इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने एशियन गेम्ज़ और पैरा एशियन गेम्ज़ में मेडल जीतने वाले ईरानी खिलाड़ियों और स्पोर्ट्स के क्षेत्र से संबंधित लोगों से मुलाक़ात में उनकी सराहना की और कुछ निर्देश भी दिए। 22 नवम्बर 2023 की इस तक़रीर में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन और उसके बाद ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी शासन के हमले के बारे में महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई की तक़रीरः
बिस्मिल्लाह अर्रहमान अर्रहीम
अरबी ख़ुतबे का अनुवादः सारी तारीफ़ पूरी कायनात के मालिक के लिए, दुरूद व सलाम हो हमारे सरदार व रसूल हज़रत अबुल क़ासिम मुस्तफ़ा मोहम्मद और उनकी सबसे पाक, सबसे पाकीज़ा, चुनी हुयी नस्ल, ख़ास तौर पर ज़मीन पर अल्लाह की आख़िरी हुज्जत इमाम महदी अलैहिस्सलाम पर।
प्यारे भाइयो आप सब का स्वागत है, भाइयो बहनो और ईरानी क़ौम के प्यारे सपूतो! आज की यह बैठक हमारे लिए बहुत अच्छी और दिलनशीं थी, आप से मुलाक़ात, आपकी बातें और वह प्राचीन पारंपरिक अखाड़े की कसरत भी जो हमारे नौजवानों ने यहां पेश की। सब से पहले मैं इसी प्राचीन पारंपरिक व्यायाम के बारे में बात करता हूं। कुछ बरस पहले मैंने मुल्क के ओहदेदारों को जो कुछ सिफ़ारिशें की थीं उनमें से एक यह थी कि इस व्यायाम को अंतरराष्ट्रीय बना दें।(2) यह खेल बहुत ही ख़ूबसूरत है। यह हमारा अखाड़ा, वह आसन वह धुन, यह बेहद ख़ूबसूरत दावं पेच, यह डंड बैठक, मुगदर भांजना, मुगदर से व्यायाम करना, वह जो आप घुमरी करते हैं, वह सब जो करते हैं, जिसका एक खूबसूरत नमूना आज यहां हमारे नौजवान खिलाड़ियों ने पेश किया, यह सब कुछ खेल कूद से दिलचस्पी रखने वाले हर इन्सान के लिए देखने लायक़ चीज़ें हैं। ख़ुशक़िस्मती से हम यह देख रहे हैं कि इस मैदान में काम हुआ है। आज यहां पर इन बच्चों ने जो व्यायाम किया है, वह उससे कहीं बेहतर था जो हम अपनी नौजवानी के दौर में इस तरह का व्यायाम देखते थे, घुमरी भी अच्छी थी, मुगदर भी ज़्यादा बेहतर तरीक़े से भांज रहे थे, डंड भी अच्छी तरह लगा रहे थे और पैरों से कला का प्रदर्शन भी ज़्यादा बेहतर तरीक़े से कर रहे थे, इन बच्चों का हर काम हमारे दौर के मुक़ाबले में काफ़ी बेहतर था। हमने अपनी जवानी के दौर में अब जितना देखना मुमकिन था और जो देख पाए, जो भी हमने जितने भी अखाड़ों में यह व्यायाम देखा था सच बात है कि आज के इतनी ख़ूबसूरत कला कहीं नहीं देखी थी। साफ़ नज़र आ रहा है कि इस में तरक़्क़ी हुई है, ज़ाहिर है कि योग्यताएं हैं, इन योग्यताओं से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाना चाहिए। मैं इन प्यारे जवानों और नौजवानों का शुक्रिया अदा करता हूं, आप लोगों ने बहुत अच्छी तरह से अपनी कला पेश की है, बहुत अच्छे अंदाज़ से। इसी तरह मुझे उनके कोच का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए, बहुत मेहनत की गयी है और उसका नतीजा भी बहुत अच्छा सामने आया है। यह हमारे भाई भी जिन्हें हम अपने दौर में “मुर्शिद” कहा करते थे, अब पता नहीं आज के दौर में उन्हें क्या कहा जाता है, (3) हां मैं उन भाइयों का भी शुक्रिया अदा करता हूं, इन्होंने हमें वह ख़ास अखाड़े के माहौल में पहुंचा दिया, सच में उन्होंने बहुत अच्छी धुन में शेर पढ़े, बहुत अच्छी तरह से अपना काम किया। प्राचीन व्यायाम का जो नमूना आज यहां पेश किया गया वह कुल मिलाकर बहुत ही अच्छा था।
