इस्लामी दुनिया में बहुतों को क़ुरआन से लगाव नहीं है। एक कड़वी सच्चाई है। क्या इस्लामी देशों के नेता ग़ज़ा के बारे में क़ुरआनी हिदायत पर अमल कर रहे हैं? क़ुरआन हमसे कहता है किः "मोमेनीन मोमिनों को छोड़ कर काफ़िरों को दोस्त न बनाएं।" क्या इस आयत पर अमल हो रहा है?
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने 22 फ़रवरी 2024 को ईरान में चालीसवें अंतर्राष्ट्रीय क़ुरआन मुक़ाबले के प्रतिभागियों से ख़ेताब में क़ुरआन को मार्गदर्शन और चेतावनी देने वाली किताब क़रार दिया। आपने क़ुरआनी शिक्षाओं के विषय पर बात करते हुए ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के सिलसिले में इन शिक्षाओं पर अमल की मौजूदा स्थिति के बारे में कुछ अहम सवाल किए। (1)
क़ुरआन इंसान के दर्द और पीड़ा का इलाज है। चाहे रूहानी, मनोवैज्ञानिक और वैचारिक पीड़ाएं हों या इंसानी समाजों के दर्द, जंगें, ज़ुल्म, बेइंसाफ़ियां। क़ुरआन इन सब का इलाज है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क़ुरआन के 40वें अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में भाग लेने वालों और जनता के विभिन्न वर्गों के हज़ारों लोगों ने इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
क़ुरआन मार्गदर्शन की किताब है। मार्गदर्शन की सबको ज़रूरत है। क़ुरआन चेतावनी देने वाली किताब है। उन ख़तरों के बारे में चेतावनी जो इंसानों के लिए पेश आने वाले हैं। चाहे इस दुनिया में या बाद की दुनिया में जहां अस्ली ज़िंदगी है।
इमाम ख़ामेनेई
22 फ़रवरी 2024
क्या उन मुल्कों में जहां क़ुरआन की तौहीन करने की इजाज़त दी जाती है, ज़ायोनियों के प्रतीकों को निशाना बनाने की इजाज़त दी जाएगी?
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2023
हां, क़ुरआन बुरी ताक़तों के लिए ख़तरा है। यह ज़ुल्म की भी निंदा करता है और ज़ुल्म सहने वाले की भी निंदा करता है कि उसने क्यों ज़ुल्म सहना गवारा किया।
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2023
क़ुरआन भ्रष्ट ताक़तों के लिए ख़तरा शुमार होता है क्योंकि वह ज़ुल्म की भी निंदा करता है और ज़ुल्म सहने वाले की भी मलामत करता है कि उसने ज़ुल्म सहना क्यों गवारा किया। क़ुरआन लोगों को बेदार करने वाला है। क़ुरआन का दुश्मन इंसानों की बेदारी का मुख़ालिफ़ और ज़ुल्म से जंग किए जाने का मुफ़ालिफ़ है।
इमाम ख़ामेनेई
3 अक्तूबर 2023
आज इस्लाम से दुश्मनी, पहले से कहीं ज़्यादा ज़ाहिर है, जिसका एक जाहेलाना नमूना, क़ुरआन मजीद का अनादर है जो आपकी नज़रों के सामने है कि एक जाहिल बेवक़ूफ़ खुल्लम खुल्ला यह हरकत कर रहा है। अस्ल बात, पर्दे के पीछे मौजूद तत्वों की है। वो सोचते हैं कि इस तरह की हरकतों से क़ुरआन को कमज़ोर कर सकते हैं, यह उनकी ग़लतफ़हमी है।
इमाम ख़ामेनेई
स्वीडन में क़ुरआन मजीद का अनादर तल्ख़, साज़िश से भरी एक ख़तरनाक घटना है। इस जुर्म को अंजाम देने वाले को सबसे कठोर सज़ा दिए जाने पर सभी ओलमा-ए-इस्लाम एकमत हैं।
