एशियन गेम्ज़ और पैरा एशियन गेम्ज़ के चैम्पियन्ज़ ने थोड़ी देर पहले इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाह ख़ामेनेई से मुलाक़ात की।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने बुधवार की सुबह इमाम ख़ुमैनी इमामबाड़े में हांग्जू एशियन गेम्ज़ और पैरा एशियन गेम्ज़ में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों और खेल के क्षेत्र में सक्रिय लोगों, पूर्व चैंपियनों और ख़िलाड़ियों से मुलाक़ात में मुल्क का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ियों और कोचेज़ का शुक्रिय अदा किया और खेल के मैदानों में उनके सम्मानजनक रवैये को ईरानी क़ौम की नुमायां छवि को पेश करने वाला बताया।
उन्होंने अधिकारियों की ओर से स्पोर्ट्स चैंपियनों की ज़िन्दगी की ज़रूरतों का ख़याल रखे जाने की ज़रूरत पर बल देते हुए कहा कि अलअक़सा फ़्लड आप्रेशन में ज़ायोनी सरकार, हमास के हाथों नॉक आउट हो गयी और वह अपने सारे जुर्मों के बावजूद, इस भारी शिकस्त की भरपाई नहीं कर सकी और आगे भी नहीं कर पाएगी।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इस मुलाक़ात को बहुत आनंददायक बताया और मेडल जीतने वालों के इरादे और कड़ी मेहनत की तारीफ़ करते हुए कहा कि मैं इसी तरह उस आदरणीय महिला का जिसने पूरे हेजाब के साथ एशियन गेम्ज़ में ईरानी ख़िलाड़ियों के कारवां का झंठा उठाया और उस महिला खिलाड़ी का भी जिसने मेडल दिए जाते वक़्त पराए मर्द से हाथ मिलाने से गुरेज़ किया और उस महिला का भी जो मेडल दिए जाने के पायदान पर अपने छोटे बच्चे को लेकर आयी और अपने इस प्रतीकात्मक काम से फ़ैमिली और माँ के सम्मान को दुनिया में नुमायां कर दिया, दिल की गहराइयों से शुक्रिया अदा करता हूं।
उन्होंने राष्ट्रीय फ़ुटबाल टीम का भी शुक्रिया अदा करते हुए जो जॉर्डन में चार पक्षीय मुक़ाबले में मज़लूम फ़िलिस्तीनियों के समर्थन की निशानी के तौर पर चफ़िया (गले में डाला जाने वाला बड़ा रूमाल जो फ़िलिस्तीनियों के बीच बहुत प्रचलित है) पहन कर मैदान में गई, कहा कि इसी तरह मैं उन खिलाड़ियों का भी शुक्रिया अदा करता हूं जिन्होंने अपने मेडल को ग़ज़्ज़ा के बच्चों और एक अस्पताल में ज़ायोनियों के हमले में शहीद होने वालों को समर्पित कर दिया और ज़ायोनी खिलाड़ियों के साथ खेलने से इंकार कर दिया।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने देश के अवाम का दिल ख़ुश करने पर चैंपियन्ज़ का ख़ास तौर पर शुक्रिया अदा किया और कहा कि मेरे लिए यह बात बहुत अहम है कि आप अपने रंग बिरंगे मेडल के ज़रिए क़ौम को ख़ुश और उसका सिर ऊंचा करते हैं।
उन्होंने इस मुलाक़ात में खिलाड़ियों की ज़िन्दगी बेहतर बनाए जाने पर भी दिया और खिलाड़ियों से कहा कि शोहरत के साथ भारी ज़िम्मेदारियां भी आती हैं और स्पोर्ट्स के सितारों की बातचीत, रवैया और जीवन शैली बहुत से जवानों के लिए आइडियल है और उन पर सार्थक असर डाल सकती है, इसी तरह इसके विपरीत भी हो सकता है इसलिए इस सिलसिले में बहुत एहतियात करना चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच के आख़िरी हिस्से में ग़ज़्ज़ा के ताज़ा हालात को स्पोर्ट्स की शब्दावली में बयान करते हुए कहा कि अलअक़्सा फ़्लड आप्रेशन में ज़ायोनी सरकार नॉक आउट हो गयी और व्यापक संसाधनों से लैस एक सरकार और देश के रूप में नहीं बल्कि रेज़िस्टेंस करने वाले संगठन की हैसियत से हमास ने सभी संसाधनों वाली क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार को नॉक आउट कर दिया।
