15/04/2022
इमाम हसन (अ.स.) के लिए इमाम अली (अ.स.) की वसीयत में यह कहा गया है कि ख़ुदा  ने अपने और तुम्हारे बीच कोई दूरी और कोई पर्दा नहीं रखा है। जब भी तुम उससे बात करना शुरु करते हो, जैसे ही तुम अपनी ज़रूरतें उसके सामने बयान करना शुरु करते हो वैसे ही ख़ुदा तुम्हारी आवाज़ सुनने लगता है। अल्लाह से कभी भी बात की जा सकती है।
15/04/2022
हुकूमत के ओहदेदार अपने प्रोग्रामों के सिलसिले में एटमी वार्ता के नतीजे का इंतेज़ार न करें, अपना काम जारी रखें। यह न हो कि वार्ता का नतीजा सार्थक, पचास प्रतिशत सार्थक या नकारात्मक रहे तो आपके प्रोग्रामों में रुकावट पैदा हो जाए। आप अपना काम करते रहिए। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
14/04/2022
इन रातों में सहर में, रातों में जो दुआएं हैं, शबे क़द्र की जो दुआएं हैं या फिर शबे क़द्र की ही नहीं बल्कि हर रात के लिए जो दुआएं हैं, वह बहुत अहम हैं, दुआओं में जो अहम बातें हैं वह तो अपनी जगह, लेकिन दुआ पढ़ते वक़्त इन्सान जिस तरह से गिड़गिड़ाता और अल्लाह के सामने रोता है वह खुद काफ़ी अहम चीज़ है।
14/04/2022
रोज़े की हालत में या फिर रोज़े की वजह से पैदा होने वाली नूरानियत की हालत में, रमज़ान की रातों में क़ुरआने मजीद की तिलावत, क़ुरआने मजीद से लगाव, ख़ुदा की बातें सुनने का अलग ही मज़ा है। इन हालात में तिलावत से इन्सान जो कुछ सीखता है वह आम हालात में उसके लिए मुमकिन नहीं है।
14/04/2022
कूटनीति में परमाणु मुद्दे पर तवज्जो है। वार्ताकार टीम राष्ट्रपति और सुप्रीम नेश्नल सेक्युरिटी काउंसिल को ब्योरा देती है, फ़ैसला होता और अमल किया जाता है। टीम ने अब तक दूसरे पक्ष की ग़लत मांगों का मुक़ाबला किया है और यह सिलसिला जारी रहेगा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
13/04/2022
ईरान की इस्लामी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के शीर्ष पदाधिकारियों ने मंगलवार 12 अप्रैल 2022 को इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस अवसर अपने संबोधन में आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने देश के सभी मसलों को हल होने के लायक़ बताते हुए इस साल के नारे के अनेक आयामों को बयान किया।
13/04/2022
#एटमी_डील के विषय में अमरीकियों ने वादा ख़िलाफ़ी की और अब इसी वादा ख़िलाफ़ी में उलझ कर रह गए हैं। इत्तेफ़ाक़ से वह बंद गली में पहुंच गए हैं। जबकि इस्लामी गणराज्य इस तरह की स्थिति में नहीं उलझा। इमाम ख़ामेनेई 12 अप्रैल 2022
12/04/2022
मेरे दोस्तो! क़ुरआन से ज़्यादा क़रीब हो जाइए। अल्लाह की याद और तक़वा तक अगर हम पहुंच जाएं तो फिर क़ुरआन की हिदायत भी हमारे लिए आसान हो जाएगी। क्योंकि क़ुरआन तक़वा वाले लोगों के लिए हिदायत है, अगर तक़वा होगा तो हिदायत यक़ीनी है। हिदायत, तक़वा रखने वालों के लिए है। जितना तक़वा ज़्यादा होगा हिदायत, ज़्यादा साफ़ और अच्छी होगी। हमें इस पर ध्यान से काम करना चाहिए।
12/04/2022
हज़रत ख़दीजा दर हक़ीक़त बारह इमामों की मां हैं। आप अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम की भी मां हैं। आपने कई साल अपनी गोद में अमीरुल मोमेनीन को पाला। इमाम ख़ामेनेई 9 मई 2016
13/04/2022