अब जहां तक आप खिलाड़ियों से मेरी बातों का सवाल है, चाहे वह पुराने खिलाड़ी हों, या फिर नौजवान खिलाड़ी, मैं दो तीन बातें कहना चाहता हूं। सब से पहली बात जो मेरी नज़र में अस्ली बात है, शुक्रिया अदा करना है। सच्चाई यह है कि मैं शुक्रिया अदा करना अपना फ़र्ज़ समझता हूं, सब से पहले तो उन सभी खिलाड़ियों और खेल के मैदान में कोशिश करने वालों का, उन सभी लोगों का जो खेल कूद के लिए मेहनत करते हैं, कोशिश करते हैं, मुश्किलें बर्दाश्त करते हैं उन का सब का शुक्रिया अदा करना मेरा फ़र्ज़ है। खेल के मैदानों में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए मज़बूत इरादे की ज़रूरत होती है, ठोस इरादे की ज़रूरत होती है, इन सब चीज़ों को आप ने साबित कर दिया है, हमारे खिलाड़ियों ने ख़ुदा का शुक्र है यह सब दिखा दिया है। इस मैदान में मेडल लाने वालों का भी मैं शुक्रिया अदा करता हूं कि यह “मेडल” ख़ुद भी मेहनत का सुबूत है, कड़ी मेहनत की निशानी है। मेडल एक निशानी है, एक चिन्ह है, आप की कड़ी मेहनत का सुबूत है। मैं मेडल लाने वालों का दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। मैं खिलाड़ी महिलाओं का शुक्रिया अदा करता हूं, उस महिला का शुक्रिया अदा करता हूं जिसने पूरे हिजाब में, इस बार के एशियाई खेलों में ईरान का परचम उठाया और पूरी दुनिया के सामने ईरानी महिला की पहचान का प्रदर्शन किया। शुक्रिया अदा करता हूं उस महिला खिलाड़ी का जो मेडल लेते वक़्त, ग़ैर मर्द से हाथ मिलाने पर तैयार नहीं हुई, उसने हाथ बढ़ाया था, इस महिला खिलाड़ी ने हाथ नहीं मिलाया। यह बहुत अहम है, अलग से होने वाली इन घटनाओं का महत्व ख़ुद खेल से कम नहीं है, बल्कि शायद उससे ज़्यादा ही हो। मैं उस महिला खिलाड़ी का शुक्रिया अदा करता हूं जो अपने नवजात बच्चे को गोद में लेकर स्टेज पर गयी और अपना मेडल लिया, यह एक प्रतीकात्मक काम है, दुनिया में इस का संदेश यह है कि एक महिला, घराने को, मां की भूमिका को सम्मान दे रही है। मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन खिलाड़ियों का जिन्होंने अपने क़दमों से अपने खेल के महत्व को बढ़ा दिया, उसकी क़ीमत बढ़ा दी, जीत के बाद मैदान में सजदा किया, खेल के मैदान के बीच में अपने हाथ दुआ के लिए बुलंद किये, झंडे को चूमा, झंडे पर सजदा किया। यह सब बहुत अहम काम हैं, यह वह सब काम हैं जो ईरानी व इस्लामी खिलाड़ियों की पहचान को बल्कि ईरानी कौम की पहचान को करोड़ों लोगों के सामने उजागर करते हैं और हमेशा के लिए यादगार बना देते हैं, यह कोई छोटा काम नहीं है। यह सजदा, घर में या मस्जिद में किये जाने वाले सजदे से बहुत अलग है, यह महिला खिलाड़ी जो हिजाब पहनती है वह तेहरान की सड़कों पर निकलने के लिए पहने जाने वाले हिजाब से बहुत अलग है।
