राष्ट्रपति मसऊद पेज़ेश्कियान ने Khamenei.ir से एक तफ़सीली इंटरव्यू किया जिसमें उन्होंने मुल्क के अनेक मुद्दों के साथ ही क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मसलों पर भी अपने विचार व्यक्त किए। राष्ट्रपति के इस इंटरव्यू के एक अहम हिस्से पेश किए जा रहे हैं।
जनाब डॉक्टर पेज़ेशकियान! इस्लामी क्रांति के नेता ने अपने हाल के एक भाषण में विशेष रूप से सरकार की सेवाओं की सराहना की और सरकार के समर्थन पर ज़ोर दिया; उसके बाद एक अन्य भाषण में उन्होंने कहा कि मौजूदा समस्याओं और कमियों के बावजूद देश प्रगति कर रहा है। इस्लामी क्रांति के नेता के इन दो भाषणों और दो बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, कृपया पिछले एक वर्ष में सरकार की सबसे महत्वपूर्ण कार्यकारी कार्रवाइयों की एक संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत करें और दर्शकों के लिए देश की प्रगति की प्रक्रिया को समझाएं और स्पष्ट करें; आप राष्ट्रपति और देश के प्रमुख कार्यकारी अधिकारी के रूप में इस प्रगति की प्रक्रिया से सबसे अधिक अवगत हैं।
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
सबसे पहले, हमें इस्लामी क्रांति के नेता का आभार व्यक्त करना चाहिए कि अब तक, खुली बैठकों और निजी बैठकों दोनों में, उन्होंने सरकार का पूरा समर्थन किया है और यदि उनका समर्थन और सुझाव नहीं होते, तो निश्चित रूप से हम कई समस्याओं का सामना करते; इसलिए यह प्रशंसनीय है।
हम अब जिस चीज़ को फ़ालोअब कर रहे हैं और जिसे सुधारने का प्रयास कर रहे हैं, वह असंतुलन का मुद्दा है। यदि हम चर्चा करना चाहें, तो हमें कहना चाहिए कि देश में जो प्रक्रिया है, वह कई क्षेत्रों में बड़े असंतुलन का सामना कर रही है। ऊर्जा का मुद्दा — जो शुरुआत में ही सामने आया — पानी का मुद्दा, वित्तीय मुद्दे, प्रबंधन संबंधी मुद्दे, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक मुद्दे, ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जिनका हम बड़े पैमाने पर सामना कर रहे हैं। जब हमने सरकार संभाली, तो हमारे पास 20,000 मेगावाट ऊर्जा की कमी थी; यह ऊर्जा कमी वर्षों में उत्पन्न हुई थी और स्वाभाविक रूप से एक ओर खपत बढ़ रही थी, दूसरी ओर ऊर्जा सप्लाई के प्रावधान के संबंध में कोई विकास नहीं हुआ था और यह वह वर्ष भी था जब हमारे यहां बारिश कम थी, पिछले वर्षों की तुलना में औसत वर्षा में लगभग चालीस प्रतिशत की कमी आई थी, बांधों के पीछे पानी नहीं था और हमारे पास लगभग 14,000 मेगावाट पनबिजली ऊर्जा थी जिसका उपयोग हम पूरी तरह से नहीं कर सके क्योंकि बांधों के पीछे पानी की कमी थी; यानी हमारी ऊर्जा कमी लगभग 30,000 मेगावाट तक पहुंच गई। ज़ाहिर है जंग भी हुई और युद्ध में भी हमें समस्याओं को हल करना था।
इन असंतुलनों के संबंध में जो प्रयास किया गया, वह यह था कि एक ओर हमने लागत और खपत को कम या नियंत्रित करना शुरू किया और दूसरी ओर सबसे तेज़ रास्ता जिससे हम आवश्यक ऊर्जा प्राप्त कर सकते थे, वह सौर पैनल थे जो पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत मूल्यवान उपकरण हैं; इस तरह कि प्रत्येक हज़ार मेगावाट पर, वातावरण में लगभग दस लाख टन CO2 के प्रवेश को रोका जाता है। इस साल हम तीन हज़ार मेगावाट से अधिक पैनलों को ऊर्जा उत्पादन में लगाने में सक्षम हुए हैं, जबकि पिछले वर्षों में केवल हज़ार मेगावाट लगाए गए थे। यह प्रक्रिया जारी है, कल फिर से लगभग आठ सौ मेगावाट सौर पैनल लगाए जाएंगे और यह काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, ताकि