अल्लाह से माफ़ी के लिए सिर्फ़ दुआ ज़रूरी नहीं है, अमल भी ज़रूरी है। वो अमल क्या है? गुनाहों से तौबा, इस्तेग़फ़ार, गुनाह को छोड़ना और भविष्य में दोबारा न करने का संकल्प, अमल ये चीज़ें हैं।