मैं शुक्रिया अदा करता हूं उस नेशनल टीम का जो मज़लूम की मदद की निशानी के तौर पर, फ़िलिस्तीनियों की “चफ़िया” (कंधे पर डाला जाने वाला बड़ा रूमाल) पहन कर मैदान में उतरी। मैं शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने किसी न किसी तरह, फ़िलिस्तीन का समर्थन किया और इस समर्थन का पूरी दुनिया के सामने, छुप कर नहीं, खुल कर एलान किया, अपने मेडल ग़ज़्ज़ा के बच्चों को दिये, अपने मेडल अस्पताल (4) में शहीद होने वालों को समर्पित किए जहां ज़ायोनी शासन ने त्रासदी को जन्म दिया था। शुक्रिया अदा करता हूं उन सभी खिलाड़ियों का जिन्होंने ज़ायोनी खिलाड़ी के साथ खेलने से इन्कार कर दिया, आज पता चल रहा है कि इन खिलाड़ियों ने कितना सही काम किया था, इन खिलाड़ियों की सच्चाई, आज किसी भी दौर से ज़्यादा खुल कर सामने आयी है। यह तो हमारी तरफ़ से शुक्रिया था।
यह शुक्रिया सिर्फ़ ज़बान से अदा किया जाने वाला शुक्रिया ही नहीं है, किसी एक अच्छे काम की वजह से नहीं है, क्योंकि जो भी कोई अच्छा काम करता है उसका शुक्रिया अदा किया जाना ही चाहिए, लेकिन यह इस लिए है कि जिन कुछ कामों का मैंने ज़िक्र किया है उनकी वजह से खेल देखने वाले दुनिया के करोड़ों लोगों के सामने ईरानी क़ौम की तार्किक, आत्मविश्वास से भरी अलग तरह की छवि पेश की गयी। यह काम, यह ख़ूबसूरत क़दम, ईरान की राष्ट्रीय शक्ति का हिस्सा हैं। सब खेलते हैं, हर मुल्क में खिलाड़ी होते हैं, अभिनेता होते हैं, पहलवान होते हैं, फुटबॉल खिलाड़ी होते हैं, वॉलीबॉल के खिलाड़ी होते हैं, अपने मुल्क के लिए जीत भी दर्ज कराते हैं, लेकिन यह जो काम आप लोगों ने किये हैं, पूरी दुनिया में अलग हैं और खेल कूद में नाम कमाने और मेडल लाने से ज़्यादा अहम हैं, यह इन्सानियत की जीत है। तो हम जो आपका शुक्रिया अदा कर रहे हैं वह इस तरह के बड़े और अच्छे व अर्थपूर्ण कामों के लिए है जो आप ने किये हैं।
इसके लिए अलावा, आप की कोशिश और आप की कामयाबी से हमारे अवाम का दिल ख़ुश होता है। जब आप लोग एक मेडल हासिल करते हैं, तरह तरह के मेडल, तो यहां पूरी क़ौम ख़ुशी मनाती है और उसे गर्व का आभास होता है। यह मेरे लिए बहुत अहम है कि आप लोग क़ौम का दिल ख़ुश करें, उन्हें फ़ख़्र का एहसास दिलाएं, मैं इसके लिए भी शुक्रिया अदा करता हूं। इस बुनियाद पर, मेरी पहली बात आप सब खिलाड़ियों का शुक्रिया अदा करने के बारे में थी, जो कि मैनें अदा किया।
दूसरी बात ओहदेदारों से है। यक़ीनी तौर पर खेल कूद के अंतरराष्ट्रीय ओहदेदारों से तो हमें बहुत कुछ कहना है, उन पर बहुत एतेराज़ है, इन सब एतेराज़ों पर एक दिन इंसाफ़ के साथ कार्यवाही की जानी चाहिए। आज के दौर में साम्राज्यवादी ताक़तें, लूटने वाली ताक़तें, लगभग हर अंतरराष्ट्रीय संगठन में घुसी हैं और इंसाफ़ के साथ की जाने वाली जांच पड़ताल में रुकावट खड़ी करती हैं लेकिन एक दिन इंशाअल्लाह इन सब मामलों की न्यायसंगत जांच का समय भी आएगा। कहते हैं कि “खेल कूद राजनीति मुद्दा नहीं है”। लेकिन जब ख़ुद उन्हें