प्रति सप्ताह लगभग तीन सौ मेगावाट के सौर पैनल लग रहे हैं और जो अनुबंध किए गए हैं वे लगभग 80000 मेगावाट के हैं; यानी यदि हम यह प्रक्रिया जारी रख सकें, तो हम फ़ॉसिल फ़्यूल के उपयोग को तेज़ी से कम कर देंगे। दूसरी ओर, हमने ऐसे पावर प्लांट बनाए थे जो संयुक्त चक्र (कंबाइंड साइकिल) के थे लेकिन केवल गैस का उपयोग करते थे; हमारे पास लगभग 7000 मेगावाट संयुक्त चक्र ऊर्जा है जिसमें से हम 3000 मेगावाट को ऑनलाइन लाने में सक्षम हुए, लेकिन अभी भी 4000 मेगावाट शेष है जिस पर काम किया जा रहा है और इसे अब गैस की आवश्यकता नहीं है, बल्कि भाप से भी ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
बिजली की खपत की प्रक्रिया में, हर साल लगभग 5-6 प्रतिशत की वृद्धि हो रही थी और पाँच-छह प्रतिशत यानी तीन-चार हज़ार मेगावाट अतिरिक्त आवश्यकता। दिए गए सुझावों और कार्यक्रमों के साथ, हमारी वृद्धि दर में 5 प्रतिशत की कमी आई; न केवल हमारी पाँच प्रतिशत वृद्धि नहीं हुई, बल्कि हम पाँच प्रतिशत कम करने में सक्षम हुए; यानी हम लगभग तीन-चार हज़ार मेगावाट को नियंत्रित करने में सक्षम हुए। दूसरी ओर, मौजूदा माइनरों को नियंत्रित और एकत्र करके, हम लगभग दो हज़ार मेगावाट खपत को कम करने में सक्षम हुए। इसलिए, इन सब ने ऊर्जा समस्याओं को कुछ हद तक हल करने में मदद की। बेशक, ये कार्य अभी भी जारी हैं और हम कोशिश करेंगे कि इंशाअल्लाह आने वाली गर्मियों में हमें उस तरह की बिजली कटौती का सामना न करना पड़े, मगर यह कि ख़ुदा न ख़्वास्ता कोई दुर्घटना हो या कोई लाइन ख़राब हो जाए या कोई कारख़ाना बंद हो; लेकिन सौर पैनलों की स्थापना इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रही है कि इंशाअल्लाह ऊर्जा की सप्लाई के लिए कोई समस्या नहीं होगी।
हमारी अगली चर्चा उन गैसों के नियंत्रण के बारे में थी जो जल रही थीं। जल रही इन गैसों को नियंत्रित करने से होने वाला लाभ लगभग पाँच-छह अरब डॉलर है और यदि हम इन्हें नियंत्रित कर सकें, तो बहुत बचत होगी। अब तक हम प्रतिदिन लगभग १५ मिलियन क्यूबिक मीटर गैस को नियंत्रित करने में सक्षम हुए हैं, जबकि पिछली अवधियों में कुल मिलाकर ९ मिलियन क्यूबिक मीटर का ही प्रबंधन किया जा सका था। अब जिन अन्य क्षेत्रों में गैस जल रही है, उनके साथ विभिन्न ठेकेदारों ने इस मामले में अनुबंध किए हैं और उनका पालन किया जा रहा है ताकि उन लोगों के साथ भी अनुबंध किया जा सके जिनके साथ अभी तक अनुबंध नहीं हुआ है; हमने बैठक की है और इनका पालन कर रहे हैं ताकि हम अपना काम कर सकें।
गलियारों के संबंध में, जो बहुत महत्वपूर्ण हैं, हम आस्तारा-रश्त गलियारे, शलम्चे-बसरा गलियारे और संभवतः ज़ाहेदान-चाबहार गलियारे को इस साल पूरा कर लेंगे। अब तक शायद दस-बारह हज़ार अरब तूमान से अधिक राशि इस मुद्दे के लिए आवंटित की गई है और संभवतः हमें फिर से इतनी ही राशि का भुगतान करना होगा। आज भी हमारी सरकार में इसी मुद्दे पर बैठक हुई थी और यदि कोई समस्या नहीं आती है, तो ईश्वर की कृपा से, हम इन गलियारों से संबंधित कार्य इस वर्ष पूरा कर लेंगे। शलम्चे-बसरा गलियारे के संबंध में मुख्य कार्य किए जा चुके हैं और इसके खंभे खड़े हो गए हैं। इस गलियारे का सबसे कठिन हिस्सा वह था जहां मार्ग को उस नदी से गुज़रना था जो हमारे और बसरा के बीच है; उस नदी में पानी के नीचे लगाए गए खंभों के लिए लगभग 60 मिलियन डॉलर ख़र्च किए गए, साथ ही माइन-स्वीपिंग भी की गई जो हमने की। बेशक, इराक़ी पक्ष को भी कुछ काम करने हैं जो वे भी कर रहे