04/04/2024
क़यामत की तरफ़ तवज्जो, फ़रेब देने वाली, धोखा देने वाली दुनिया से दामन छुड़ाना और मौत आने से पहले उसके लिए तैयार रहना, पाक दिल की निशानियां हैं।
03/04/2024
अगर सारे बच्चों को भी क़त्ल कर दिया तो कोई ग़म नहीं फ़िरऔन को क़त्ल करने के लिए मूसा ज़िंदा रहेगा
04/04/2024
ये शिकस्त यक़ीनन जारी रहेगी, ये नाकाम कोशिशें भी, जैसे ये हरकत जो उन्होंने सीरिया में की, अलबत्ता इसका ख़मियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ेगा, इस तरह की हरकतें उनके काम नहीं आएंगी।
02/04/2024
जब इंसान अपनी ओर से चौकन्ना रहता है तो वो दीनदार होता है, लेकिन जैसे ही वो अपनी ओर से ग़ाफ़िल होता है, ख़ुद पर अपना अख़्तियार खो देता है और फिर धीरे-धीरे दीन से बाहर निकल जाता है।
01/04/2024
हमारा ध्यान रहे, हमें बिना हड्डी के फिसलने वाले इस शारीरिक अंग ज़बान की ओर से चौकन्ना रहना चाहिए और जान लेना चाहिए कि ये बहुत अहम है।
31/03/2024
सिर्फ़ ईमान काफ़ी नहीं है, तक़वा ज़रूरी है। तक़वा न हो तो ईमान भी ख़तरे में पड़ जाएगा। तक़वा न हो तो मुमकिन है कि तुम अल्लाह के कलाम को भी न समझ पाओ।
30/03/2024
जहाँ तक हो सके नमाज़े शब पढ़िए, नमाज़े शब छूटने ने पाए। जवानी का ये मौक़ा जो आपके पास है, दोबारा नहीं मिलता इससे अल्लाह से मोहब्बत के लिए फ़ायदा उठाइये।
29/03/2024
जो मस्जिद में दूसरों से पहले पहुंचने की कोशिश करते हैं, क़यामत के दिन अपने कांधों पर परचम उठाए सारे लोगों से पहले स्वर्ग में जाएंगे।
29/03/2024
इस छह महीने की जंग में ग़ज़ा और फ़िलिस्तीन के अवाम की प्रतिष्ठा और दृढ़ता का चरम  बिंदु और ज़ायोनी हुकूमत की नाकामियां एक इलाही वाक़या और हक़ीक़त है।
28/03/2024
पश्चिम के समर्थन से अंजाम पाने वाले ज़ायोनी सरकार के अपराध और दरिंदगी पर ग़ज़ा के अवाम का तारीख़ी सब्र एक अज़ीम हक़ीक़त है जिसने इस्लाम की मर्यादा बढ़ाई।
28/03/2024
अगर हम अल्लाह को मानते हैं तो फिर बिखराव का कोई मतलब ही नहीं है और अगर वैचारिक मतभेद भी है तो उसे सच्चे ईमान और अल्लाह से सच्चे लगाव के साए में छिप जाना चाहिए।
27/03/2024
बहुत से लोग नमाज़ के लफ़्ज़ों के मानी को नहीं समझते या बहुत थोड़ा समझते हैं, वो भी अगर नमाज़ की हालत में और उसके लफ़्ज़ों को अदा करते हुए इस बात की ओर ध्यान रखें कि वो अल्लाह से बात कर रहे हैं तो इसका असर होगा। मतलब ये कि इंसान नमाज़ पढ़ते हुए मानसिक तौर पर हाज़िर रहे और अल्लाह के सामने अपनी हाज़िरी को महसूस करे तो असर होगा।
26/03/2024
मज़लूम फ़िलिस्तीनी बच्ची जिसने अपनी शहादत से पहले एक वसीयतनामा लिखा था और इस वसीयतनामे में ड्राइंग की थी। जो कुछ उसके पास था उसने बख़्श दिया था। इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शबे विलादत इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में बच्ची को शेर पढ़कर श्रद्धांजलि दी गई।
26/03/2024