इमाम ख़ामेनेई
22/07/2023
क़ुरआन ने पूरी इंसानियत को ख़िताब किया है। क़ुरआन का दावा है कि वह पूरी इंसानियत को सही रास्ता और ज़िंदगी गुज़ारने की सही डगर दिखाना चाहता है जो उसे सही मंज़िल तक पहुंचाएगी।
इमाम ख़ामेनेई
14 अप्रैल 2022
क़ुरआन की शान में बेअदबी पर भारी आक्रोश, बग़दाद से स्वेडन के राजदूत को निकाला गया, ईरान ने भी कड़ा रुख़ अपनाया, आयतुल्लाह सीस्तानी ने एतेराज़ किया, जामेअतुल अज़हर ने भी रिएक्शन दिखाया। वही हुआ जिसका ज़िक्र आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपने पैग़ाम में किया।
(स्वेडन में क़ुरआन की बेअदबी के मामले में) पर्दे के पीछे साज़िश करने वाले जान लें कि क़ुरआन मजीद का सम्मान और उसकी शान दिन ब दिन बढ़ती जाएगी और उसका मार्गदर्शन करने वाला प्रकाश ज़्यादा से ज़्यादा फैलेगा, इस साज़िश और इस पर अमल करने वाले इससे कहीं हक़ीर हैं कि वे इस दिन ब दिन फैलते प्रकाश को रोक सकें। और अल्लाह तो अपने हर काम पर ग़ालिब है।
इमाम ख़ामेनेई
22 जुलाई 2023
जब हम क़ुरआन पढ़ते हैं तो उस वक़्त अल्लाह हमसे बात करता है। यह गुफ़्तगू सिर्फ़ बीते ज़माने की चीज़ों, वाक़यात और क़ुरआनी क़िस्सों तक सीमित नहीं है, हमारे आज के हालात से संबंधित है जो इस (अतीत के वाक़यायत की) ज़बान में हमसे की जा रही है। मक़सद यह है कि हम अपना रास्ता तलाश कर लें।
इमाम ख़ामेनेई
3 अप्रैल 2022
रोज़ाना ज़रूर क़ुरआन पढ़िए। मैं यह नहीं कहता कि मसलन आधा पारा पढ़िए। हर रोज़ आधा पेज, एक पेज, लेकिन छोड़िए मत। पूरे साल कोई दिन ऐसा न गुज़रे कि आपने क़ुरआन न खोला हो और क़ुरआन की तिलावत न की हो।
इमाम ख़ामेनेई
23 मार्च 2023
क़ुरआन ज़िंदगी की किताब, अक़्ल व दानिश की किताब और सीख देने वाली किताब है। ज़िदगी के हर पहलू के लिए क़ुरआन में सबक़ मौजूद हैं। ज़िंदगी के लिए दर्जनों बुनियादी बिंदु क़ुरआन के हर पेज पर इंसान तलाश कर सकता है।
इमाम ख़ामेनेई
23 मार्च 2023
ऐ परवरदिगार! हमें क़ुरआन की बरकतों, क़ुरआन की नेमतों और क़ुरआन के रिज़्क़ से फ़ायदा पहुंचा। हमें उन लोगों में क़रार न दे जो क़ुरआन के सिर्फ़ लफ़्ज़ सीखते हैं और उसी पर रुक जाते हैं।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने गुरूवार की शाम को रमज़ान मुबारक के पहले दिन क़ुरआन मजीद से लगाव की आध्यात्मिक महफ़िल में हिस्सा लिया। यह महफ़िल मुल्क के कुछ प्रतिष्ठित क़ारियों, क़ुरआन के उस्तादों और क़ुरआन की शिक्षाओं को फैलाने के मैदान में काम करने वाले कार्यकर्ताओं की शिरकत से आयोजित हुयी।
रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रमज़ान के मुबारक महीने के आग़ाज़ पर 23 मार्च 2023 को तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में आयोजित होने वाले रूहानी कार्यक्रम क़ुरआन से लगाव में हिस्सा लिया। इस मौक़े पर उन्होंने अपनी तक़रीर में क़ुरआन की तिलावत और क़ुरआन के अर्थ, व्याख्या और शिक्षाओं को समझने और समाज में फैलाने पर ज़ोर दिया। (1)
