जब इंसान अपनी ओर से चौकन्ना रहता है तो वो दीनदार होता है, लेकिन जैसे ही वो अपनी ओर से ग़ाफ़िल होता है, ख़ुद पर अपना अख़्तियार खो देता है और फिर धीरे-धीरे दीन से बाहर निकल जाता है।