  इस्लामी गणराज्य ईरान के शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार 12 अप्रैल की शाम इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई से मुलाक़ात की। इस अवसर पर इमाम ख़ामेनेई ने अपने संबोधन में कई बुनियादी विषयों पर प्रकाश डाला।
12/04/2022
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता इमाम ख़ामेनेई ने मंगलवार 12 अप्रैल 2022 की शाम को इस्लामी शासन व्यवसथा के उच्चाधिकारियों से मुलाक़ात में कहा कि देश के सामने मौजूद सारे मुद्दे हल होने के क़ाबिल हैं। उन्होंने नए साल के नारे का विवरण पेश किया। सुप्रीम लीडर ने फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में फैली जागरूकता और फ़िलिस्तीनी युवाओं की कार्यवाहियों की सराहना की। उन्होंने सऊदी अधिकारियों को यमन की जंग बंद करने की नसीहत की।(1) इस्लामी क्रांति के नेता की स्पीच का हिंदी अनुवादः
11/04/2022
अबू हम्ज़ा सिमाली दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) कहते हैं “ मेरे और मेरे उन गुनाहों के बीच दूरी पैदा कर दे जो तेरी इताअत की राह में रुकावट हैं।“ इससे यह पता चलता है कि इन्सान जो गुनाह करता है वह इन्सानों को परवाज़ से और ऊपर उठने से रोकते हैं।
10/04/2022
ख़ुद अपना हिसाब करना बहुत अच्छा काम है। इन्सान को अपना हिसाब लेना चाहिए, यानि एक एक करके अपने गुनाहों की तादाद कम करना चाहिए। हमें कुछ गुनाहों की आदत पड़ जाती है। किसी किसी को तो पांच-छे-दस गुनाहों की आदत पड़ जाती है, पक्का इरादा करें और इन गुनाहों को एक एक करके छोड़ दें।
10/04/2022
  इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ज़रूरतमंद क़ैदियों की रिहाई के लिए ‘दियत सेंटर’के पैंतीसवें ‘गुलरीज़ान फ़ेस्टिवल’ के मौक़े पर इस नेक काम में 1 अरब तूमान (क़रीब 40000 डॉलर) की मदद की है।
10/04/2022
रमज़ान के महीने के रोज़े इन्सान के सामने यह साबित करते हैं कि वह अगर चाह ले तो कामयाब हो सकता है.
09/04/2022
मकारिमे अख़लाक़ की उस दुआ को जो सहीफ़ए सज्जादिया की बीसवीं दुआ है, बहुत ज़्यादा पढ़ें ताकि आप यह देख सकें कि इस दुआ में इमाम ज़ैनुलआबेदीन (अ.स.) ने ख़ुदा से जो चीज़ें मांगी हैं वह क्या हैं? इमामों के बयानों से, सहीफ़ए सज्जादिया की दुआओं से यानि हमारी अख़लाक़ी बीमारियों को ठीक करने वाली इन दवाओं की जो हमारे वजूद के ज़ख्मों को भर सकती हैं, हमें मालूमात हासिल करना चाहिए।
08/04/2022
इसका रास्ता यह है कि हमारे बच्चे क़ुरआन के मैदान में उतरें। बच्चे मैदान में उतर पड़े तो यह मिशन मुमकिन हो जाएगा। इसका तरीक़ा यह है कि यह काम मस्जिदों में अंजाम पाए। हर मस्जिद क़ुरआनी मरकज़ बन जाए। इमाम ख़ामेनेई 3 अप्रैल 2022
08/04/2022
रमज़ान के महीने का सब से अहम फल, तक़वा है। “वह हाथ जो अपनी लगाम थामे रहे” यह है तक़वा का मतलब। हम दूसरों की लगाम तो बहुत अच्छे से पकड़ लेते हैं लेकिन अगर हम अपनी लगाम भी पकड़ सकें, ख़ुद को बिगड़ने, वहशीपन और ख़ुदा की रेड लाइनों को पार करने से रोक सकें तो यह बहुत बड़ा कमाल है। तक़वा का मतलब है अल्लाह के सीधे रास्ते पर चलने के दौरान अपने ऊपर नज़र रखना।
07/04/2022