उन्होंने इस करारी हार के बोझ से बाहर निकलने में ज़ायोनियों की नाकामी की ओर इशारा करते हुए कहा कि वो भरपाई के लिए ग़ज़ा के अस्पतालों और स्कूलों पर हमले करके अपनी ताक़त दिखा रहे हैं लेकिन यह काम उस खिलाड़ी की हरकत की तरह है जो मैदान में हार गया है लेकिन भरपाई के लिए विरोधी टीम के प्रशंसकों पर हमला करता है, उन्हें गालियां देता है और उनसे मारपीट करता है।
इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि ज़ायोनी सरकार की भारी शिकस्त की भरपाई इस तरह के जुर्म से नहीं होगी और वो यह जान ले कि इस ज़ुल्म और बर्बरता का जवाब ज़रूर मिलेगा और बमबारियां, क़ाबिज़ ज़ायोनी सरकार की उम्र को और कम कर देंगी।
उन्होंने ज़ायोनी सरकार के प्रतिनिधि खिलाड़ियों के साथ न खेलने के ईरानी खिलाड़ियों के क़ाबिले तारीफ़ क़दम की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया हमारे खिलाड़ियों के इस काम की वजह समझ चुकी है क्योंकि वो लोग एक मुजरिम, आतंकवादी और पेशेवर अपराधी सरकार के लिए मैदान में आते हैं।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने अपनी स्पीच के दूसरे हिस्से में स्पोर्ट्स की अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के ज़िम्मेदारों की कड़ी आलोचना करते हुए जो साम्राज्यवादी ताक़तों के चंगुल में हैं, कहा कि जो लोग राजनैतिक करते हुए जंग के बहाने एक मुल्क को स्पोर्ट्स के सभी अंतर्राष्ट्रीय मैदानों से वंचित कर देते हैं वही लोग ग़ज़्ज़ा में शहीद होने वाले पाँच हज़ार बच्चों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं और स्पोर्ट्स में राजनैतिक दूर रहने का ढोंग करके ज़ायोनी सरकार को युद्ध अपराध और नस्ली सफ़ाए की वजह से न तो स्पोर्ट्स के मैदानों से दूर रखते हैं और न ही उसकी भर्त्सना करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि एक दिन भेदभाव पर आधारित इस व्यवहार के ख़िलाफ़ न्यायपूर्ण कार्यवाही होगी।
उन्होंने इसी तरह इस प्रोग्राम के आग़ाज़ में कुछ बच्चों और नौजवानों की ओर से पारंपरिक कसरत के नज़ारे पेश किए जाने पर उनका शुक्रिया अदा किया और कहा कि बरसों पहले स्पोर्ट्स के ज़िम्मेदार विभागों से कहा गया है कि पारंपरिक खेल, एक अंतर्राष्ट्रीय खेल का दर्जा हासिल करने की योग्यता रखता है और इस सिलसिले में कोशिश की जानी चाहिए।
इस मुलाक़ात के आग़ाज़ में स्पोर्ट्स और जवानों के मामलों के मंत्री ने मुल्क के खिलाड़ियों की ओर से अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स में मज़लूमों के सपोर्ट और इसी तरह उनके कुछ सांकेतिक कामों की ओर इशारा करते हुए ईरानी खिलाड़ियों द्वारा जीते गए मेडलों के बारे में एक रिपोर्ट पेश की और बताया कि पैरा एशियन गेम्ज़ में ईरान के खिलाड़ी 131 पदक हासिल करके दूसरे स्थान पर रहे और उन्होंने इतिहास लिख दिया।