खेल को राजनीतिक बनाने की ज़रूरत होती है तो बहुत बुरी तरह उसे राजनीतिक बना देते हैं। एक बहाने से एक मुल्क को सभी अंतरराष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेने से रोक देते हैं, क्यों? क्योंकि आप ने अमुक देश के साथ युद्ध किया है, लेकिन वही लोग ग़ज़्ज़ा में 5 हज़ार बच्चों के क़त्ल को अनदेखा कर देते हैं! यहां खेल कूद को राजनीतिक नहीं होना चहिए लेकिन दूसरी जगह पूरी तरह से राजनीतिक हो जाता है और कोई फ़र्क़ भी नहीं पड़ता! एक देश को युद्ध के बहाने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से वंचित कर दिया जाता है, लेकिन एक शासन को, एक सरकार की पूरी तरह से अनदेखी कर दी जाती, जंग की वजह से ही नहीं, बल्कि युद्ध अपराधों के बावजूद यही नहीं बल्कि नस्लीय सफ़ाए के बावजूद उसे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं से दूर नहीं किया जाता। इस तरह का काम होता है, यह खेल कूद के मैदान में विश्व स्तर पर मौजूद समस्याएं हैं, और मेरी यह बात भी खेल के अंतरराष्ट्रीय ओहदेदारों से है, रिश्वत की बात तो जाने दें, भ्रष्टाचार की बात अभी रहने दें, ग़लत फ़ैसलों की बात न छेड़ें, खेल की दुनिया के माफ़ियाओं की छोड़ें, इन्शाअल्लाह एक दिन इन सब मुद्दों पर भी काम होना चाहिए। यह बातें अंतरराष्ट्रीय खेल के ओहदेदारों से थीं।
लेकिन हमारे अपने मुल्क के ओहदेदारों से भी बहुत बातें कहना हैं। मैंने बहुत सी बातें खिलाड़ियों की मौजूदगी में मुल्क के ओहदेदारों से कही हैं, कुछ बातें अलग से होने वाली मीटिंग में उन ओहदेदारों और उनसे बड़े ओहदेदारों को याद दिलायी हैं, उन सब पर काम होना चाहिए। वह बातें भी जो अभी मिनिस्टर साहब ने यहां बयान की हैं, उन सब पर एक एक करके काम होना चाहिए, या वह बातें जो हमारे इस प्यारे पहलवान ने यहां कहीं हैं, उन पर काम होना चाहिए। मेरा कहना है कि मज़बूत ईरान का खेल कूद भी मज़बूत होना चाहिए। हमने “मज़बूत ईरान” का नारा दिया है न! (5) मज़बूत ईरान का खेल कूद भी मज़बूत होना चाहिए। खेल में ताक़त क्या है? कोच के सेलेक्शन में, हर खेल में टीम के लिए खिलाड़ियों को चुनने में, सही उपाय पर ध्यान देना चाहिए, यह ध्यान रखना चाहिए कि खेल में बीमारी न लग जाए, बहुत ध्यान दें कि मुल्क के खेल को कोई बीमारी न लगने पाए। “खेल में बीमारी” का क्या मतलब है? यानी भ्रष्टाचार, यानी मुल्क में खेल में माफ़िया राज, यानी पाकीज़ा खिलाड़ियों में नैतिक भ्रष्टाचार, इन सब बातों पर ध्यान रखना होगा।
हमारे मुल्क में खेल कूद के ज़िम्मेदारों का एक कर्तव्य यह है कि वह खेल की पुरानी समस्याओं के समाधान की प्लानिंग करें। “पुरानी समस्याओं” का क्या मतलब है? यानी बिना जवाब के सवालः खेल कूद में सरकार का क्या रोल है? सरकार खेल कूद में या खेल की टीमों में किस हद तक दख़ल दे? निजीकरण व खेल कांट्रैक्ट के मुद्दे, विदेशी कोच का मामला और इसी तरह के मुद्दे, यह वो सवाल हैं जो हमारे सामने हैं और समय समय पर कोई एक जवाब दे दिया जाता है, फिर कुछ दिन बाद जवाब बदल जाता है। इस पर काम होना चाहिए, खेल कूद के उसूलों की बुनियाद पर प्लानिंग की जानी चाहिए। यह हमारे मुल्क में खेल कूद के मैदान की असली ज़रूरतों में से है, यह खेल कूद के ओहदेदारों की अहम ज़िम्मेदारी है।
