मैं यह कहना चाहता हूं ऐ इमाम अली बिन मूसा रज़ा यह मेरा दिल, आपका है।  मैं आपसे कुछ चीज़ें मांगता हूं। लेकिन मैं ख़ुद क्या देना चाहता हूं ताकि मेरे काम की वो गिरहें खुल जाएं। वह चीज़ जो मैं आपके पास रखना चाहता हूं, वह मेरा दिल है।