अपने गुनाहों की माफ़ी अगर सही तरीक़े से मांगी जाए तो इस से इन्सान के लिए ख़ुदा की बरकतों के दरवाज़े खुल जाते हैं। इन्सानी समाज और ख़ुद इन्सान को ख़ुदा की जिन नेमतों और बरकतों की ज़रूरत होती है उन सब का रास्ता, गुनाहों की वजह से बंद हो जाता है। गुनाह हमारे और खुदा की रहमतों व बरकतों के बीच दीवार की तरह है। तौबा, इस दीवार को गिरा देती है और ख़ुदा की रहमत व बरकत का रास्ता हमारे लिए खुल जाता है। सैयद अली ख़ामेनेई 1997-01-17
07/04/2022
शुरु से आख़िर तक। मुसलसल और लगातार। क़ुरआन पैग़म्बर का चमत्कार है। पैग़म्बर का दीन अमर है तो उनका चमत्कार भी अमर होना चाहिए। यानी इतिहास के हर दौर में इंसान ज़िंदगी के लिए ज़रूरी शिक्षाएं क़ुरआन से हासिल कर सकता है।
07/04/2022
कुछ लोग रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने के साथ ही साथ, क़ुरआने मजीद से सीख हासिल करने का काम कई गुना बढ़ा देते हैं।
06/04/2022
रमज़ान, तौबा और “इनाबा”  का महीना है,  माफी मांगने और अपने गुनाहों को बख़्शवाने का महीना है। तौबा का मतलब, उस राह से वापसी है जिस पर हम अपनी ग़लतियों और अपने गुनाहों की वजह से चलने लगे थे। इनाबा का मतलब, हमारा दिल खुदा की तरफ़ मुड़ जाए  और हम दिन रात ख़ुदा से उम्मीद लगाएं। कहते हैं कि तौबा और इनाबा में यह फर्क़ है कि तौबा, बीते हुए कल के लिए होता है जबकि इनाबा, आज और आने वाले कल के लिए होता है।
06/04/2022
#क़ुरआन की गहराइयों और पोशीदा तथ्यों तक पहुंचने का रास्ता है चिंतन, अध्ययन और ध्यान। अलबत्ता इसकी एक शर्त भी है दिल की पाकीज़गी और यह आप नौजवानों के लिए इस नाचीज़ जैसे लोगों की तुलना में आसान है।
06/04/2022
रोज़ा अल्लाह की राह में, अल्लाह के लिए और उसकी ख़ातिर रख रहा हूं।
05/04/2022
रमज़ान का माहौल, ख़ुलूस, रूहानीयत  और सच्चाई का माहौल है। हमें कोशिश करना चाहिए कि हम इस माहौल से  ज़्यादा से ज़्यादा फायदा उठाएं। हमारे दिल और ख़ुदा के बीच जो ताल्लुक़ है, इस रूहानी ताल्लुक़ को, खुदा से इस ज़ाती ताल्लुक़ को मज़बूत करना चाहिए क्योंकि किसी भी इन्सान के लिए सब से ज़्यादा बड़े फ़ायदे की बात यही होती है कि उसका ख़ुदा के साथ ताल्लुक़ मज़बूत हो जाए।
05/04/2022
यह गुफ़तुगू केवल अतीत और क़ुरआनी क़िस्सों के बारे में नहीं बल्कि हमारे मौजूदा हालात से संबंधित है जो इस ख़ास ज़बान में अंजाम पाती है। इसका मक़सद यह है कि हमें अपना रास्ता मिल जाए।
05/04/2022
इस महीने में ख़ुदा अपने बन्दों को अपना मेहमान बनाता है जो दरअस्ल, रूहानी दावत होती है.
04/04/2022
रमज़ान के महीने को “ मुबारक” कहा गया है, इसके मुबारक होने की वजह यह है कि यह महीना, जहन्नम की आग से  ख़ुद को बचाने और इनाम में जन्नत पाने का महीना है जैसा कि हम, रमज़ान महीने की दुआ में पढ़ते हैं  “और यह महीना जहन्नम से छुटकारे और जन्नत पाने का महीना है”  अल्लाह की जहन्नम और इसी तरह उसकी जन्नत सब इसी दुनिया में है। आख़ेरत में जो कुछ होगा वह दर अस्ल इस दुनिया में मौजूद चीजों की वह अस्ली  शक्ल होगी जो फ़िलहाल छुपी हुई है।
04/04/2022
अगर आप सब बेहतरीन अंदाज़ में इस मेहमानी में शरीक हुए तो अल्लाह आपको क्या देगा? अल्लाह की मेहमान नवाज़ी यह है कि वह अपने क़रीब होने का मौक़ा देता है और इससे बड़ी कोई चीज़ नहीं।