दुनिया का मोह, इच्छाओं के पूरे न होने और हैवानी इच्छाओं और वासनाओं को कुचले न जाने की वजह से इंसान धीरे-धीरे ईमान से कुफ़्र की ओर झुकने लगता है। हमें इस बात की ओर से चौकन्ना रहना चाहिए कि मोमिन होने के बाद हम मुनाफ़िक़ न बन जाएं।
26/03/2024
वाक़ई आप बेमिसाल शख़्सियत के मालिक हैं। आम तौर पर राजनेता और मुल्क चलाने वाले लोग सामाजिक व आर्थिक मामलों पर तो गहरी नज़र रखते हैं मगर शेर व साहित्य की ओर ज़्यादा ध्यान नहीं होता।
25/03/2024
जब भूखा खाना खा लेता है तो जी भर जाता है और जब प्यासा पानी पी लेता है तो जी भर जाता है लेकिन अल्लाह के पैग़म्बर फ़रमाते हैं कि नमाज़ से मेरा जी कभी नहीं भरता।
24/03/2024
जब इंसान दुनिया की नेमतों को अल्लाह की तरफ़ से मिली हुयी नेमत समझेगा तो उन्हें ग़रीबों और ज़रूरतमंदों को देने में संकोच से काम नहीं लेगा।
23/03/2024
अगर हम ये सोचें तो ग़लत होता कि जवानी से फ़ायदा उठाने का मतलब, जवानी की भौतिक इच्छाओं का आनंद लेना है, जवानी की सरगर्मियां हैं, जवानी में बेहूदा बातों में पड़े रहना है।
22/03/2024
सहर का वक़्त, अल्लाह से अकेले में बात करने का वक़्त है। हमें इस वक़्त की, इस मौक़े की क़द्र समझना चाहिए, ख़ास कर आप लोगों को जो जवान हैं।
21/03/2024
आप बहुत देखते हैं ऐसे जवानों को जो दुनिया से चले जाते हैं। तो इस सफ़र की मंज़िल निश्चित नहीं है कि आप जो आगे बढ़ रहे हैं, आप का कहाँ तक आगे बढ़ना और कहाँ गिरना तय है।
20/03/2024
हम ख़याल रखें कि अपने काम में, अपनी बातों में, अपने वादों में सच्चे रहें, ये चीज़ अमल से समझ में आती है, ज़िंदगी में होने वाले बदलाव से समझ में आती है।
20/03/2024
नौरोज़ पर इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने पैग़ाम जारी किया जिसमें नए साल का नारा निर्धारित किया।
19/03/2024
ख़याल रखो कि तुम्हारी लड़खड़ाहट तुम्हारे मुंह के बल गिर पड़ने का कारण न बन जाए, लड़खड़ाहट तो हो ही जाती है लेकिन ख़याल रखो कि गिर न पड़ो।
18/03/2024
अमरीका, इस्लामी इंक़ेलाब को मानने के लिए क्यों तैयार नहीं है? इसलिए कि उसके हित ख़तरे में पड़ जाएंगे। इस वक़्त भी वो कह रहा है, खुलकर बिना किसी झिझक के कह रहा है कि ईरान के इस्लामी इंक़ेलाब और इस्लामी गणराज्य ने इलाक़े में हमारे हित को ख़तरे में डाल दिया है।
17/03/2024
आज के काल को कल पर न टालो, जो कुछ तुम्हें लगता है कि अंजाम देना ज़रूरी है, उसे आज ही कर डालो, अगर कल हुआ तो कल के ख़ुद अपने काम होंगे।
16/03/2024
इस्लाम और दूसरे आसमानी धर्म, कभी भी अपने दुश्मनों के सिलसिले में उदासीन रवैया नहीं रखते। सभी पैग़म्बरों ने अपने कट्टर दुश्मनों के मुक़ाबले में इसी तरह का रवैया अख़्तियार किया है, वो तलवार उठाते थे।
15/03/2024
मेरे अहले बैत की मिसाल नूह की कश्ती जैसी है, जो उसमें सवार हुआ वो नजात पा गया और जिसने भी उससे मुंह मोड़ा वो डूब गया
14/03/2024
