2006 की जंग और हिज़्बुल्लाह के मौजूदा आप्रेशन में आए बुनियादी बदलाव की इस लेख में समीक्षा की गयी है।
उत्तरी मक़बूज़ा फ़िलिस्तीन (इसराईल) में भोर का समय था और माहौल बहुत शांत था, लेकिन बिनयामिना के निकट गोलानी ब्रिगेड की ट्रेनिंग छावनी में हलचल थी। फ़ौजी ट्रेनिंग और तैयारी में व्यस्त थे जैसा कि इस अहम सैन्य छावनी में जहाँ क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन की स्पेशल फ़ोर्सेज़ की ट्रेनिंग होती है, हमेशा की तरह सैनिक आप्रेशन के अभ्यास और तैयारी में लगे हुए थे। लेकिन उस दिन अचानक एक अलग घटना घटी जिससे स्थिति बहुत तेज़ी से बदल गयी।
शुरू में आसमान से धीमी आवाज़ कानों को सुनाई दे रही थी जो तेज़ी से ख़तरनाक चेतावनी में बदल गयी, क्योंकि हिज़्बुल्लाह की ओर से भेजे गए ड्रोन इस छावनी की ओर बढ़ रहे थे। फ़ौजियों ने आसमान की ओर देखा तो समझ गए कि यह हमला बड़ी सूक्ष्मता से उनकी ओर बढ़ रहा है। धमाकों ने सन्नाटे को भंग कर दिया और कुछ ही मिनट में दर्जनों फ़ौजी ढेर हो गए और घायल हुए। ज़ायोनी शासन ने हक़ीक़त को छिपाते हुए मरने वाले फ़ौजियों की तादाद 4 और घायलों की तादाद 58 जारी की। यह हमला ज़ायोनी शासन पर गहरा वार था, न सिर्फ़ उत्तरी सीमाओं पर बल्कि क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के सैन्य ढांचे के पूरे ताने बाने पर गहरा वार था। गोलानी ब्रिगेड की छावनी सिर्फ़ एक ट्रेनिंग सेंटर नहीं था; बल्कि क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन की सैन्य ताक़त की बुनियाद समझी जाती थी और यह वह जगह थी जहाँ बहुत ही ख़ास फ़ौजियों की नस्ल तैयार होती थी जिसे एक सुबह में हिज़्बुल्लाह ने क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के लिए ऐसी कड़वी याद में तबदील कर दिया था और सबसे सुरक्षित छावनी भी असुरक्षित हो गई। (1)
यह हमला तो सिर्फ़ शुरूआत और सुनियोजित हमलों के सिलसिले की एक कड़ी साबित हुआ जिसे हिज़्बुल्लाह बहुत ही सूक्ष्मता और प्लानिंग के साथ अंजाम दे रहा है। हिज़्बुल्लाह साफ़ तौर पर अपने टार्गेट को लेबनान की सीमाओं से आगे बढ़ाकर ज़ायोनी शासन के अंदर काफ़ी गहराई तक और उसके मूल व स्ट्रैटिजिक बिन्दुओं ले गया है। इस बार तो क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के प्रधान मंत्री का आवास भी बड़ी सूक्ष्मता के साथ हिज़्बुल्लाह के हमले का निशाना बना। (2)
जलील के मैदानी और पहाड़ी इलाक़े में काबिज़ ज़ायोनी शासन की डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ की कमान इस शासन के उत्तरी इलाक़े में आप्रेशन की मुख्य कमान के तौर पर काम कर रही थी। लेकिन 3 जून को हिज़्बुल्लाह ने इस सेंटर पर ड्रोन बरसा कर कमांडरों को बौखला दिया। यह कमान न सिर्फ़ क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के लिए ढाल के तौर पर काम करती थी बल्कि इस शासन की उत्तरी सीमाओं पर उसका कान और आँख थी जिसे हिज़्बुल्लाह ने ध्वस्त कर दिया था।
हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही यहीं तक सीमित नहीं रही बल्कि सिर्फ़ एक हफ़्ते के बाद, ऐन ज़ीतीम और अमीआद जैसी जगहें भी जो उस समय तक अनजान थीं, मगर सैन्य व लाजिस्टिक सपोर्ट की भूमिका में थीं, 12 जून को, हिज़्बुल्लाह के लगभग 90 मिसाइलों का निशाना बनीं और इस तरह क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के रक्षात्मक नेटवर्क की हालत ख़राब हो गई। ये छावनियां जो हथियार और गोला बारूद सहित सैन्य उपकरण मुहैया करती थीं, क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन की अपात कार्यवाही और तैयारी का केन्द्र थीं, एक सुबह में हिज़्बुल्लबाह ने इस जंगी मशीन को ठप्प कर दिया। (3)
मीरून इलाक़े में, क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के लिए हवाई निगरानी करने वाली छावनी पर जो बहुत अहम थी और इस छावनी पर हवाई निगरानी की ज़िम्मेदारी थी, एक और हमला हुआ। हिज़्बुल्लाह जानता था कि इस छावनी का नष्ट होना एक प्रतीकात्मक हमले से कहीं ज़्यादा है, इस मानी में कि अब पायलट हवाई गश्त और इसराईली ड्रोन आसानी से गश्त और हवाई कंट्रोल नहीं कर सकते।
यहाँ तक कि अका शहर भी इन हमलों से सुरक्षित नहीं रहा। 23 अप्रैल को हिज़्बुल्लाह ने इस इलाक़े में क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन की सेना की दो छावनियों की ओर ड्रोन भेजे। ये छावनियां लोजिस्टिक सपोर्ट और फ़ोर्सेज़ की तैनाती की नज़र से अहम थीं कि अचानक हमले की ज़द में आ गयीं। अका के लोगों को जो मेडीट्रेनियन सागर के किनारे आराम से ज़िंदगी गुज़ारने के आदी थी कि अब जंग और हमलों की पीड़ा का एहसास हुआ। (4)
ये हमले 2006 की मिसाइल हमलों की तरह नहीं हैं, बल्कि अब हिज़्बुल्लाह ज़्यादा सटीक और होशियारी भरी रणनीति के तहत काम कर रहा है। क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के मुख्य व संवेदनशील सैन्य केन्द्रों पर हमले निर्णायक संदेश दे रहे हैं। हिज़्बुल्लाह के पास अब ड्रोन और गाइडेड मिसाइल जैसे आधुनिक हथियार हैं जो न सिर्फ़ यह कि क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन की रक्षा को भेद सकते हैं बल्कि क़ब्ज़ा किए गए फ़िलिस्तीन के इलाक़े की गहराई तक गंभीर नुक़सान पहुचा सकते हैं।
इन कार्यवाहियों से होने वाने जानी व माली नुक़सान, भौतिक लेहाज़ से भी और मानसिक लेहाज़ से भी, बढ़ रहे हैं। ये हमले क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के लिए सिर्फ़ सैन्य हमले नहीं हैं, बल्कि क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन के सैन्य आत्म विश्वास को छिन्न भिन्न करने वाले और ग़ुरूर को तोड़ने वाले हैं। ये दर्शाते हैं कि इस शासन की डिटरेन्स बिखर चुकी है। क़ाबिज़ ज़ायोनी शासन हमेशा अपनी सैन्य व तकनीकी बढ़त पर गर्व करता था, अब 2024 में हिज़्बुल्लाह की कार्यवाही से इस ढाल में ऐसी दरारें पैदा कर चुकी है जिसकी मरम्मत नहीं हो सकती। यह कहा जा सकता है कि कालोनियल ताक़तों का कई दशकों पुराना प्रोजेक्ट बड़ी तेज़ी से अपने अंत के निकट पहुंच रहा है।
3. https://en.irna.ir/news/85453606/Hezbollah-s-heavy-attack-on-the-headquarters-of-the-Zionist-army
4. https://en.isna.ir/news/1403072116511/Hezbollah-targets-Haifa-and-Acre-with-missiles