह, या रहमान, या रहीम, ऐ दिलों को पलटने वाले, हमारे दिलों को अपने दीन पर क़ायम रख।
ऐ परवरदिगार! ईरानी क़ौम पर अपनी मदद नाज़िल कर। ऐ पालने वाले! इस्लामी उम्मत पर अपनी मदद नाज़िल कर। ऐ परवरदिगार! इस्लामी दुनिया में फ़ितना फैलाने वालों को ज़लील, अपमानित, बदनाम और रुस्वा कर दे।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 13 रमज़ानुल मुबारक 1444 हिरी क़मरी बराबर 4 अप्रैल 2023 को देश के उच्चाधिकारियों की एक बड़ी तादाद से मुलाक़ात में रमज़ान के महीने की अहमियत पर रौशनी डाली। आपने देश के हालात और आर्थिक स्थिति पर विस्तार से चर्चा की। इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने पश्चिमी देशों की तरफ़ से दुश्मनी की नीतियों का भी जायज़ा लिया। (1)
रमज़ान का महीना, दुआ का महीना है। दुआओं को मत भूलिए। रमज़ान के महीने के लिए जो दुआएं बतायी गयी हैं, वे उन नेमतों व मौक़ों में से हैं, जिनकी क़द्र करनी चाहिए। यह दुआए अबू हमज़ा सुमाली, दुआए इफ़्तेताह, दुआए जौशन कबीर और दूसरी दुआएं जो रमज़ान के महीने के दिनों, रातों और दूसरे ख़ास वक़्त के लिए बतायी गयी हैं, हक़ीक़त में अल्लाह की बड़ी नेमतों में से हैं।
इमाम ख़ामेनेई
23/02/1993
पालने वाले! हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे। हमारी नाफ़रमानियों, इसराफ़ और ज़्यादतियों को बख़्श दे। ऐ परवरदिगार! मोहम्मद व आले मोहम्मद का वास्ता, अपने वली और हुज्जत (इमाम महदी) की क़ुबूलशुदा दुआओं को हमारे शामिले हाल कर दे।