हैं। आस्तारा-रश्त गलियारा भी एक ऐसी परियोजना थी जो अधूरी रह गई थी और हम उसे आगे बढ़ा रहे हैं। जब हम आए, तो उन्होंने १६० किलोमीटर मार्ग में से लगभग ३० किलोमीटर का अधिग्रहण किया था, लेकिन अब उन्होंने लगभग ११५ किलोमीटर का अधिग्रहण कर लिया है; यानी जितनी ज़मीनों का वे अधिग्रहण करते हैं, उसकी मेक़दार हर हफ़्ते बढ़ रही है और उन्होंने वादा किया है कि इंशाअल्लाह इस वर्ष के अंत तक, वे इस परियोजना को पूरा कर लेंगे। हम हर हफ़्ते पालन कर रहे हैं ताकि हम पूरे मार्ग का अधिग्रहण कर सकें, ऋण भी उपलब्ध है और उस ऋण के अनुसार, यह परियोजना शुरू होगी और विशेषज्ञ आ गए हैं और वे यह काम कर रहे हैं।
हमारे पड़ोसियों के साथ संबंध बहुत बेहतर हुए हैं। हमारे पड़ोसी देशों के साथ संबंध कई क्षेत्रों में, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक क्षेत्रों में, विकसित हुए हैं। आज़रबाइजान, उज़्बेकिस्तान, तुर्कमनिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, इराक़, तुर्किए और फ़ार्स की खाड़ी में ओमान, संयुक्त अरब इमारात, क़तर आदि के साथ संबंधों की प्रक्रिया बहुत बेहतर हुई है। इन सभी समस्याओं के बावजूद, हमारा अंतर्राष्ट्रीय संपर्क मार्ग बढ़ रहा है। चीन, रूस, क़ज़ाक़िस्तान, क़िरक़ीज़िस्तान और ताजिकिस्तान के साथ बहुत अच्छे संबंध स्थापित हुए हैं। अब हम मार्गों को सुधार रहे हैं। गलियारे अब सरकार की प्राथमिकता हैं। हमने उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम मार्ग के लिए आवश्यक संसाधन देखे हैं और अगले वर्ष हम बहुत तेज़ गति से आगे बढ़ेंगे; चाहे सड़क, रेल और पटरियों के निर्माण के संदर्भ में हो या वैगन, डीज़ल और आवश्यक उपकरणों के संदर्भ में। हम इन सभी कार्यों का पालन कर रहे हैं ताकि समस्याओं का समाधान हो सके।
सामाजिक मुद्दों के क्षेत्र में, मस्जिद के केंद्रिय रोल, मोहल्ले के केंद्रिय रोल और जन भागीदारी के संबंध में बड़े कार्य किए गए हैं। बेशक, चूंकि ये सामाजिक मुद्दे हैं, शायद इन्हें संख्या और आंकड़ों के रूप में नहीं बयान किया जा सकता; साथ ही, ये मुद्दे समय लेने वाले हैं और स्वाभाविक रूप से व्यवहारिक परिवर्तन आसान काम नहीं है। इस संबंध में, इस्लामी क्रांति के नेता ने हमारे प्यारे भाई हाज आग़ा अली अकबरी को समन्वय करने का आदेश दिया और वे लगभग 10000 मस्जिदों को समन्वित कर सके। हमने इस संबंध में अपने स्वास्थ्य केंद्रों को शामिल किया, स्कूलों को शामिल किया और शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा काम हुआ है; यानी जनता की भागीदारी से, हमने सभी कंटेनर स्कूलों, पत्थर के स्कूलों को ख़त्म किया और जहां स्कूल नहीं थे, वहां स्कूल बनाए गए। यह सब लोगों की मदद, अंतर-विभागीय संबंधों और कल्याणकारी लोगों के सहयोग से किया गया। 10 मिलियन वर्ग मीटर से अधिक जगह बनायी गयी है और अब भी तेज़ी से बनायी जा रही है। स्कूलों के निर्माण के अलावा, स्कूलों के भीतर हार्डवेयर पर भी चर्चा हुई कि हमारे बच्चों को किन चीज़ो की आवश्यकता है ताकि वे उस स्थान पर पर्याप्त शिक्षा प्राप्त कर सकें। और उससे भी महत्वपूर्ण, हमारी कक्षाओं में शिक्षण का तरीक़ा और विधि है। अब हमारी कक्षाओं की व्यवस्था बदल गई है, शिक्षण का तरीक़ा बदल गया है और इन शिक्षण विधियों में दिन-ब-दिन सुधार होगा और हो रहा है। बेशक, हमारा अधिक ध्यान सरकारी स्कूलों और वंचित क्षेत्रों के स्कूलों पर है और हम शैक्षणिक न्याय का पालन कर रहे हैं जिसके बारे में हम बात करते हैं।
