शहीद हम से कहते हैं: “और अपने पसमांदगान के बारे में भी, जो अभी उनके पास नहीं पहुंचे हैं, ख़ुश और मुतमइन हैं कि उन्हें कोई ख़ौफ़ नहीं है और न ही कोई हुज़्न व मलाल है” (सूरए आले इमरान, आयत-170) ईरानी क़ौम को चाहिए कि शहीदों के संदेश को सुनने के बाद अपनी एकता, अपनी एकजुटता, अपना जज़्बा और अपनी कोशिश ज़्यादा करे। शहीदों का संदेश हमारे लिए यह है। सभी को ज़िम्मेदारी महसूस करनी चाहिए और हम सब यह ख़याल रखें कि कोशिश के बिना, अल्लाह की राह में संघर्ष के बिना, कठिनाइयों को बर्दाश्त किए बिना कोई क़ौम किसी मंज़िल तक नहीं पहुंचती। अब हमारे लिए भी अगर कठिनाइयां हैं तो इंशाअल्लाह ये कठिनाइयां बर्दाश्त करके ईरानी क़ौम उचाइयों पर पहुंच जाएगी और ये कठिनाइयां हमें चोटियों पर पहुंचा देंगी। इमाम ख़ामेनेई 21/11/2021