सरकारी ओदहेदारों की एक ज़िम्मेदारी, खिलाड़ी के हालात पर ध्यान देना है कि जिसकी यहां बात भी की गयी। यह जो काम मिनिस्टर साहब ने बताए हैं जो खिलाड़ियों के लिए घर और नौकरी वग़ैरा के इंतेज़ाम के बारे में हैं, वो बहुत अच्छे काम हैं, इस शर्त के साथ कि उन्हें किया जाए, इस शर्त के साथ कि इन कामों को गंभीरता से लिया जाए। यह तो नहीं हो सकता कि हम खिलाड़ी से यह उम्मीद रखें कि वह अंतरराष्ट्रीय मैदानों में हमारे लिए मेडल ले आए, लेकिन हम उसकी ज़रूरत पर सही तौर से ध्यान न दें। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे हमारे खिलाड़ी, अपनी इस तरह की ज़रूरतों की तरफ़ से बेफ़िक्र रहें। मेरे ख़याल में इसका सब से अच्छ रास्ता यही नौकरी, घर और इस तरह के इंतेज़ाम हैं कि जिनके बारे में कहा गया है।
ओहदेदारों की एक ज़िम्मेदारी यह है कि वह खिलाड़ियों के साथ, पिता की तरह व्यवहार करें। मेरा अनुरोध है मुल्क के ओहदेदारों से कि वो हर मैदान के खिलाड़ी के साथ, मिलें जुलें और उनसे बात करें। यक़ीनी तौर पर कुछ खेल ज़्यादा मशहूर हैं और कुछ कम मशहूर हैं लेकिन इसके बावजूद ओहदेदारों को चाहिए कि सभी खेलों के खिलाड़ियों के साथ उठे बैठें, उनसे मिलें, उनकी बातें सुनें, उनकी तकलीफ़ें जानें, उनकी मांगें सुनें और उन्हें पूरा करें। यह हमारी बात ओहदेदारों से है और खेल के ओहदेदारों से हमारी यह मांग है।
कुछ बातें ख़ुद आप खिलाड़ियों से भी कहता हूं। खिलाड़ी, बहुत से युवाओं के लिए आदर्श होता है। आप के काम, आप का रवैया, आप की बातें, आप का रहन सहन आप सब प्यारे खिलाड़ियों का रहन सहन, आम तौर पर बहुत से युवाओं के लिए आदर्श बनता है, तो ज़ाहिर है इससे आपकी ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। जब आप रोल मॉडल हैं तो मुल्क के युवाओं के एक हिस्से को सही राह की ओर बढ़ा सकते हैं, उन्हें कामयाब कर सकते हैं, सफल बना सकते हैं, अलबत्ता ख़ुदा न करे, इसका उल्टा भी मुमकिन है। इस बुनियाद पर, आप का रवैया बहुत अहम है। किसी खिलाड़ी की एक बात, एक खिलाड़ी की एक हरकत, चाहे खेल के मैदान में हो, या खेल के मैदान से बाहर, वह युवाओं पर अच्छा असर डाल सकती है, इससे आप की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। अल्लाह ने आप की लोकप्रियता के हिसाब से आप पर ज़िम्मेदारी डाली है। आप की लोकप्रियता, आप की योग्यता, आप की ख्याति जितना बढ़ेगी, ज़िम्मेदारियां भी उसी हिसाब से ख़ुदा की तरफ़ से आप पर डाली जाएंगी, इस पर ध्यान दें, महिलाएं भी, पुरुष भी, युवा भी और किशोर भी। लोकप्रियता और लोगों के ध्यान का केन्द्र बनना, कभी कभी इन्सान को कुछ ग़लत कामों का मौक़ा भी दे देता है, वहां पर पूरी तरह से ध्यान रखना होगा।