एक महत्वपूर्ण मुद्दा प्रबंधन और अधिकारों के हस्तांतरण का है। इस्लामी क्रांति के नेता ने गवर्नरों के साथ बैठक में अपना सुझाव दिया कि प्रबंधकों के पास अधिकार होने चाहिए और इस्लामी क्रांति के नेता का दृष्टिकोण शुरू से ही ऐसा रहा है। विशेष रूप से 12 दिवसीय युद्ध में, यह अधिकार प्रकट हुआ और बिना किसी समस्या के, प्रांत अपना काम कर रहे थे; यह उन अधिकारों के कारण था जो हस्तांतरित किए गए थे। बेशक, सम्मानीय संसद ने कुछ क़ानूनी समस्याएं उठाईं जिन्हें हम हल कर रहे हैं। हमारा विश्वास और मानना है कि अधिकारों को प्रांतों में हस्तांतरित किया जाना चाहिए ताकि वे अपना काम कर सकें और हर काम के लिए गवर्नर, काउंटी अधिकारी, विश्वविद्यालय के कुलपति या महानिदेशक को तेहरान आकर अनुमति लेने की आवश्यकता न पड़े। इस संबंध में भी बहुत उपयोगी कार्रवाई की गई है और हमारे बहुत अच्छे परिणाम हैं जो विस्तृत हैं और यदि मैं आपको ये बताना चाहूं, तो मुझे केवल उस प्रक्रिया के बारे में बताना होगा जो हो रही है।
स्वास्थ्य और चिकित्सा के संबंध में, हमने परिवार चिकित्सक की चर्चा शुरू की है और अभी हम एक साझा भाषा और दृष्टिकोण पर पहुंच रहे हैं; क्योंकि उन्हें क्या करना चाहिए, यह सिद्धांत में स्पष्ट है लेकिन व्यवहार में, कई बार जो कहा जाता है वह लागू नहीं होता। हमारे द्वारा आयोजित बैठकों में, लगभग ६३ शहर और क्षेत्र चुने गए जो यह कार्य करेंगे और इनमें से 5 शहरों में, उन्होंने पूरे ज़िले को चुना। ख़ैर, कार्य की विधि स्पष्ट है; उन्हें केवल यह सीखने में सक्षम होना चाहिए कि क्या करना है। मुद्दा बहुत स्पष्ट है। परिवार चिकित्सक योजना बताती है कि कौन किस समूह के लिए ज़िम्मेदार है, उस समूह को क्या सेवाएं प्रदान करनी चाहिए और अंततः इस सेवा देने वाले को भुगतान कैसे किया जाना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं, तो पूरे देश में कोई भी व्यक्ति शासन की नज़रों से दूर नहीं रहेगा; क्योंकि सभी लोग — चाहे ग़रीब हों, अमीर हों, दूरदराज़ के इलाके में हों या नज़दीक — यह स्पष्ट है कि किसे किस सेवा को किस गुणवत्ता के साथ प्रदान करना चाहिए, बिना किसी वित्तीय संबंध के। यदि हम ऐसा कर सकें, तो हम स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रणाली में वास्तविक अर्थ में न्याय लागू करेंगे। बेशक, यह व्यवहार परिवर्तन आसान काम नहीं है और यह अपने आप में चर्चा का विषय है।
वित्तीय और मौद्रिक मामलों में भी हमने ईंधन अनुकूलन और पेट्रोल और डीज़ल की खपत प्रबंधन संगठन स्थापित किया है, उनके भी अपने विशेष कार्यक्रम हैं। वास्तव में, हमने उस टैबू को तोड़ा कि पेट्रोल की क़ीमतों को छुआ नहीं जा सकता। हमने ख़ुद से शुरुआत की; यानी अब सरकारी कारों में ईंधन कार्ड नहीं हैं और उन्हें आज़ाद रेट में ईंधन लेकर खपत करनी होगी; एक मुक्त क्षेत्र भी है, एक वे भी हैं जो अभी आ रहे हैं। अभी हमने अन्य मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया है, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि शहरी उपनगरीय रेलगाड़ी के मुद्दों को ठीक करें, सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो, फिर हम अंतर-शहरी कीमतों में भी हस्तक्षेप कर सकें। सबसे महत्वपूर्ण चर्चा जो हम यहां कर रहे हैं वह लोगों की रोज़ी है; यानी यह चिंता है जिसके बारे में शायद हर हफ़्ते हम सरकार और इन प्यारे लोगों के साथ चर्चा करते हैं। इसके लिए संसाधनों पर विचार करना चाहिए ताकि इनके लिए संसाधन उपलब्ध हों और इन संसाधनों के अनुसार हम लोगों की रोज़ी-रोटी में सुधार कर सकें।