दुनिया भर के काफ़िरों और दुश्मनों के सभी मज़बूत क़िले तुम्हारे ईमान, तुम्हारे अच्छे कर्म और तुम्हारे अनुशासन के सामने ढह जाएंगे, तबाह हो जाएंगे।
13/03/2024
ऐ अबूज़र! अल्लाह की इस तरह इबादत करो मानो तुम उसे आँखों से देख रहे हो, जान लो कि अल्लाह की इबादत का पहला स्तंभ ये है कि उसकी पाक हस्ती की पहचान हासिल करो, उसकी मारेफ़त पैदा करो।
13/03/2024
इस वक़्त ग़ज़ा में जो हो रहा है दोनों तरफ़ से अपनी इंतेहा को पहुंचा हुआ है। अपराध और वहशीपन के लेहाज़ से भी और ग़जा के अवाम के बेमिसाल सब्र के एतेबार से भी।
12/03/2024
इस वक़्त दुनिया की सारी ताक़तों पर आपकी इस हुकूमत का रोब है। उनकी डींगों पर मत जाइये, उन सब पर इस्लामी गणराज्य का रोब है।
11/03/2024
अपनी नौजवानी की क़द्र करें। हमारी जो मसरूफ़ियतें हैं, वो आम तौर पर सांसारिक फ़ायदों से जुड़ी हैं। हमें पूरे दिन में अल्लाह से अकेले में बात करने का मौक़ा नहीं मिलता, उन हस्तियों की बात अलग है जो हमेशा हालते नमाज़ में रहती हैं।
08/03/2024
सरकारों, देशों और क़ौमों से हमारा कोई विवाद नहीं है। हमारा विरोध ज़ुल्म, अतिक्रमण और साम्राज्यवाद से है। हमारा विरोध उन घटनाओं पर है जो आप ग़ज़ा में देख रहे हैं।
06/03/2024
ज़ैतून का पेड़ लगाने का मक़सद फ़िलिस्तीन के अवाम से एकजुटता और हमदिली का इज़हार है कि वह जगह ज़ैतून का केन्द्र है और हम दूर से इन मज़लूम, प्यारे और संघर्षशील अवाम को सलाम करना चाहते हैं और कहना चाहते हैं कि हम हर तरह से आपको याद करते हैं। जैसे यही कि आपकी याद में ज़ैतून का पेड़ लगाते हैं। इमाम ख़ामेनेई  5 मार्च 2024
06/03/2024
फ़िलिस्तीनियों के लिए ज़ैतून आर्थिक पहलू के साथ ही एक प्रतीक भी है। रेज़िस्टेंस का प्रतीक, संयम का प्रतीक और उस सरज़मीन से जुड़ाव का प्रतीक जिसका नाम फ़िलिस्तीन है।
01/03/2024
चुनाव भरपूर भागीदारी वाले हों। हम अगर दुनिया को यह दिखा सकें कि क़ौम मुल्क के अहम मैदानों में उपस्थित है तो समझिए कि हमने देश को सुरक्षित कर दिया।
01/03/2024
संसद और विशेषज्ञ असेंबली के चुनाव के लिए मतदान, रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई अपना वोट डालने के लिए इमाम ख़ुमैनी इमाम बारगाह में दाख़िल हुए।
28/02/2024
अमरीका की अमानवीय नीतियां इतनी शर्मनाक हो चुकी हैं कि आपने सुना ही होगा कि एक अमरीकी फ़ौजी अफ़सर ने आत्मदाह कर लिया। इसका मतलब यह है कि इस कलचर में पलने वाले नौजवान के लिए भी यह बात बर्दाश्त के बाहर है। इमाम ख़ामेनेई  28 फ़रवरी 2024
26/02/2024
क़ुरआन कहता है किः “वो काफ़िरों पर कठोर और आपस में मेहरबान हैं।” क्या अमल में यह कठोरता दुष्ट ज़ायोनी सरकार के ख़िलाफ़ दिखाई जाती है? आज इस्लामी दुनिया के बड़े दर्द यह हैं। इमाम ख़ामेनेई 22 फ़रवरी 2024
25/02/2024
बेशक एक सबसे अज़ीम दुआ इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर की दुआ है। इमाम ख़ामेनेई