इतिहास में बहुत से दावेदार पैदा हुए हैं। ये दावेदार किसी एक निशानी को अपने ऊपर या किसी और पर मैच कर लेते थे। यह पूरी तरह ग़लत है। कुछ बातें जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ाहिर होने की निशानी के तौर पर बयान की जाती हैं, निश्चित नहीं हैं। यह ऐसी बातें हैं जिनका भरोसेमंद रवायतों में ज़िक्र नहीं मिलता। कमज़ोर रवायतों में ज़िक्र ज़रूर मिलता है इसलिए उनको माना नहीं जा सकता।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इंतेज़ार के मसले में बहुत बारीकी के साथ साइंटिफ़िक तरीक़े से काम करने की ज़रूरत है। इस सिलसिले में प्रचलित जाहेलाना बातों से सख़्ती से परहेज़ करना चाहिए क्योंकि इन बातों से इमाम महदी होने का झूठा दावा करने वालों के लिए रास्ता समतल होता है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इंतेज़ार का तक़ाज़ा यह है कि इंसान ख़ुद को उसी हालत में ढाले और वही अख़लाक़ व अंदाज़ अख़्तियार करे जो उस ज़माने के लिए मुनासिब है जिसका उसे इंतेज़ार है। हमें चाहिए कि न्याय को सपोर्ट करें, ख़ुद को हक़ के सामने समर्पित रहने के लिए तैयार करें। इंतेज़ार इस तरह की हालत पैदा कर देता है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इस्लाम में इमाम महदी अलैहिस्सलाम से संबंधित अक़ीदा पूरी तरह मान्य अक़ीदों में है। सभी इस्लामी मतों का यह मानना है कि अंततः दुनिया में इमाम महदी के हाथों न्याय व इंसाफ़ का राज क़ायम होगा।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
अगर इमाम महदी के प्रकट होने का अक़ीदा न हो तो इसका मतलब यह होगा कि पैग़म्बरों की सारी कोशिशें, यह सत्य की ओर दावत, ये पैग़म्बरों का भेजा जाना, ये सबके सब बेकार की कोशिश थी, बेफ़ायदा थी।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
इंसानियत ने इन गुज़री हुयी सदियों के दौरान पैग़म्बरों की शिक्षाओं के प्रभाव में जो कुछ किया है वह हक़ीक़त में उस राजमार्ग की ओर बढ़ने की कोशिश है जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम -अल्लाह उन्हें जल्द से जल्द ज़ाहिर करे- के ज़ाहिर होने के ज़माने में इंसानियत को उच्च लक्ष्यों की ओर ले जाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
09-07-2011
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के प्रकट होने का अक़ीदा जिस चीज़ की ख़ुशख़बरी देता है वह वही चीज़ है जिसके लिए सभी पैग़म्बर व ईश्वरीय दूतों को नियुक्त किया गया। यह मुख्य लक्ष्य है। इंसान का अल्लाह की ओर से दी गयी सभी सलाहियतों को इस्तेमाल करते हुए इंसाफ़ की बुनियाद पर तौहीद के अक़ीदे वाले समाज का गठन करना है।
इमाम ख़ामेनेई
09/07/2011
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लललाहो अलैहि वआलेही वसल्लम के अहलेबैत अलैहेमुस्सलाम से एक चमकता हुआ सूरज अल्लाह की कृपा और उसके इरादे से ज़मीन पर मौजूद है। उनके वजूद की बरकतें और उनके वजूद से निकलने वाला प्रकाश, आज भी इंसान तक पहुंच रहा है।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
शियों की यह विशिष्टता है कि वे सभी ईश्वरीय धर्मों की ओर से निश्चित तौर पर मान्य इस अल्लाह के वादे को इसके नाम, ख़ूबियों, ख़ुसूसियतों और पैदाइश की तारीख़ के साथ पहचानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
24/11/1999
मैंने एक दस्तावेज़ में देखा, साम्राज्यवादी कहते थे कि जब तक इमाम महदी पर इन लोगों का अक़ीदा है, तब तक हम इनके मुल्कों का कंट्रोल अपने हाथ में नहीं ले सकते। देखिए! इमाम महदी का अक़ीदा कितना अहम है! वे लोग कितनी ग़लती करते हैं जो रौशन फ़िक्री और बदलाव के नाम पर इस्लामी अक़ीदे पर, बिना अध्ययन के, बिना जानकारी के और यह जाने बिना कि वे क्या कर रहे हैं, सवालिया निशान लगाते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
16/12/1997
इंसान को पैग़म्बर, अल्लाह की ओर आने की दावत देने और उसकी ओर बुलाने वालों की हमेशा ज़रूरत है और ये ज़रूरत आज भी बाक़ी है। अल्लाह की ओर बुलाने वालों का यह सिलसिला आज भी टूटा नहीं है और इमाम महदी का पाकीज़ा वजूद जिन पर हमारी जाने क़ुर्बान हों, अल्लाह की ओर बुलाने वालों की आख़िरी कड़ी है।
इमाम ख़ामेनेई
20/9/2005
ये सिर्फ़ शिया नहीं हैं जो इमाम महदी अलैहिस्सलाम के आने का इंतेज़ार कर रहे हैं बल्कि मुक्तिदाता इमाम महदी के इंतेज़ार का अक़ीदा सभी मुसलमानों का अक़ीदा है। दूसरों और शियों में फ़र्क़ यह है कि शिया इस महान हस्ती को उसके नामो-निशान और मुख़्तलिफ़ ख़ुसूसियतों से जानते हैं।
इमाम ख़ामेनेई
20/5/2005
इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर ध्यान केन्द्रित करना दरअस्ल अल्लाह की बारगाह में बंदगी और अक़ीदत ज़ाहिर करना है। इमाम महदी अलैहिस्सलाम की तरफ़ तवज्जो केन्द्रित करते हैं, उनसे मदद मांगते हैं, उनकी बारगाह में सिर झुकाते हैं तो इसलिए कि हमारी यह अक़ीदत अल्लाह की बारगाह में पहुंचे और हमारा यह अमल अल्लाह की बारगाह में बंदगी समझा जाए।
इमाम ख़ामेनेई
10 मई 2017