एक और बात आप खिलाड़ियों से मेरी यह है कि आप लोगों को ख़ुदा का बहुत ज़्यादा शुक्र अदा करना चाहिए। आप के बदन में यह योग्यता और ताक़त अल्लाह ने दी है, खेल के मैदान में आप जिस संकल्प और लगन का प्रदर्शन करते हैं, कि अगर यह संकल्प और लगन न हो तो जीत मुमकिन ही नहीं और सिर्फ़ बदन में ताक़त होना ही काफ़ी नहीं है, यह संकल्प और लगन भी ख़ुदा ने आप को दी है, तो फिर ख़ुदा को याद करें और उसका शुक्र अदा करें, शुक्र करें उसका, यह सब अल्लाह की नेमतें हैं। हर नेमत के लिए शुक्र ज़रूरी होता है तो अगर आप ने शुक्र किया तो यह नेमत इन्शाअल्लाह और बढ़ जाएगी।
जी तो यह थीं आप से हमारी बातें। मैं भी हमेशा सभी नौजवानों के लिए, सभी खिलाड़ियों के लिए दुआएं करता हूं, ख़ास तौर पर आप लोगों के लिए, इन्शाअल्लाह ख़ास तौर पर भी दुआ करूंगा और हमेशा दुआ करता हूं।
एक बात फ़िलिस्तीन के बारे में भी कह दूं। अगर मैं आप खिलाड़ियों के सामने हालिया घटनाओं का निचोड़ पेश करना चाहूं तो वह सार पेश करने के लिए एक छोटा सा वाक्य यह है कि ज़ायोनी शासन, “अलअक़्सा तूफ़ान” आप्रेशन में नॉक आउट हो गयी यानी संघर्ष करने वाले एक गुट के रूप में, एक सरकार के रूप में नहीं, एक देश के रूप में नहीं जिसके पास बहुत से साधन होते हैं, हमास ने, उतने ढेर सारे साधनों से लैस अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन को नॉक आउट कर दिया, यह सब का निचोड़ है। वह अब तक इस हार की वजह से होने वाली शर्मिदंगी और उसके दबाव से बाहर निकलने में कामयाब नहीं हो पाया है। जी हां, ताक़त दिखा रहा है, लेकिन कहां? ग़ज़्ज़ा के घायलों के अस्पताल में, स्कूलों में, ग़ज़्ज़ा के बेघर लोगों पर बमबारी करके। इस तरह की ताक़त दिखाने का कोई महत्व नहीं, यह ऐसा ही है कि एक खिलाड़ी खेल के मैदान में हार जाए, फिर बाद में उस हार की भरपाई के लिए दूसरी टीम के समर्थकों पर हमला कर दे, उन्हें गाली दे या उनसे मार पीट करे! ज़ायोनी शासन ने जो किया है उससे ज़्यादा शर्मनाक काम और क्या किया जा सकता है। वह जो ज़ायोनी शासन को इतनी भारी हार मिली है उसकी भरपाई बमबारी से नही होने वाली है, और इस तरह की बमबारी से इस अतिग्रहणकारी शासन की उम्र और कम हो जाएगी। इस ज़ुल्म और बेरहमी का जवाब ज़रूर मिलेगा, यह सब जान लें। आज अब पूरी दुनिया की समझ में आ गया है कि क्यों ईरानी खिलाड़ी मैदान में किसी ज़ायोनी खिलाड़ी के साथ खेलने पर तैयार नहीं होते थे, यह बात आज पूरी दुनिया समझ गयी है, क्योंकि वो अपराधी है, क्योंकि वह खिलाड़ी एक अपराधी सरकार की ओर से खेलने आया है, मैदान में उतरा है उसकी मदद करना आतंकवादी व अपराधी ज़ायोनी शासन की मदद की तरह है।
बहरहाल मैं आप सब का आभारी हूं, सभी खिलाड़ियों का शुक्रिया अदा करता हूं। मैं अपने इन युवा और किशोर खिलाड़ियों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने यहां और इस कृत्रिम अखाड़े में इतनी ख़ूबसूरती के साथ खेल दिखाया। इन नौजवानों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने यहां पारंपरिक खेल के शेर पढ़े। आप सब का शुक्रिया अदा करता हूं, अल्लाह आप सब को कामयाब करे इंशाअल्लाह।
वस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाहे व बरकातुहू