अगर औरतों को क़ुरआन से लगाव हो जाए तो समाज की बहुत सी मुश्किलें हल हो जाएंगी, इंशाअल्लाह क़ुरआन पर रिसर्च करने वाली महिलाओं की ट्रेनिंग के अज़ीम क़दम की बरकत से हमारे समाज का मुस्तक़बिल आज से कहीं ज़्यादा क़ुरआनी हो जाएगा।
इमाम ख़ामेनेई
20 अक्तूबर 2009
शुरु से आख़िर तक। मुसलसल और लगातार। क़ुरआन पैग़म्बर का चमत्कार है। पैग़म्बर का दीन अमर है तो उनका चमत्कार भी अमर होना चाहिए। यानी इतिहास के हर दौर में इंसान ज़िंदगी के लिए ज़रूरी शिक्षाएं क़ुरआन से हासिल कर सकता है।
यह गुफ़तुगू केवल अतीत और क़ुरआनी क़िस्सों के बारे में नहीं बल्कि हमारे मौजूदा हालात से संबंधित है जो इस ख़ास ज़बान में अंजाम पाती है। इसका मक़सद यह है कि हमें अपना रास्ता मिल जाए।
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने रमज़ान मुबारक के पहले दिन रूहानी प्रोग्राम ‘क़ुरआन से उन्सियत की महफ़िल’ में रमज़ान को, अल्लाह की ख़त्म न होने वाली रहमत के दस्तरख़ान पर मेहमान बनने का महीना बताया जिससे इंसान, मन की पाकीज़गी, क़ुरआन से गहरे लगाव और उसमें ग़ौर-फ़िक्र के ज़रिए फ़ायदा उठा सकता है।
रमज़ान महीने के आग़ाज़ पर तेहरान के इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में “क़ुरआन से उंसियत” नाम से एक महफ़िल का आयोजन हुआ जिसमें इस साल भी इस्लामी क्रांति के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने भी भाग लिया। 3 अप्रैल 2022 के इस कार्यक्रम में इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर ने अपनी तक़रीर में तिलावत, हिफ़्ज़े क़ुरआन, क़ुरआन के ज्ञान, क़ुरआन पढ़ने की शैलियों और क़ुरआनी उलूम के बारे में बड़ी अहम तक़रीर की।
स्पीच का अनुवाद पेश हैः
उनका तज़केरा तो क़ुरआने मजीद और मोतबर हदीसों ने किया है। उनकी बहुत सी फ़ज़ीलतों को बयान किया है कि जिन्हें समझने के लिए भी हमें बहुत ज़्यादा सोचने और ग़ौर करने की ज़रूरत है। यह जो रवायत है कि जिबरईल, पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गवास के बाद हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स.अ.) के पास आते थे, यह रवायत सही है।
इमाम ख़ामेनेई
23 जनवरी 2022
कोशिश कीजिए कि नमाज़ को 'अव्वल वक़्त' पर अदा करें, ध्यान से पढ़े।
मेरे प्यारो! क़ुरआन में दिल लगाइए, उसमें दिलचस्पी पैदा कीजिए। क़ुरआन की तिलावत रोज़ाना कीजिए, चाहे चंद आयतें ही पढ़ लीजिए!
इमाम ख़ामेनेई
13 दिसम्बर 2016
इस्लाम, समावेशी दीन है। इसकी समग्रता का हक़ अदा करना चाहिए। भौतिकवादी राजनैतिक ताक़तों की ज़िद है कि इस्लाम, व्यक्तिगत अमल और दिल की आस्था तक सीमित रहे। क़ुरआन, सैकड़ों आयतों में इसका खंडन करता है। इस्लाम की गतिविधियों का दायरा सामाजिक, राजनैतिक और वैश्विक विषयों तक फैला हुआ है।
इमाम ख़ामेनेई, 24 अक्तूबर 2021