आज दुनिया की सबसे अहम ज़रूरत, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपूर्ण व्यवस्था का होना है।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने योरोप में स्टूडेंट्स की इस्लामी अंजुमनों की यूनियन की सालाना बैठक के नाम संदेश में, अमरीकी फ़ौज और क्षेत्र में उसकी नाजायज़ औलाद के भारी हमले के इस्लामी ईरान के जवानों की क्रिएटिविटी, बहादुरी और बलिदान के सामने फ़ेल हो जाने की ओर इशारा करते हुए बल दियाः भ्रष्ट और अराजक मुंहज़ोरों की नाराज़गी की मुख्य वजह, परमाणु विषय नहीं है बल्कि इस्लामी ईरान की ओर से, दुनिया में छायी हुयी वर्चस्ववादी व्यवस्था और अन्ययापूर्ण सिस्टम से मुक़ाबले और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपूर्ण सिस्टम को लाने के लिए उठाया गया परचम है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का संदेश इस प्रकार हैः
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
अज़ीज़ जवानो!
इस साल हमारे मुल्क के ईमान, एकता और आत्मविश्वास के नतीजे में दुनिया में ईरान की साख और प्रतिष्टा बढ़ी। अमरीकी फ़ौज और क्षेत्र में उसकी नाजायज़ औलाद के भारी हमले इस्लामी ईरान के जवानों की क्रिएटिविटी, बहादुरी और बलिदान के सामने फ़ेल हो गए, जिससे साबित हो गया कि ईरानी क़ौम ईमान और भले कर्म की छांव में अपनी सलाहियतों का उपयोग करते हुए, भ्रष्ट और ज़ालिम साम्राज्यवादियों के मुक़ाबले में डट सकती और दुनिया में इस्लामी मूल्यों की ओर दावत को पहले से ज़्यादा प्रभावी आवाज़ में पहुंचा सकती है।
अनेक वैज्ञानिकों, कमांडरों और हमारे अज़ीज़ अवाम की एक तादाद की शहादत से होने वाला गहरा दुख भी ईरान की हिम्मत वाली जवान नस्ल के रास्ते को न रोक सका और न रोक पाएगा। इन शहीदों के घर वाले भी आगे ले जाने वालों में शामिल हैं।
अस्ल मुद्दा परमाणु और इस से जुड़ी बातें नहीं हैं। अस्ल मुद्दा इस वक़्त दुनिया में छायी हुयी वर्चस्ववादी व्यवस्था और अन्ययापूर्ण सिस्टम से मुक़ाबला करने और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर न्यायपूर्ण सिस्टम को लाने का है। यह वह दावत है जिसकी ओर इस्लामी ईरान ने कदम उठाया है और इसी वजह से दुनिया की भ्रष्ट और अराजक मुंहज़ोर ताक़तें क्रोधित हैं।
आप स्टूडेंट्स ख़ास तौर पर विदेश में रहने वाले स्टूडेंट्स के कांधों पर इस महाकर्तव्य का एक भाग है। अपने दिल को अल्लाह के हवाले कीजिए, अपनी सलाहियतों को पहचानिए और अंजुमनों को इस दिशा में आगे ले जाइये।
अल्लाह आपके साथ और पूरी कामयाबी आपके इंतेज़ार में है इंशाअल्लाह।
सैयद अली ख़ामेनेई