इस्लामी इंक़ेलाब की वैभवशाली कामयाबी की 44वीं सालगिरह और इसी उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले ‘दहे फ़ज्र (नई सुबह के दस दिन)’ के अवसर पर, आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने मंगलवार की सुबह इस्लामी इंक़ेलाब के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी के रौज़े पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि पेश की।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने शहीदों की क़ब्रों पर जाकर 28 जून 1981 की घटना और उसी साल 30 अगस्त को प्रधान मंत्री कार्यालय में होने वाले धमाके के शहीदों के मज़ारों पर पहुंच कर पूर्व संसद सभापति शहीद बहिश्ती, पूर्व राष्ट्रपति शहीद रजाई, पूर्व प्रधानमंत्री शहीद बाहुनर और उनके साथ शहीद होने वालों को श्रद्धांजलि पेश की।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने इसी तरह नेश्नल सेक्युरिटी के तहत अपनी ड्यूटी के समय शहीद होने वाले आरमान अली वेर्दी, पवित्र स्थलों की रक्षा करने वाले शहीदों, कुछ अज्ञात शहीदों और मेडिकल विभाग में अपने फ़र्ज़ को अंजाम देने के दौरान शहीद होने वाले कुछ दूसरे लोगों की क़ब्रों पर पहुंच कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।